इंदौर। विभिन्न सेक्टरों में काम के प्रति महिलाओं की सक्रिय भागीदारी और हर क्षेत्र में उनकी प्रतिबद्धता के मद्देनजर अब कई कंपनियां पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा रोजगार ऑफर कर रही है. यही वजह है कि अब न केवल महंगी शिक्षा वाले प्राइवेट निजी संस्थाओं और इंस्टिट्यूट के अलावा प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में भी अब कंपनियां कैंपस ड्राइव के लिए पहुंच रही है. ऐसे में न केवल जरूरतमंद युवतियों को उनके कॉलेज से ही रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. वहीं कंपनियों को भी योग्य और होनहार वर्कफोर्स न्यूनतम सैलरी में ही उपलब्ध हो पा रहा है.
कैंपस ड्राइव में डेढ़ दर्जन से ज्यादा कंपनियां रोजगार देने पहुंची
देश में वुमन वर्कफोर्स बढ़ाने के साथ छात्राओं को रोजगार की दिशा में मध्य प्रदेश के शासकीय कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राओं को उनकी योग्यता के मुताबिक बेहतर रोजगार उपलब्ध कराने के अब सामूहिक प्रयास हो रहे हैं. इस क्रम में आज इंदौर के न्यू जीडीसी गर्ल्स कॉलेज में आयोजित कैंपस ड्राइव में करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा कंपनियां कॉलेज छात्राओं को रोजगार देने कॉलेज पहुंची. इन कंपनियों में आईटी सेक्टर की 6 कंपनियों और लघु उद्योग भारती से जुड़ी कई इंडस्ट्री शामिल थी. जहां सुबह से शाम तक छात्राओं ने अपनी डिग्री और योग्यता के मुताबिक विभिन्न कंपनियों में कई पदों के लिए इंटरव्यू दिए.
महिलाओं की भागीदारी होगी सुनिश्चित
बताया जा रहा है कि कंपनियों के लिए यहां सैकड़ों छात्राओं का चयन होना तय है. जिसके फलस्वरुप अब सरकारी कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को आर्थिक स्वतंत्रता के साथ बेहतर प्लेसमेंट मिल सकेगा. इसके अलावा कॉलेज से जुड़े मध्य एवं लघु उद्योग संगठन के अलावा कई बड़े अस्पताल और अन्य सेक्टर से जुड़े उद्योगों में भी लोन के अलावा कामकाज ऑफर किए गए. जहां छात्राएं अपने रोजगार और स्वरोजगार को लेकर बेहतर विकल्प चुन पाने की स्थिति में हैं. कॉलेज की प्लेसमेंट ऑफिसर सीमा शर्मा बताती है कि देश की आर्थिक प्रगति में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उनके कॉलेज में छात्राओं के लिए जितने भी कैंपस ड्राइव हुए उनमें विभिन्न वर्ग की जरूरतमंद छात्राओं को रोजगार के अवसर मिले.
वुमेन वर्कफोर्स की वृद्धि की दिशा में भी सुखद संकेत
जिसके कारण न केवल उनके बल्कि उनके परिवार के जीवन स्तर में सुधार आया है. इसके अलावा पारंपरिक डिग्री और कोर्स करने वाली छात्राओं को कई तरह की इंटर्नशिप प्रोग्राम ऑफर किया जा रहे हैं. जिनमें डिजिटल मार्केटिंग ग्राफिक डिजाइनिंग और आईटी सेक्टर की कंपनियों में इंटर्नशिप के अवसर हैं. जिसके कारण विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाली छात्राओं को उनके स्किल के मुताबिक रोजगार मिल पा रहा है. वहीं कॉलेज के प्रोफेसर सादिक खान का कहना है कि छात्रों के कॉलेज में कैंपस ड्राइव होने के कारण छात्राएं न केवल फ्रॉड कंपनियों के बहकावे में आप आती हैं, न ही रोजगार के नाम पर उनका आर्थिक और सामाजिक शोषण हो पाता है. यही वजह है कि वर्तमान में जितने कॉलेज में कैंपस ड्राइव हो रहे हैं. उनमें छात्र-छात्राओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. यह देश के वुमेन वर्कफोर्स की वृद्धि की दिशा में भी सुखद संकेत है.
महिलाओं की भागीदारी 26 परसेंट
गौरतलब है भारतीय कंपनियों में महिलाओं की भागीदारी 2023 में करीब 26 फीसदी हो चुकी है, हालांकि हायर और लोअर वाले उद्योगों के बीच महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी कम है. जिसमें 38 फीसदी का अंतर है, लेकिन इसके बावजूद नौकरी में रहने वाली महिलाएं अपनी प्रोफाइल को लेकर मजबूत प्रतिबद्धता दर्शाती हैं. यही वजह है कि कॉरपोरेट सेक्टर के अलावा विभिन्न क्षेत्र में महिलाओं को अधिक रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं.
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गौर करने वाली बात यह भी है कि देश में महिलाओं को रोजगार और वर्कप्लेस पर जिम्मेदारी के मामले में भारत की स्थिति अपने पड़ोसी देशों से बहुत नीचे है. चीन में महिलाओं का योगदान 41 फीसदी है. जबकि वियतनाम में महिलाओं का 40 फीसदी योगदान है. इसी तरह जापान की अर्थव्यवस्था में महिलाएं 33 फीसदी और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में 29 फीसदी योगदान दर्शाती हैं. यही वजह है कि अब 2030 तक वर्कफोर्स में 50 फीसदी महिलाओं को शामिल करने के प्रयास हो रहे हैं. जिससे कि देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा सके.