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World AIDS Vaccine Day : शाक्तिशाली है एड्स का टीका, जानें टीकाकरण कराने की सही उम्र - World AIDS Vaccine Day 2024

पहली बार विश्व एड्स टीकाकरण दिवस (World AIDS Vaccine Day 2024) 18 मई 1998 को मनाया गया था. इसकी शुरुआत 18 मई 1997 से हुई थी. एड्स टीकाकरण दिवस मनाने का मकसद नए संक्रमणों को रोकने और महामारी को खत्म करना है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 18, 2024, 10:41 AM IST

लखनऊ : विश्व एड्स टीका दिवस एचआईवी (एड्स) से प्रभावित लाखों लोगों के लिए आशा की किरण है. एचआईवी टीका नए संक्रमणों को रोकने और महामारी को खत्म करने के लिए अहम है. इसी उद्देश्य से विश्व एड्स वैक्सीन दिवस वैक्सीन जागरूकता दिवस हर साल 18 मई को मनाया जाता है. देखें विस्तृत खबर..




एचआईवी पीड़ित मरीज को हो सकती है टीबी : केजीएमयू के एंटीरिटरोवायरल थैरेपी (एआरटी) सेंटर की एसएमओ इंचार्ज डॉ. नीतू गुप्ता ने बताया कि सामान्य जांच में एड्स के संक्रमण में आने के तीन महीने बाद टेस्ट करने पर ही एचआईवी रिपोर्ट आती है. इस बीच कई बार संक्रमित खून भी डोनेट हो जाता है और अन्य के चढ़ने से वह भी रोगग्रस्त हो जाता है. नेट टेस्टिंग मशीन से एचआईवी संक्रमण रोकने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि जब किसी मरीज को एचआईवी एड्स होता है तो मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से खत्म होने लगती है. इस स्थिति में मरीज को अन्य बीमारियां भी होने लगती हैं. जिसमें सबसे पहले एचआईवी मरीज को टीबी की बीमारी हो सकती है.


वरदान साबित हो रही एआरटी थैरेपी : एंटीरिटरोवायरल थेरेपी यानी एआरटी एड्स रोगियों के लिए वरदान साबित हो रही है. डॉ. नीतू गुप्ता ने बताया कि एआरटी थेरेपी एक प्रकार की दवाई है. जिसमें तीन प्रमुख दवाओं को एक करके बनाई गई है. एआरटी सेंटर पर अब जो दवाएं आ रही है, वह बहुत अच्छी दवाएं है. जो की बेहद कारगर साबित हो रही हैं. एआरटी दवा के जरिए एड्स वायरस को नियंत्रित में रखा जा सकता है. एआरटी सेंटर में महिला पुरुष एवं बच्चे सभी उम्र के एड्स पीड़ित मरीज इलाज के लिए आते हैं. महिला और पुरुष में अगर तुलना की जाए तो एड्स से पीड़ित पुरुषों की संख्या प्रदेश में अधिक अधिक है.

एचआईवी होने के कारण : एचआईवी होने के कई कारण हो सकते हैं. सबसे प्रमुख असुरक्षित यौन संबंध बनाने से है. इसके बाद ऐसे मरीज भी हैं जो असुरक्षित टैटू या दाढ़ी कहीं बाहर बनवाते हैं, जहां मेकर्स नीडल या ब्लेड को बदलते नहीं है. सड़क किनारे बहुत से मिनी सैलून खुले होते हैं. जहां पर पुरुष असुरक्षित तरीके से दाढ़ी बनवाते हैं. कहीं बाहर मेले में घूमने निकलेंगे तो वहां पर आजकल टैटू मेकर्स हाथों पर टैटू बनाते हुए भी दिखाई देंगे, लेकिन यहां पर आम जनता को जागरूक होने की आवश्यकता है. यदि कोई भी एचआईवी पीड़ित मरीज मेले में टैटू आर्टिस्ट से अपने शरीर पर टैटू बनवाता है उसके बाद बिना नीडल व इंक को बदलें किसी दूसरे व्यक्ति का टैटू बनाता है तो सुरक्षित व्यक्ति भी एचआईवी संक्रमित हो जाएगा.


एआरटी सेंटर के आंकड़े : डॉ. नीतू गुप्ता के अुसार यूपी में एक लाख 12 हजार मरीजों की एआरटी की दवा चल रही है. केजीएमयू के एआरटी सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक एड्स से संक्रमित होते हैं. वर्ष 2023 में 3600 एचआईवी संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है. जिसमें 1875 पुरुष, 1200 महिलाएं, 250 करीब बच्चे और करीब 25 करीब ट्रांसजेंडर हैं. आरएमएल में लगभग हजार मरीज की दवाएं चल रही हैं. एआरटी दवा को 24 घंटे में एक बार दवा ली जाती है. बच्चों में वजन के हिसाब से दवा दी जाती है. 30 उम्र पार एडल्ट को एक टैबलेट दी जाती है. गर्भवती महिला को भी एक टैबलेट दी जाती है. दवा के कारण एचआईवी वायरस का प्रभाव कम हो जाता है.


यह भी पढ़ें : सालाना 12-13 लाख लोग हो रहे हैं एचआईवी संक्रमित, 6 लाख से ज्यादा लोग एड्स से गंवाते हैं जान - World AIDS Vaccine Day

यह भी पढ़ें : असुरक्षित यौन संबंध से ही नहीं बल्कि असुरक्षित टैटू और दाढ़ी बनवाने से भी होता है एचआईवी एड्स

लखनऊ : विश्व एड्स टीका दिवस एचआईवी (एड्स) से प्रभावित लाखों लोगों के लिए आशा की किरण है. एचआईवी टीका नए संक्रमणों को रोकने और महामारी को खत्म करने के लिए अहम है. इसी उद्देश्य से विश्व एड्स वैक्सीन दिवस वैक्सीन जागरूकता दिवस हर साल 18 मई को मनाया जाता है. देखें विस्तृत खबर..




एचआईवी पीड़ित मरीज को हो सकती है टीबी : केजीएमयू के एंटीरिटरोवायरल थैरेपी (एआरटी) सेंटर की एसएमओ इंचार्ज डॉ. नीतू गुप्ता ने बताया कि सामान्य जांच में एड्स के संक्रमण में आने के तीन महीने बाद टेस्ट करने पर ही एचआईवी रिपोर्ट आती है. इस बीच कई बार संक्रमित खून भी डोनेट हो जाता है और अन्य के चढ़ने से वह भी रोगग्रस्त हो जाता है. नेट टेस्टिंग मशीन से एचआईवी संक्रमण रोकने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि जब किसी मरीज को एचआईवी एड्स होता है तो मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से खत्म होने लगती है. इस स्थिति में मरीज को अन्य बीमारियां भी होने लगती हैं. जिसमें सबसे पहले एचआईवी मरीज को टीबी की बीमारी हो सकती है.


वरदान साबित हो रही एआरटी थैरेपी : एंटीरिटरोवायरल थेरेपी यानी एआरटी एड्स रोगियों के लिए वरदान साबित हो रही है. डॉ. नीतू गुप्ता ने बताया कि एआरटी थेरेपी एक प्रकार की दवाई है. जिसमें तीन प्रमुख दवाओं को एक करके बनाई गई है. एआरटी सेंटर पर अब जो दवाएं आ रही है, वह बहुत अच्छी दवाएं है. जो की बेहद कारगर साबित हो रही हैं. एआरटी दवा के जरिए एड्स वायरस को नियंत्रित में रखा जा सकता है. एआरटी सेंटर में महिला पुरुष एवं बच्चे सभी उम्र के एड्स पीड़ित मरीज इलाज के लिए आते हैं. महिला और पुरुष में अगर तुलना की जाए तो एड्स से पीड़ित पुरुषों की संख्या प्रदेश में अधिक अधिक है.

एचआईवी होने के कारण : एचआईवी होने के कई कारण हो सकते हैं. सबसे प्रमुख असुरक्षित यौन संबंध बनाने से है. इसके बाद ऐसे मरीज भी हैं जो असुरक्षित टैटू या दाढ़ी कहीं बाहर बनवाते हैं, जहां मेकर्स नीडल या ब्लेड को बदलते नहीं है. सड़क किनारे बहुत से मिनी सैलून खुले होते हैं. जहां पर पुरुष असुरक्षित तरीके से दाढ़ी बनवाते हैं. कहीं बाहर मेले में घूमने निकलेंगे तो वहां पर आजकल टैटू मेकर्स हाथों पर टैटू बनाते हुए भी दिखाई देंगे, लेकिन यहां पर आम जनता को जागरूक होने की आवश्यकता है. यदि कोई भी एचआईवी पीड़ित मरीज मेले में टैटू आर्टिस्ट से अपने शरीर पर टैटू बनवाता है उसके बाद बिना नीडल व इंक को बदलें किसी दूसरे व्यक्ति का टैटू बनाता है तो सुरक्षित व्यक्ति भी एचआईवी संक्रमित हो जाएगा.


एआरटी सेंटर के आंकड़े : डॉ. नीतू गुप्ता के अुसार यूपी में एक लाख 12 हजार मरीजों की एआरटी की दवा चल रही है. केजीएमयू के एआरटी सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक एड्स से संक्रमित होते हैं. वर्ष 2023 में 3600 एचआईवी संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है. जिसमें 1875 पुरुष, 1200 महिलाएं, 250 करीब बच्चे और करीब 25 करीब ट्रांसजेंडर हैं. आरएमएल में लगभग हजार मरीज की दवाएं चल रही हैं. एआरटी दवा को 24 घंटे में एक बार दवा ली जाती है. बच्चों में वजन के हिसाब से दवा दी जाती है. 30 उम्र पार एडल्ट को एक टैबलेट दी जाती है. गर्भवती महिला को भी एक टैबलेट दी जाती है. दवा के कारण एचआईवी वायरस का प्रभाव कम हो जाता है.


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