हल्द्वानी: रंगों का त्योहार होली के कुछ ही दिन बचे हैं. कुमाऊं मंडल की होली की पहचान पूरे देश दुनिया में की जाती है. इन दिनों जगह-जगह महिलाओं की बैठकी होली देखने को मिल रही है. हल्द्वानी में आयोजित होली मिलन कार्यक्रम में कुमाऊं मंडल के अलग-अलग क्षेत्र से महिला होलियार पहुंची, जहां होल्यारों ने होली गायन की खूब धूम मचाई. महिला होल्यारों के उत्कृष्ट गायन, स्वांग व नृत्य से दर्शक कार्यक्रमों को निहारते रहे. कार्यक्रम में नैनीताल और अल्मोड़ा के साथ-साथ नगर क्षेत्र की आसपास की महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया.
गौर हो कि इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं का सारथी फाउंडेशन द्वारा सम्मान भी किया गया. होली गायन का शुभारंभ सिद्धि को दाता, विघ्नविनाशक होली खेलें गिरिजापति नंदन होली गायन से हुआ. इसके बाद महिला होल्यारों ने अनेक होली गीतों का गायन किया और होली के गीतों पर स्वांग रचाया. कार्यक्रम में भारी संख्या में महिलाएं पहुंची जहां महिलाएं होली के पारंपरिक परिधान पहनी नजर आई. कुमाऊं की होली का इतिहास चंद राजाओं के समय के दरबारी गायन से जुड़ा है.
कुमाऊं होली गायन में ब्रज और कन्नौज का प्रभाव देखने को मिलता है. कुमाऊं पौष मास से होली की फिजा में रंगने लगता है. फागुन मास में यह पूरे शबाब पर होती है. कुमाऊं मंडल में होली के रंगों के साथ-साथ रागों का भी संगम देखने को मिलता है. पौष माह के पहले सप्ताह से ही और बसंत पंचमी के दिन से ही गांवों में बैठकी होली का दौर शुरू हो जाता है. इस रंग में सिर्फ अबीर गुलाल का टीका ही नहीं होता, बल्कि बैठकी होली और खड़ी होली गायन की शास्त्रीय परंपरा भी शामिल होती है.
पढ़ें-