रांचीः आचार संहिता खत्म होते ही सरकारी विभागों में रौनक लौट आई है.लोकसभा चुनाव के कारण इस साल 16 मार्च से आदर्श आचार संहिता लागू थी. जिस वजह से नए विकास योजनाओं के साथ-साथ सरकार का कामकाज प्रभावित था. ऐसे में आचार संहिता हटते ही सचिवालय से लेकर जिला स्तर के सरकारी दफ्तरों में शुक्रवार को कामकाज सामान्य रूप से शुरू हुआ. राज्य सरकार के प्रोजेक्ट भवन और नेपाल हाउस स्थित सचिवालय में मंत्री से लेकर विभागीय सचिव अपने अपने चेंबर में सरकारी फाइलों को निपटाते देखे गए.
कृषि मंत्री ने विभागीय सचिव संग की बैठक
इस दौरान नेपाल हाउस स्थित सचिवालय में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख अपने विभागीय सचिव के साथ बैठक करते देखे गए. ईटीवी भारत से बात करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि ऋण माफी से लेकर बजट में किए गए प्रावधान को जमीन पर तेजी से उतारने के प्रयास किए जा रहे हैं.उन्होंने कहा कि आगे जनता के बीच भी जाना है. इस उद्देश्य से योजनाओं को तेजी से लागू करने के आदेश दिए गए हैं.
विकास योजनाओं को तेजी से धरातल पर उतारने में जुटी चंपाई सरकार
लोकसभा चुनाव के बाद जैसे ही आदर्श आचार संहिता समाप्त हुआ है सरकार विकास योजनाओं को तेजी से जमीन पर उतारने में जुट गई है.इसकी झलक सरकारी दफ्तरों में देखी गई. विकास आयुक्त के नेतृत्व में बनी योजना प्राधिकृत समिति द्वारा सभी विभागों से नई योजनाओं के साथ-साथ विभाग के कामकाज को लेकर 11 जून तक ब्लू प्रिंट मांगा गया है.
सीएम चंपाई 11 जून को करेंगे विभागों की समीक्षा
चूंकि विधानसभा चुनाव सामने है इस लिहाज से सरकार ने लंबित योजनाओं के साथ साथ विभाग में खाली पड़े पदों को भरने, किसानों को कृषि ऋणमाफ करने जैसी योजनाओं पर तेजी से काम करने के लिए मास्टर प्लान बनाया है.इसको लेकर खुद मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन विभागवार समीक्षा 11 जून से करने वाले हैं.
सरकारी दफ्तरों में कामकाज ने पकड़ी रफ्तार
इस संबंध में झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा कहते हैं कि रुटीन कामकाज को छोड़कर चुनाव के वक्त नई विकास योजनाएं नहीं शुरू की जा रही थी, लेकिन अब आचार संहिता समाप्त हो चुका है तो आज से कामकाज में गति जरूर आई है.
तीन माह में नई और लंबित योजनाओं को धरातल पर उतारने की चुनौती
बहरहाल, राज्य में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं.इस लिहाज से सरकार के पास कहने के लिए भले ही पांच महीने अभी शेष हैं, लेकिन इसी में त्योहार के साथ-साथ मानसून भी विकास योजनाओं को प्रभावित करेगा. ऐसे में कुल मिलाकर तीन महीने में सरकार के लिए अपनी सभी लंबित योजनाओं के साथ-साथ नई योजनाओं को जमीन पर उतार पाना बेहद ही चुनौतीपूर्ण है.
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