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रांची में विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने रखी राय, कहा- क्लाइमेट चेंज झारखंड के लिए असुरक्षित - Workshop In Ranchi - WORKSHOP IN RANCHI

World environment day program in Ranchi. क्लाइमेट चेंज झारखंड के लिए सबसे असुरक्षित है. विश्व पर्यावरण दिवस पर रांची में आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने यह बात कही.

World Environment Day 2024
रांची में विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यशाला में मौजूद पदाधिकारी. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 5, 2024, 10:17 PM IST

रांची: विश्व पर्यावरण दिवस पर बुधवार को वन, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन एवं क्लाइमेट चेंज विभाग की ओर से रांची के होटल बीएनआर में कार्यशाला आयोजित की गई. कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं ने पर्यावरण को हर पल पहुंच रहे नुकसान का जिक्र करते हुए कहा कि झारखंड ऐसा राज्य है जो क्लाइमेट चेंज के लिए सबसे असुरक्षित है. पर्यावरण विशेषज्ञों ने कहा कि अपनी दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलाव कर के पर्यावरण को बचाने और उसे संवारने में बड़ा योगदान दे सकते हैं.

रांची में विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यशाला में अपनी बात रखते विशेषज्ञ. (वीडियो-ईटीवी भारत)

पानी के इस्तेमाल को रेगुलेट करने पर जोर

प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने गर्म होती धरती, झारखंड में पिछले 09 वर्षों से लगातार बढ़ रहे तापमान से लेकर कहा कि ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि सिर्फ कार्बन उत्सर्जन कम कर के पर्यावरण को बचाया जा सकता है, लेकिन यह आधा सच है . सच्चाई यह है कि कार्बन उत्सर्जन कम करने के साथ-साथ हमें पानी के इस्तेमाल को रेगुलेट करना होगा.

उन्होंने कहा कि "मैन मेड इंफ्रास्ट्रक्चर से उस इलाके का जीडीपी तो बढ़ जाता है, लेकिन क्वालिटी ऑफ लाइफ घट जाता है. दक्षिण अफ्रीका की राजधानी कैपटाउन को जलविहीन शहर घोषित किये जाने, बेंगलुरु में 500 वर्षों के इतिहास में पिछले दिनों हुए जलसंकट और रांची में पाताल लोक में जाते भूगर्भ जल का जिक्र करते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने कहा कि हमें पर्यावरण को बचाने के लिए हर आयाम पर काम करना होगा.

एक आंकड़े का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व में प्रति सेकंड एक एकड़ सॉयल यानी मिट्टी का लॉस हो रहा है, यह चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि विभाग आनेवाले दिनों में राज्य में 2.5 करोड़ पौधे लगाने, इस वित्तीय वर्ष में 1000 चेक डैम बनाने,180 किलोमीटर लंबी नदी किनारे हरित पट्टी विकसित करने की योजना पर आगे बढ़ रहा है.

पर्यावरण संरक्षण के लिए अलग-अलग विभागों का साथ जरूरी

उन्होंने कहा कि 10 अलग-अलग विभागों को एक साथ लेकर एक अम्ब्रेला बनाकर पर्यावरण को बचाने की दिशा में काम करना है.उन्होंने मंच से यह सलाह भी दी कि जिस तरह से उज्जैन में मॉर्निंग वॉकर से ऑक्सीजन टैक्स लेकर उससे बाग डेवलप किए जा रहे हैं ,वैसा ही कुछ प्रावधान यहां भी किया जाना चाहिए.

पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वालों को किया सम्मानित

विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में पर्यावरण को बचाने की दिशा में बेहतरीन काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया. पर्यावरण दिवस को लेकर अलग-अलग समय पर आयोजित प्रतियोगिता के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया.

1973 में पहली बार मनाया गया था 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस

पर्यावरण को बचाये रखने के लिए वैश्विक संकल्प के साथ 1973 में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था, तब से हर वर्ष अलग-अलग थीम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इस बार का थीम हमारी भूमि, हमारा भविष्य ...भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण रोकना और सूखे से मुकाबला करना है .

जल बहाव के कारण मिट्टी का होता है क्षय

राज्य के मुख्य वन संरक्षक (शोध) सिद्धार्थ त्रिपाठी ने विश्व पर्यावरण दिवस पर इसरो से प्राप्त जानकारी को साझा करते हुए कहा कि राज्य में जल के बहाव से मिट्टी का क्षय बड़ी मात्रा में हो रहा है. उन्होंने कहा कि सिर्फ बढ़िया तरीके से मेड़बंदी कर राज्य में लगभग 48 लाख हेक्टयर में मिट्टी का कटाव को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि कई ऐसी तकनीक हैं जिनका इस्तेमाल कर हम अपने-अपने टांड़ क्षेत्र वाले खेतों में नमी बढ़ा सकते हैं और सिंचाई की भी व्यवस्था कर सकते हैं.

बागवानी से पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मिल सकती है मदद

उन्होंने कहा कि सिर्फ बागवानी से राज्य के लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक हो सकती है, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने में मदद मिल सकता है. उन्होंने कहा कि चैक डैम बनाकर वनों से बहकर बेकार चले जाने वाले 80 % वर्षा जल को बचाया जा सकता है, बल्कि मिट्टी का अपरदन रोका जा सकता है.

योजनाओं को सही ढंग से धरातल पर उतारने की जरूरतः सुंदर पालीवाल

राजस्थान से आए पर्यावरणविद पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल ने कहा कि सभी जनप्रतिनिधि अगर सरकारी योजनाओं को सही ढंग से धरातल पर उतार दें तो पर्यावरण भी सुधरेगा और ग्रामीण लोगों की आय भी बढ़ेगी.

कार्यक्रम में ये भी थे मौजूद

इस कार्यक्रम में वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव वंदना डाडेल, पीसीसीएफ संजय श्रीवास्तव, मुख्य वन संरक्षक शोध सिद्धार्थ त्रिपाठी, सीड के प्रबंध निदेशक अश्विनी अशोक के साथ-साथ राजस्थान में वन एवं पर्यावरण पर बेहतरीन कार्य कर पद्मश्री पाने वाले समाजसेवी श्याम सुंदर पालीवाल ने भी शिरकत की.

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रांची: विश्व पर्यावरण दिवस पर बुधवार को वन, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन एवं क्लाइमेट चेंज विभाग की ओर से रांची के होटल बीएनआर में कार्यशाला आयोजित की गई. कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं ने पर्यावरण को हर पल पहुंच रहे नुकसान का जिक्र करते हुए कहा कि झारखंड ऐसा राज्य है जो क्लाइमेट चेंज के लिए सबसे असुरक्षित है. पर्यावरण विशेषज्ञों ने कहा कि अपनी दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलाव कर के पर्यावरण को बचाने और उसे संवारने में बड़ा योगदान दे सकते हैं.

रांची में विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यशाला में अपनी बात रखते विशेषज्ञ. (वीडियो-ईटीवी भारत)

पानी के इस्तेमाल को रेगुलेट करने पर जोर

प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने गर्म होती धरती, झारखंड में पिछले 09 वर्षों से लगातार बढ़ रहे तापमान से लेकर कहा कि ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि सिर्फ कार्बन उत्सर्जन कम कर के पर्यावरण को बचाया जा सकता है, लेकिन यह आधा सच है . सच्चाई यह है कि कार्बन उत्सर्जन कम करने के साथ-साथ हमें पानी के इस्तेमाल को रेगुलेट करना होगा.

उन्होंने कहा कि "मैन मेड इंफ्रास्ट्रक्चर से उस इलाके का जीडीपी तो बढ़ जाता है, लेकिन क्वालिटी ऑफ लाइफ घट जाता है. दक्षिण अफ्रीका की राजधानी कैपटाउन को जलविहीन शहर घोषित किये जाने, बेंगलुरु में 500 वर्षों के इतिहास में पिछले दिनों हुए जलसंकट और रांची में पाताल लोक में जाते भूगर्भ जल का जिक्र करते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने कहा कि हमें पर्यावरण को बचाने के लिए हर आयाम पर काम करना होगा.

एक आंकड़े का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व में प्रति सेकंड एक एकड़ सॉयल यानी मिट्टी का लॉस हो रहा है, यह चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि विभाग आनेवाले दिनों में राज्य में 2.5 करोड़ पौधे लगाने, इस वित्तीय वर्ष में 1000 चेक डैम बनाने,180 किलोमीटर लंबी नदी किनारे हरित पट्टी विकसित करने की योजना पर आगे बढ़ रहा है.

पर्यावरण संरक्षण के लिए अलग-अलग विभागों का साथ जरूरी

उन्होंने कहा कि 10 अलग-अलग विभागों को एक साथ लेकर एक अम्ब्रेला बनाकर पर्यावरण को बचाने की दिशा में काम करना है.उन्होंने मंच से यह सलाह भी दी कि जिस तरह से उज्जैन में मॉर्निंग वॉकर से ऑक्सीजन टैक्स लेकर उससे बाग डेवलप किए जा रहे हैं ,वैसा ही कुछ प्रावधान यहां भी किया जाना चाहिए.

पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वालों को किया सम्मानित

विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में पर्यावरण को बचाने की दिशा में बेहतरीन काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया. पर्यावरण दिवस को लेकर अलग-अलग समय पर आयोजित प्रतियोगिता के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया.

1973 में पहली बार मनाया गया था 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस

पर्यावरण को बचाये रखने के लिए वैश्विक संकल्प के साथ 1973 में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था, तब से हर वर्ष अलग-अलग थीम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इस बार का थीम हमारी भूमि, हमारा भविष्य ...भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण रोकना और सूखे से मुकाबला करना है .

जल बहाव के कारण मिट्टी का होता है क्षय

राज्य के मुख्य वन संरक्षक (शोध) सिद्धार्थ त्रिपाठी ने विश्व पर्यावरण दिवस पर इसरो से प्राप्त जानकारी को साझा करते हुए कहा कि राज्य में जल के बहाव से मिट्टी का क्षय बड़ी मात्रा में हो रहा है. उन्होंने कहा कि सिर्फ बढ़िया तरीके से मेड़बंदी कर राज्य में लगभग 48 लाख हेक्टयर में मिट्टी का कटाव को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि कई ऐसी तकनीक हैं जिनका इस्तेमाल कर हम अपने-अपने टांड़ क्षेत्र वाले खेतों में नमी बढ़ा सकते हैं और सिंचाई की भी व्यवस्था कर सकते हैं.

बागवानी से पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मिल सकती है मदद

उन्होंने कहा कि सिर्फ बागवानी से राज्य के लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक हो सकती है, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने में मदद मिल सकता है. उन्होंने कहा कि चैक डैम बनाकर वनों से बहकर बेकार चले जाने वाले 80 % वर्षा जल को बचाया जा सकता है, बल्कि मिट्टी का अपरदन रोका जा सकता है.

योजनाओं को सही ढंग से धरातल पर उतारने की जरूरतः सुंदर पालीवाल

राजस्थान से आए पर्यावरणविद पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल ने कहा कि सभी जनप्रतिनिधि अगर सरकारी योजनाओं को सही ढंग से धरातल पर उतार दें तो पर्यावरण भी सुधरेगा और ग्रामीण लोगों की आय भी बढ़ेगी.

कार्यक्रम में ये भी थे मौजूद

इस कार्यक्रम में वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव वंदना डाडेल, पीसीसीएफ संजय श्रीवास्तव, मुख्य वन संरक्षक शोध सिद्धार्थ त्रिपाठी, सीड के प्रबंध निदेशक अश्विनी अशोक के साथ-साथ राजस्थान में वन एवं पर्यावरण पर बेहतरीन कार्य कर पद्मश्री पाने वाले समाजसेवी श्याम सुंदर पालीवाल ने भी शिरकत की.

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