दुमकाः कैंसर बीमारी के क्या लक्षण हैं, बीमारी पकड़ में आ जाने के बाद क्या करें. इसकी सही जांच और इलाज कैसे हो. इन सब बातों की जानकारी देने के लिए दुमका में एक कार्यशाला का आयोजन हुआ. इसमें कैंसर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों ने आवश्यक जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इसके प्रति जागरुकता से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है. इस कार्यशाला में काफी संख्या में लोगों ने भाग लिया.
जांच और इलाज में अनावश्यक देर करने से बढ़ती है बीमारीः अक्सर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के लक्षण सामने आने पर भी मरीज जांच और इलाज में अनावश्यक विलंब कर देते हैं, जो इस बीमारी से उबरने की संभावनाओं को कम करता जाता है. प्रारंभिक अवस्था में कैंसर से संबंधित जांच और इलाज आरंभ हो तो अधिकांश मरीजों की जान बचायी जा सकती है पर संथाल परगना जैसे इलाके में जांच की सुविधा और स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता में अभाव मरीज की स्थिति को गंभीर अवस्था तक ले जाती है.
असर्फी कैंसर संस्थान धनबाद के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञ डॉ विप्लव मिश्रा ने बताया कि कैंसर के कारण होने वाली मौत का खतरा, रोग के प्रकार और स्टेज पर निर्भर करता है. कैंसर का पता लगाने और उपचार के क्षेत्र में तकनीकी प्रगति ने इस दिशा में काफी बेहतर काम किया है. इसके लिए ज़रूरी है कि लोगों को प्रारंभिक पहचान और उपचार कराना चाहिए. अगर प्रारंभिक पहचान कर बीमारी का इलाज कराया जाए तो अधिकांश रोगियों की जान बचाई जा सकती है. उन्होंने बताया कि मरीजों को टेलीथैरेपी प्रदान करने के लिए वेरियन ट्रू बीम लीनियर एक्सेलेरेटर का उपयोग किया जाता है.
जागरुकता से बच सकती है जानः विशेषज्ञों ने बताया कि आपको इस बीमारी के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है. आप जागरूक रहकर इस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं. शरीर के जिस भी भाग में चाहे वह , स्किन हो , मुहं हो , ब्रेस्ट हो या अन्य कोई अंग अगर कोई परेशानी होती है तो उसका इलाज कराने के साथ उसकी बायोप्सी कराएं. यह एक भ्रांति है कि जहां से बायोप्सी के लिये सैंपल लिए जाते हैं वहां कैंसर फैलने लगता है.
कार्यशाला में स्वस्थ जीवन शैली जीने, नियमित जांच कराने और कैंसर के लक्षणों के बारे में जागरूक रहने के महत्व के बारे में बताया गया. डॉ विप्लव मिश्रा ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में पहले स्टेज का कैंसर में 98 प्रतिशत, दूसरे स्टेज में 88 प्रतिशत तक सफलता मिल जाती है पर मरीज जब तीसरे स्टेज में आते हैं तो क्योरिटी रेट 52 प्रतिशत और चौथे स्टेज में 16 प्रतिशत हो जाती है. यह हाल के सर्वे की रिपोर्ट है. ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए 40 वर्ष से ऊपर की महिलाओं का साल में एक बार मेमोग्राफी टेस्ट कराना चाहिए.
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