पलामू: कभी घर की देहरी के अंदर रहने वाली महिलाएं आज आत्मनिर्भरता की राह पर चल पड़ी हैं. स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर महिलाएं न केवल स्वरोजगार से जुड़ रही हैं बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी आया है. वह भीड़ के बीच अपनी बात रखने में सक्षम हुईं हैं. जो महिलाएं थोड़े से पैसे के लिए अपने पति और परिवार पर निर्भर रहती हैं, वे अब आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रही हैं. वे साल में लाख रुपए से भी ज्यादा की आय कर रही हैं.
महिलाएं सिलाई केंद्र खोलकर, कपड़े सिलकर, आटा चक्की चलाकर, बांस शिल्प के निर्माण में शामिल होकर अन्य आकर्षक सजावट का साजो सामान और कपड़े बनाकर आर्थिक आय अर्जित करने में लगी हुई हैं. कई महिलाएं होटल और किराने की दुकानें चलाकर और छोटी-छोटी बचत का सहारा लेकर अपने परिवार की आर्थिक मदद कर रही हैं. इससे उनका परिवार आर्थिक रूप से सशक्त हो रहा है.
1600 से ज्यादा गांवों में 18 हजार से ज्यादा सखी मंडल
झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की डीपीएम शांति मार्डी ने बताया कि जेएसएलपीएस द्वारा संचालित राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम के तहत पलामू जिले में 1657 गांवों में 18,470 सखी मंडल, 1310 ग्राम संगठन और 60 क्लस्टर संगठन का गठन किया गया है, जिससे 2 लाख 12 हजार 350 परिवार लाभान्वित हो रहे हैं. 17,905 सखी मंडल सहित ग्राम संगठनों और क्लस्टर संगठनों को रिवॉल्विंग फंड के रूप में 27.26 करोड़ रुपये, सामुदायिक निवेश निधि के रूप में 92.89 करोड़ रुपये और स्थापना निधि के रूप में 4.47 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है. 259.47 करोड़ रुपये का क्रेडिट लिंकेज हो चुका है. आजीविका संवर्धन के लिए 16,659 सखी मंडलों को प्रथम बैंक ऋण के रूप में 166.5 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करायी गयी है. साथ ही 12 हजार 19 सखी मंगलों को 324.3 करोड़ रुपये की राशि अतिरिक्त ऋण के रूप में उपलब्ध कराई गई है, जिससे स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपनी आजीविका को मजबूत और समृद्ध बना रही हैं.
मेकअप शॉप के जरिए 40 हजार तक की कमाई
हुसैनाबाद प्रखंड की सूर्यकांति देवी श्रृंगार दुकान और सीएससी से प्रति माह 12 से 15 हजार रुपये कमाती हैं. शादी-ब्याह के समय इनकी आय 30 से 40 हजार रुपये तक पहुंच जाती है. सूर्य कांति देवी शिवम सखी मंडल से जुड़ी हैं. इससे पहले वह अपने पति के साथ गुजरात में रहती थीं. सूर्य कांति देवी के पति वहीं काम करते थे. कोरोना काल में कुछ करने की सोची तो 2021 में सीएससी खोलकर चलाना शुरू किया, लेकिन संतोषजनक आय नहीं हुई. इसके बाद उन्होंने 2022 में मेकअप की दुकान खोलने के लिए समूह से 1 लाख 20 हजार रुपये का ऋण लिया. कांति ने बताया कि एक समय वह अपने पति की कमाई पर निर्भर थीं, लेकिन आज वह उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं.
सब्जी बेचकर होती है 20 हजार रुपये तक की आय
हुसैनाबाद प्रखंड के दंगवार गांव की रीता देवी सब्जी बेचकर प्रति माह 15 से 20 हजार रुपये कमा रही हैं. रीता वर्ष 2018 में पार्वती सखी मंडल से जुड़ीं. समूह से जुड़ने से पहले वह एक गृहिणी थीं. समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने ऋण लिया और कृषि कार्य में जुट गईं. उन्होंने खेत में बैंगन, फूलगोभी और लहसुन की खेती की है, जो अगले महीने तक तैयार हो जाएगी. रीता ने बताया कि वह ऑफ सीजन में भी सब्जियों का उत्पादन करती हैं. इससे अधिक मुनाफा होता है. पिछले सीजन में एक लाख रुपये तक की बिक्री हुई थी. इससे 25 से 30 हजार रुपये का मुनाफा हुआ. इस साल की खूबसूरत खेती को देखकर उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुनाफे की उम्मीद है.
कपड़ा दुकान से लाखों रुपये की आय
दंगवार गांव की शोभा देवी ने इलाके में अपनी अलग पहचान बनायी है. वर्ष 2018 में जब पलाश (जेएसएलएसपी) द्वारा समूह का गठन किया जा रहा था, तब वह विश्वकर्मा समूह से जुड़ी. समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने कुछ करने का सोचा. अपने पैरों पर खड़ा होने की चाह में शोभा ने 20 हजार रुपये का कर्ज लिया और अपने घर में ही कपड़े की दुकान खोल ली. जब दुकान में आय बढ़ी तो उन्होंने इसे बढ़ाने के लिए 2020 में समूह से 1 लाख रुपये का और बैंक से भी ऋण लिया और अपनी दुकान का विस्तार किया. उन्होंने 2022 में समूह से फिर डेढ़ लाख रुपये लिया औरर दुकान को और विस्तारित किया. आज वह प्रति माह एक लाख रुपये से अधिक कमा रही हैं. इस काम में उनके पति का भी पूरा सहयोग है. दोनों मिलकर दुकान चलाते हैं.
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