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महिलाएं पीसीओडी को न करें नजरअंदाज, वर्ना इस बीमारी के हो सकते हैं घातक परिणाम - Women dont ignore PCOD symptoms

महिलाएं पीसीओडी बीमारी को नजरअंदाज न करें. आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण क्या-क्या हैं और इससे बचाव के क्या उपाय है. आखिर किसी को यह बीमारी हो जाए तो उसे क्या करना चाहिए. ईटीवी भारत ने इस बारे में डॉक्टर्स से बात की है.

Know what is PCOD
जानिए क्या है पीसीओडी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 26, 2024, 9:20 PM IST

महिलाएं पीसीओडी को न करें नजरअंदाज

रायपुर: आज के दौर में कई महिलाएं पीसीओडी से पीड़ित रहती हैं.आखिरकार पीसीओडी क्या है? किस तरह की ये बीमारी है? कौन से उम्र की महिलाओं में ये बीमारी देखने को मिलती है? इसके लक्षण क्या हैं? इसका सेहत पर क्या असर पड़ता है. इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ सावेरी सक्सेना से बातचीत की.

ये है पीसीओडी के लक्षण: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सावेरी सक्सेना ने बताया कि, "पीसीओडी हार्मोनल असंतुलन होने के कारण महिलाओं में किशोरावस्था से युवा अवस्था के बीच होती है. यानी कि 20 से 35 वर्ष की आयु में ये बीमारी होती है. पीसीओडी होने पर पिंपल या मुंहासे आना, बाल झड़ना, वजन बढ़ना, वजन बढ़ने के साथ ही वजन कम करने में परेशानी होना इसके लक्षण हैं. इसके साथ ही संतानहीनता, सेल्फ कॉन्फिडेंस में कमी, डिप्रेशन, आगे चलकर शक्कर की बीमारी का होना भी इस बीमारी के लक्षण हैं."

जीवनशैली में बदलाव भी इसका कारण: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने आगे बताया कि " इन लक्षणों के अलावा सबसे महत्वपूर्ण लक्षण महिलाओं में माहवारी में अनियमितता का पाया जाना है, जो कि हर महीने ना आकर बीच-बीच में ब्रेक हो जाता है. जब माहवारी आती है तो बहुत ज्यादा खून बह जाता है. वर्तमान समय में पीसीओडी नामक इस बीमारी से 30 फीसद महिलाएं ग्रसित हैं. ग्रामीण इलाकों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र में पीसीओडी नामक बीमारी ज्यादा देखने को मिलती है. पीसीओडी बीमारी होने के पीछे एक कारण यह भी माना गया है कि लाइफस्टाइल या जीवन शैली में बदलाव होना. पीसीओडी लाइफस्टाइल बीमारी है, जिसका लाइफस्टाइल से बहुत गहरा संबंध है. इस तरह के कोई भी लक्षण होने पर अपनी महिला चिकित्सक से संपर्क करें. महिला चिकित्सक के द्वारा कुछ टेस्ट करवाए जाते हैं, जिसके बाद इस बीमारी की रोकथाम हो सके. इसके ट्रीटमेंट की बात करें तो सबसे पहली बात लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी है."

मोटे नहीं दुबले लोगों को भी हो सकती है ये बीमारी: स्त्री रोग विशेषज्ञ का कहना है कि, " ग्रामीणों की जीवन शैली और शहरी जीवन शैली में काफी कुछ अंतर है. ग्रामीण हमेशा कुछ ना कुछ दिन भर काम करते रहते हैं. वे आलस्य और सुस्त नहीं रहते, लेकिन शहरी जीवन शैली की बात करें तो यहां पर लोग काम को लेकर गंभीर दिखाई नहीं देते, जिसके कारण भी वजन बढ़ना शुरू हो जाता है. वजन कम करने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसे में महिलाओं को अपने वजन को नियंत्रित रखना चाहिए. पीसीओडी नामक बीमारी केवल मोटे लोगों में पाई जाती है ऐसा भी नहीं है. यह पतले दुबले लोगों को भी हो सकती है."

संतुलित आहार पर ध्यान देना जरूरी: स्त्री रोग विशेषज्ञ की मानें तो पीसीओडी नामक बीमारी से बचने के लिए महिलाओं को योग या एक्सरसाइज भी करना जरूरी है. इसके साथ ही डांस भी किया जा सकता है. जो कि महिलाओं की रुचि है. उसके अनुसार अपने शरीर को चलाना जरूरी होता है. महिलाओं को एक्सरसाइज या योग सप्ताह में कम से कम 5 दिन और दिन में कम से कम 1 घंटे जरूर करना चाहिए. महिलाओं को चाहिए कि संतुलित आहार पर जरूर ध्यान दें. कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होनी चाहिए और प्रोटीन की अधिकता होनी चाहिए. आलू, चावल और रोटी की मात्रा कम होनी चाहिए, लेकिन दाल सलाद और जितनी भी मौसमी सब्जियां हैं. उनका सेवन अधिक करना चाहिए. पीसीओडी नामक बीमारी होने पर लक्षण के आधार पर चिकित्सक के द्वारा दवाई दी जाती है.

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ये है पीसीओडी के लक्षण: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सावेरी सक्सेना ने बताया कि, "पीसीओडी हार्मोनल असंतुलन होने के कारण महिलाओं में किशोरावस्था से युवा अवस्था के बीच होती है. यानी कि 20 से 35 वर्ष की आयु में ये बीमारी होती है. पीसीओडी होने पर पिंपल या मुंहासे आना, बाल झड़ना, वजन बढ़ना, वजन बढ़ने के साथ ही वजन कम करने में परेशानी होना इसके लक्षण हैं. इसके साथ ही संतानहीनता, सेल्फ कॉन्फिडेंस में कमी, डिप्रेशन, आगे चलकर शक्कर की बीमारी का होना भी इस बीमारी के लक्षण हैं."

जीवनशैली में बदलाव भी इसका कारण: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने आगे बताया कि " इन लक्षणों के अलावा सबसे महत्वपूर्ण लक्षण महिलाओं में माहवारी में अनियमितता का पाया जाना है, जो कि हर महीने ना आकर बीच-बीच में ब्रेक हो जाता है. जब माहवारी आती है तो बहुत ज्यादा खून बह जाता है. वर्तमान समय में पीसीओडी नामक इस बीमारी से 30 फीसद महिलाएं ग्रसित हैं. ग्रामीण इलाकों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र में पीसीओडी नामक बीमारी ज्यादा देखने को मिलती है. पीसीओडी बीमारी होने के पीछे एक कारण यह भी माना गया है कि लाइफस्टाइल या जीवन शैली में बदलाव होना. पीसीओडी लाइफस्टाइल बीमारी है, जिसका लाइफस्टाइल से बहुत गहरा संबंध है. इस तरह के कोई भी लक्षण होने पर अपनी महिला चिकित्सक से संपर्क करें. महिला चिकित्सक के द्वारा कुछ टेस्ट करवाए जाते हैं, जिसके बाद इस बीमारी की रोकथाम हो सके. इसके ट्रीटमेंट की बात करें तो सबसे पहली बात लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी है."

मोटे नहीं दुबले लोगों को भी हो सकती है ये बीमारी: स्त्री रोग विशेषज्ञ का कहना है कि, " ग्रामीणों की जीवन शैली और शहरी जीवन शैली में काफी कुछ अंतर है. ग्रामीण हमेशा कुछ ना कुछ दिन भर काम करते रहते हैं. वे आलस्य और सुस्त नहीं रहते, लेकिन शहरी जीवन शैली की बात करें तो यहां पर लोग काम को लेकर गंभीर दिखाई नहीं देते, जिसके कारण भी वजन बढ़ना शुरू हो जाता है. वजन कम करने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसे में महिलाओं को अपने वजन को नियंत्रित रखना चाहिए. पीसीओडी नामक बीमारी केवल मोटे लोगों में पाई जाती है ऐसा भी नहीं है. यह पतले दुबले लोगों को भी हो सकती है."

संतुलित आहार पर ध्यान देना जरूरी: स्त्री रोग विशेषज्ञ की मानें तो पीसीओडी नामक बीमारी से बचने के लिए महिलाओं को योग या एक्सरसाइज भी करना जरूरी है. इसके साथ ही डांस भी किया जा सकता है. जो कि महिलाओं की रुचि है. उसके अनुसार अपने शरीर को चलाना जरूरी होता है. महिलाओं को एक्सरसाइज या योग सप्ताह में कम से कम 5 दिन और दिन में कम से कम 1 घंटे जरूर करना चाहिए. महिलाओं को चाहिए कि संतुलित आहार पर जरूर ध्यान दें. कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होनी चाहिए और प्रोटीन की अधिकता होनी चाहिए. आलू, चावल और रोटी की मात्रा कम होनी चाहिए, लेकिन दाल सलाद और जितनी भी मौसमी सब्जियां हैं. उनका सेवन अधिक करना चाहिए. पीसीओडी नामक बीमारी होने पर लक्षण के आधार पर चिकित्सक के द्वारा दवाई दी जाती है.

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