देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर जहां लोगों में उत्सुकता बनी हुई है तो वहीं इस ड्राफ्ट के सरकार को प्रेषित होने के बाद महिलाएं भी इसका बढ़-चढ़कर स्वागत करती दिख रही हैं. महिलाओं ने शादी की उम्र से लेकर संपत्ति में हिस्सेदारी और तमाम महिलाओं से जुड़े नियमों पर खुशी जाहिर कर यूसीसी को महिलाओं के लिए बेहद खास बताया है.
महिलाओं को खास तवज्जो: समान नागरिक संहिता में वैसे तो कई बिंदुओं पर बड़े बदलाव की सिफारिश की गई है, लेकिन देखा जाए तो इसमें महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सबसे ज्यादा ध्यान दिया गया है. ऐसे कई पॉइंट्स हैं, जिसमें महिलाओं की बेहतरी को ध्यान में रखकर नियम तय करने की कोशिश की गई है. दरअसल उत्तराखंड सरकार ने रिटायर्ड न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में यूसीसी के ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए कमेटी का गठन किया था, जिसने हाल ही में अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी है. वहीं समिति ने भी महिला अधिकारों को अपने ड्राफ्ट में विशेष तवज्जो दी है.
क्या कह रहे जानकार: जानकार बताते हैं कि इस ड्राफ्ट में लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण को अनिवार्य करने का प्रावधान दिया गया है. इससे न केवल युवतियों को सुरक्षा मिलेगी बल्कि युवाओं में बढ़ती इस प्रवृत्ति को कानून के दायरे में भी लाया जा सकेगा. इस दौरान संतान पैदा होने पर उसकी असुरक्षा की स्थिति को भी खत्म करते हुए उनके अधिकार पर भी नियम तय किया गया है. इसके अलावा सभी धर्म की महिलाएं बच्चों को गोद ले सकेंगी, जबकि फिलहाल कुछ धर्म में महिलाओं द्वारा बच्चों को गोद लेने पर मनाही है.
महिलाओं की सुरक्षा का खास ध्यान: जानकार बताते हैं कि इसमें सभी धर्म के विवाह के लिए न्यूनतम आयु भी 18 वर्ष तय की गई है, ऐसा होने पर बेटियों के कम उम्र में शादी की व्यवस्था को खत्म किया जा सकेगा. ड्राफ्ट में शादी के पंजीकरण को भी अनिवार्य किया गया है. इससे भविष्य की सुरक्षा तय हो पाएगी और शादी को लेकर महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत किया जा सकेगा. ऐसा ना करने वालों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं देने जैसे नुकसान का सामना करना होगा.
तलाक के लिए दोनों को समान अधिकार: पति-पत्नी के तलाक की स्थिति में दोनों पर समान नियम लागू होगा और तलाक के लिए दोनों को समान अधिकार भी मिलेंगे. जबकि कुछ धर्म में पुरुषों को अधिक अधिकार दिए गए हैं, लेकिन महिलाओं को इसमें अधिकार से वंचित रखा गया है. उधर दूसरी तरफ बहुविवाह पर भी रोक लगाई जा सकेगी. यानी एक पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूरी तरह से अपराध के दायरे में आएगा. उधर दूसरी तरफ तलाक लेने के लिए कानूनी रूप से दी गई प्रक्रिया में शामिल होना होगा. तलाक लेने वाले दोनों ही पक्षों को 6 महीने का फिर से विचार करने के लिए समय दिया जाएगा.
संपत्ति पर भी लड़कियों को समान अधिकार: इसके अलावा माता-पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में भी लड़कियों को समान अधिकार दिया जाएगा. जबकि फिलहाल कुछ धर्म में पुरुषों को ही उत्तराधिकारी मान लिया जाता है, जबकि लड़कियों का लड़कों से बेहद कम अधिकार होता है. नौकरी के दौरान बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता को भी भरण पोषण दिया जाएगा.
महिलाओं ने यूसीसी का किया स्वागत : पति पत्नी की आपसी झगड़े की स्थिति में बच्चे की दादा-दादी या नाना नानी को भी कस्टडी दी जा सकेगी. इस तरह इस ड्राफ्ट को ऐसे कई बिंदु हैं जो सामाजिक रूप से बालिकाओं, या महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा देने का काम करेगा. इसी कारण इन्हीं नियमों और शर्तों को समझते हुए महिलाएं समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट का स्वागत कर रही है और इसके लिए मुख्यमंत्री और सरकार को धन्यवाद भी दे रही हैं.
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