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37 समकालीन महिला कलाकारों की कृतियां AIFACS गैलरी में किया गया प्रदर्शित

AIFACS Gallery: साहित्य कला परिषद द्वारा एआईएफएसीएस गैलरी में 37 समकालीन महिला कलाकारों की कृतियाँ प्रदर्शित की गई. इस प्रदर्शनी को वामा उत्सव नाम दिया गया है.

साहित्य कला परिषद
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 30, 2024, 8:30 PM IST

साहित्य कला परिषद

नई दिल्ली: साहित्य कला परिषद द्वारा 37 समकालीन महिला कलाकारों की कृतियों को एआईएफएसीएस गैलरी में प्रदर्शित किया गया. छह दिनों तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में कलाकारों की पेंटिंग, चित्र, प्रिंट, ग्राफिक्स, मूर्तिकला आदि विविध कलात्मक अभिव्यक्तियों को शामिल किया गया है.

दरअसल, एक महिला के जीवन में कई तरह के संघर्ष होते हैं. वह अपने सारे सपनों को साकार करने के लिए हर सफल प्रयास करती है. इसी विषय को दर्शाने वाली एक सुंदर चित्रकारी को 1 रफी मार्ग स्थित एआईएफएसीएस गैलरी में प्रदर्शित किया गया है. चित्रकार गुलिस्तां सिद्दीकी ने बताया कि उन्होंने पेंटिंग का नाम अवेटेड दिया है. इसमें एक महिला की छवि को इंतजार के रूप में दर्शाया है.

साथ ही इसमें एक कौए का चित्र भी बनाया है. हिन्दू मान्यता के मुताबिक अगर घर के बाहर कौआ बोलता है तो इसका मतलब कोई आने वाला है. इस चित्रकारी में यही दर्शाया गया है कि महिला घर के बाहर बैठे कौए को देख कर ये अनुमान लगा रही है की कोई आने वाला है.

प्रदर्शनी में कलाकार वंदना कुमारी 'बीइंग अ गर्ल चाइल्ड' और 'इन डीप फैंटेसी' जैसी प्रभावशाली पेंटिंग्स के माध्यम से हिंसा, लैंगिक असमानता और सामाजिक दबाव जैसे सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालती हैं. उनकी कला सामाजिक चुनौतियों के बीच मानवीय स्थिति को दर्शाते हुए महिलाओं की वैश्विक मुक्ति की पैरवी करती है. वंदना ने बताया कि उन्होंने महिलाओं और बच्चियों की आजादी को दर्शाने वाली कृति को प्रदर्शनी में प्रस्तुत किया है.

साहित्य कला परिषद के प्रोग्राम ऑफिसर विनीत पालीवाल ने बताया कि 2012 में साहित्य कला परिसर ने वामा उत्सव की शुरुआत की थी. इसको शुरू करने की मुख्य वजह यह थी कि दिल्ली में रहने वाली जो भी समकालीन महिला कलाकार है उनकी कला को एक मंच दिया जा सके. इस बार कला उत्सव वामा में 37 समकालीन महिला कलाकारों ने अपनी चमक बिखेरी है.

प्रदर्शनी में बुला भट्टाचार्य के विचारोत्तेजक डिजिटल प्रिंट, 'खोज-1' और 'खोज-2' में कलाप्रेमियों को अभिलेखीय कागजात के जरिए चेतना की प्रकृति और मानसिक अस्तित्व की पहेली को समझने में मदद मिलती है. ये कलाकृतियां स्वयं एवं बाहरी दुनिया के अनदेखे पहलुओं को उजागर करती है. इसी तरह, अन्नू गुप्ता की 'चेंजिंग मैट्रिक्स' समय और स्पेस की परस्पर क्रिया की पड़ताल करती हुई व्यक्तिगत अनुभव और जीवन के विशिष्ट अर्थ को नया आयाम देती है.

अनिता तंवर की '2 सखिया नमक' पेंटिंग भी सबका ध्यान खींचती है, जिसमें कलाप्रेमी रंगों के संयोजन के माध्यम से भावनात्मक गहराई महसूस करते हैं. इसी तरह आर्ट गैलरी में रेनू जैन की कलाकृति 'इंटरट्विंड विद नेचर' भी कला-प्रेमियों का ध्यान खींचती है. इसमें प्रकृति के साथ जीवन का सीधा जुड़ाव दिखता है. इसके अलावा, अंजू कौशिक की कलाकृति और टिम्सी गुप्ता की मूर्तियां 'सिम्फनी' और 'पाथ ऑफ लाइफ' भी दर्शनीय है.

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नई दिल्ली: साहित्य कला परिषद द्वारा 37 समकालीन महिला कलाकारों की कृतियों को एआईएफएसीएस गैलरी में प्रदर्शित किया गया. छह दिनों तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में कलाकारों की पेंटिंग, चित्र, प्रिंट, ग्राफिक्स, मूर्तिकला आदि विविध कलात्मक अभिव्यक्तियों को शामिल किया गया है.

दरअसल, एक महिला के जीवन में कई तरह के संघर्ष होते हैं. वह अपने सारे सपनों को साकार करने के लिए हर सफल प्रयास करती है. इसी विषय को दर्शाने वाली एक सुंदर चित्रकारी को 1 रफी मार्ग स्थित एआईएफएसीएस गैलरी में प्रदर्शित किया गया है. चित्रकार गुलिस्तां सिद्दीकी ने बताया कि उन्होंने पेंटिंग का नाम अवेटेड दिया है. इसमें एक महिला की छवि को इंतजार के रूप में दर्शाया है.

साथ ही इसमें एक कौए का चित्र भी बनाया है. हिन्दू मान्यता के मुताबिक अगर घर के बाहर कौआ बोलता है तो इसका मतलब कोई आने वाला है. इस चित्रकारी में यही दर्शाया गया है कि महिला घर के बाहर बैठे कौए को देख कर ये अनुमान लगा रही है की कोई आने वाला है.

प्रदर्शनी में कलाकार वंदना कुमारी 'बीइंग अ गर्ल चाइल्ड' और 'इन डीप फैंटेसी' जैसी प्रभावशाली पेंटिंग्स के माध्यम से हिंसा, लैंगिक असमानता और सामाजिक दबाव जैसे सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालती हैं. उनकी कला सामाजिक चुनौतियों के बीच मानवीय स्थिति को दर्शाते हुए महिलाओं की वैश्विक मुक्ति की पैरवी करती है. वंदना ने बताया कि उन्होंने महिलाओं और बच्चियों की आजादी को दर्शाने वाली कृति को प्रदर्शनी में प्रस्तुत किया है.

साहित्य कला परिषद के प्रोग्राम ऑफिसर विनीत पालीवाल ने बताया कि 2012 में साहित्य कला परिसर ने वामा उत्सव की शुरुआत की थी. इसको शुरू करने की मुख्य वजह यह थी कि दिल्ली में रहने वाली जो भी समकालीन महिला कलाकार है उनकी कला को एक मंच दिया जा सके. इस बार कला उत्सव वामा में 37 समकालीन महिला कलाकारों ने अपनी चमक बिखेरी है.

प्रदर्शनी में बुला भट्टाचार्य के विचारोत्तेजक डिजिटल प्रिंट, 'खोज-1' और 'खोज-2' में कलाप्रेमियों को अभिलेखीय कागजात के जरिए चेतना की प्रकृति और मानसिक अस्तित्व की पहेली को समझने में मदद मिलती है. ये कलाकृतियां स्वयं एवं बाहरी दुनिया के अनदेखे पहलुओं को उजागर करती है. इसी तरह, अन्नू गुप्ता की 'चेंजिंग मैट्रिक्स' समय और स्पेस की परस्पर क्रिया की पड़ताल करती हुई व्यक्तिगत अनुभव और जीवन के विशिष्ट अर्थ को नया आयाम देती है.

अनिता तंवर की '2 सखिया नमक' पेंटिंग भी सबका ध्यान खींचती है, जिसमें कलाप्रेमी रंगों के संयोजन के माध्यम से भावनात्मक गहराई महसूस करते हैं. इसी तरह आर्ट गैलरी में रेनू जैन की कलाकृति 'इंटरट्विंड विद नेचर' भी कला-प्रेमियों का ध्यान खींचती है. इसमें प्रकृति के साथ जीवन का सीधा जुड़ाव दिखता है. इसके अलावा, अंजू कौशिक की कलाकृति और टिम्सी गुप्ता की मूर्तियां 'सिम्फनी' और 'पाथ ऑफ लाइफ' भी दर्शनीय है.

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