ETV Bharat / state

पी-पेसा कानून पर पाकुड़ में कार्यशाला का आयोजन, बुद्धिजीवियों ने सरकार पर भ्रम फैलाने का लगाया आरोप - PESA ACT

पाकुड़ में पी-पेसा कानून पर एक कार्यशाला आयोजित की गई. जिसमें आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों ने झारखंड में पी-पेसा कानून लागू करने पर जोर दिया.

PESA Act
पाकुड़ में पी-पेसा कानून पर आयोजित कार्यशाला में मौजूद आदिवासी समाज के बुद्धिजीवी. (कोलाज इमेज-ईटीवी भारत)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 29, 2024, 1:52 PM IST

पाकुड़ः आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के बैनर तले पी-पेसा कानून को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिला मुख्यालय के एक होटल में आयोजित कार्यशाला में संथाल परगना प्रमंडल के ग्राम प्रधान, परगना के अलावा आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया.

पी-पेसा कानून की चर्चा

कार्यशाला में मुख्य रूप से आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर मालतो मौजूद रहे. कार्यशाला में पी-पेसा कानून 1996 के तहत आदिवासियों को दिए गए अधिकार पर चर्चा की गई. इस दौरान आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों ने पी-पेसा एक्ट झारखंड सरकार द्वारा लागू नहीं किए जाने पर चिंता व्यक्त की और अधिकारियों पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया गया.

पी-पेसा कानून पर अपनी बात रखते आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर मालतो. (वीडियो-ईटीवी भारत)

अधिकारी फैला रहे हैं भ्रम

कार्यशाला को संबोधित करते हुए विक्टर मालतो ने कहा कि 1996 में पारित पी-पेसा कानून में अनुसूचित क्षेत्रों के लिए पंचायतों के उपबंधों का विस्तार किया गया है, लेकिन सरकार के अधिकारी बता रहे हैं कि अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती व्यवस्था का विस्तार किया गया है. इसके चलते आदिवासी समुदाय में भ्रम की स्थिति है. उन्होंने कहा कि पेसा कानून में आदिवासियों को कई शक्तियां प्रदान की गई हैं, लेकिन राज्य सरकार इस कानून के तहत नियमावली नहीं बना रही है. जिसके चलते बीते 24 साल से आदिवासियों के सामाजिक, आर्थिक विकास के साथ-साथ साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत से भी वंचित होना पड़ रहा है.

सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

विक्टर मालतो ने कहा कि सरकार की मंशा ग्राम सभाओं की शक्तियों को कम करना है. इसलिए पी-पेसा कानून के प्रावधानों को पुरी तरह लागू नहीं किया जा रहा. उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से पी-पेसा कानून के बारे में ग्राम प्रधानों को उनके अधिकार की जानकारी दी जा रही, ताकि आदिवासी और मूलवासियों में भ्रम की स्थिति नहीं रहे.

विक्टर मालतो ने कहा कि वर्तमान सरकार ने पी-पेसा 1996 से पी हो हटाते हुए सिर्फ पेसा पर कार्यशाला रखा और त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को थोपने का प्रयास किया. इसी भ्रम को दूर करने के लिए और पी-पेसा में जो 23 अधिकार हैं उसकी जानकारी आदिवासियों-मूलवासियों को मिल सके इसी उद्देश्य से यह कार्यशाला आयोजित की गई है.उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासियों और मूलवासियों को भ्रमित करने और ठगने का काम छोड़ दें. उन्होंने कहा कि यदि अपने अधिकारों के लिए आदिवासियों को न्यायालय का शरण लेना पड़े तो यह शर्म की बात है.

ये भी पढ़ें-

झारखंड में पी-पेसा कानून पर सरकार कंफ्यूज या टीएसी! अनुदान राशि कटने का है खतरा, कहां है पेंच, कौन भुगत रहा खामियाजा - पंचायती राज विभाग की निदेशक निशा उरांव

झारखंड में कब बनेगा पी-पेसा रूल्स ? आदिवासी बुद्धिजीवी मंच का आरोप, हाईकोर्ट के आदेश की हो रही है अनदेखी, राज्यपाल और सीएजी से जांच की मांग - Jharkhand P PESA Rules - JHARKHAND P PESA RULES

पेसा दिवस पर रांची में राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन, पंचायती राज निदेशक ने एक्ट को लेकर दिया बड़ा बयान - PESA DAY

पेसा कानून दिवस आज, पर आज भी अधिकारों से वंचित है झारखंड का आदिवासी समाज! कई संगठन लड़ रहे हैं कानूनी लड़ाई - PESA LAW DAY

पाकुड़ः आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के बैनर तले पी-पेसा कानून को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिला मुख्यालय के एक होटल में आयोजित कार्यशाला में संथाल परगना प्रमंडल के ग्राम प्रधान, परगना के अलावा आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया.

पी-पेसा कानून की चर्चा

कार्यशाला में मुख्य रूप से आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर मालतो मौजूद रहे. कार्यशाला में पी-पेसा कानून 1996 के तहत आदिवासियों को दिए गए अधिकार पर चर्चा की गई. इस दौरान आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों ने पी-पेसा एक्ट झारखंड सरकार द्वारा लागू नहीं किए जाने पर चिंता व्यक्त की और अधिकारियों पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया गया.

पी-पेसा कानून पर अपनी बात रखते आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर मालतो. (वीडियो-ईटीवी भारत)

अधिकारी फैला रहे हैं भ्रम

कार्यशाला को संबोधित करते हुए विक्टर मालतो ने कहा कि 1996 में पारित पी-पेसा कानून में अनुसूचित क्षेत्रों के लिए पंचायतों के उपबंधों का विस्तार किया गया है, लेकिन सरकार के अधिकारी बता रहे हैं कि अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती व्यवस्था का विस्तार किया गया है. इसके चलते आदिवासी समुदाय में भ्रम की स्थिति है. उन्होंने कहा कि पेसा कानून में आदिवासियों को कई शक्तियां प्रदान की गई हैं, लेकिन राज्य सरकार इस कानून के तहत नियमावली नहीं बना रही है. जिसके चलते बीते 24 साल से आदिवासियों के सामाजिक, आर्थिक विकास के साथ-साथ साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत से भी वंचित होना पड़ रहा है.

सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

विक्टर मालतो ने कहा कि सरकार की मंशा ग्राम सभाओं की शक्तियों को कम करना है. इसलिए पी-पेसा कानून के प्रावधानों को पुरी तरह लागू नहीं किया जा रहा. उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से पी-पेसा कानून के बारे में ग्राम प्रधानों को उनके अधिकार की जानकारी दी जा रही, ताकि आदिवासी और मूलवासियों में भ्रम की स्थिति नहीं रहे.

विक्टर मालतो ने कहा कि वर्तमान सरकार ने पी-पेसा 1996 से पी हो हटाते हुए सिर्फ पेसा पर कार्यशाला रखा और त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को थोपने का प्रयास किया. इसी भ्रम को दूर करने के लिए और पी-पेसा में जो 23 अधिकार हैं उसकी जानकारी आदिवासियों-मूलवासियों को मिल सके इसी उद्देश्य से यह कार्यशाला आयोजित की गई है.उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासियों और मूलवासियों को भ्रमित करने और ठगने का काम छोड़ दें. उन्होंने कहा कि यदि अपने अधिकारों के लिए आदिवासियों को न्यायालय का शरण लेना पड़े तो यह शर्म की बात है.

ये भी पढ़ें-

झारखंड में पी-पेसा कानून पर सरकार कंफ्यूज या टीएसी! अनुदान राशि कटने का है खतरा, कहां है पेंच, कौन भुगत रहा खामियाजा - पंचायती राज विभाग की निदेशक निशा उरांव

झारखंड में कब बनेगा पी-पेसा रूल्स ? आदिवासी बुद्धिजीवी मंच का आरोप, हाईकोर्ट के आदेश की हो रही है अनदेखी, राज्यपाल और सीएजी से जांच की मांग - Jharkhand P PESA Rules - JHARKHAND P PESA RULES

पेसा दिवस पर रांची में राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन, पंचायती राज निदेशक ने एक्ट को लेकर दिया बड़ा बयान - PESA DAY

पेसा कानून दिवस आज, पर आज भी अधिकारों से वंचित है झारखंड का आदिवासी समाज! कई संगठन लड़ रहे हैं कानूनी लड़ाई - PESA LAW DAY

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.