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मलिन बस्ती ध्वस्तीकरण: टूटते मकानों को देख महिला की सदमे से मौत, MDDA ने रोकी कार्रवाई - Woman Dies Of Shock

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 25, 2024, 5:27 PM IST

Updated : Jun 25, 2024, 5:58 PM IST

Woman Dies Of Shock मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने मंगलवार को वीर गब्बर सिंह बस्ती में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की. सोमवार को हुई कार्रवाई के बाद एक महिला की सदमे से मौत हो गई. इसके बाद कई लोग कार्रवाई के विरोध में उतर गए.

Woman Dies Of Shock
टूटते मकानों को देख महिला की सदमे से मौत (PHOTO- ETV BHARAT GRAPHICS)

देहरादूनः उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एनजीटी के आदेशों के खिलाफ निर्माण को अतिक्रमण मानते हुए मलिन बस्तियों पर फिर से कार्रवाई शुरू हो गई है. इस बार कार्रवाई मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) कर रहा है. एमडीडीए ने सोमवार को काठ बंगला बस्ती में कुछ मकानों को ध्वस्त किया. लेकिन मंगलवार को अचानक घटी घटना के बाद एमडीडीए ने कार्रवाई नहीं की.

दरअसल, एमडीडीए द्वारा रिस्पना नदी के किनारे काठ बंगला और वीर गब्बर सिंह बस्ती में 11 मार्च 2016 के बाद हुए निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई कर रही है. सोमवार को काठ बंगला बस्ती में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हुई. मंगलवार को वीर गब्बर सिंह बस्ती के कुछ मकानों पर भी कार्रवाई होनी थी. लेकिन सोमवार शाम को वीर गब्बर सिंह बस्ती की 25 वर्षीय सोनम काठ बंगला में टूटते घरों का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और दशहत से उनकी मौत हो गई.

सोनम के पति आकाश ने बताया कि सोमवार को काठ बंगला बस्ती में मकान तोड़े जा रहे थे. जबकि वीर गबर सिंह बस्ती में पर्चे बांटकर निशान लगाए जा रहे थे. भारी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद था. यह देखकर सोनम घबराई हुई थी. दोपहर बाद तीन बजे सोनम ने खाना खाया. इसी दौरान उनकी बस्ती में भी निशान लगाए जाने लगे. इस पर सोनम दूसरी बस्ती में मकानों को टूटते देख रोने लगी.

आकाश ने बताया कि सोनम ने घर पर आकर रोते हुए उससे कहा कि अब हम कहां रहेंगे? तो मैंने उसे दिलासा भी दिया कि हम कहीं नहीं जाएंगे, यहीं रहेंगे. लेकिन वह गुमसुम हो गई और अचानक गिर गई. इसके बाद पास ही के एक डॉक्टर को बुलाया गया. डॉक्टर ने सदमे के कारण हार्ट अटैक आने के कारण मौत होने की बात कही है. सोनम अपने पीछे पांच साल की बेटी और चार माह का बेटा छोड़ गई. आकाश ने बताया कि वह मेहनत मजदूरी कर परिवार को किसी तरह पाल रहा था. अब बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी भी उसपर आ गई है.

थाना राजपुर प्रभारी पीड़ी भट्ट ने बताया है कि सोनम की मौत के कारण मंगलवार को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की गई. मंगलवार को जैसे ही टीम मौके पर पहुंची तो स्थानीय लोगों ने विरोध किया. इस दौरान पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया. लेकिन कुछ देर बाद छोड़ दिया है.

कांग्रेस ने उठाए सवाल: वहीं, कांग्रेस ने मामले पर धामी सरकार पर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट का कहना है कि अतिक्रमण को लेकर सरकार की तरफ से लगातार विरोधाभासी बयान सामने आ रहे हैं. सरकार अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर एनजीटी का हवाला दे रही है. लेकिन सरकार को एनजीटी का वह आदेश भी दिखाना चाहिए जिसमें यह कहा गया हो कि शहर के केवल 525 घर ही अतिक्रमण की श्रेणी में आते हैं. वहीं, कांग्रेस ने सोनम की मौत पर परिजनों को उचित मुआवजा देने की मांग की है.

ये भी पढ़ेंः अवैध निर्माण पर एमडीडीए का कार्रवाई, रिस्पना नदी के किनारे बने 59 घरों को तोड़ा गया

देहरादूनः उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एनजीटी के आदेशों के खिलाफ निर्माण को अतिक्रमण मानते हुए मलिन बस्तियों पर फिर से कार्रवाई शुरू हो गई है. इस बार कार्रवाई मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) कर रहा है. एमडीडीए ने सोमवार को काठ बंगला बस्ती में कुछ मकानों को ध्वस्त किया. लेकिन मंगलवार को अचानक घटी घटना के बाद एमडीडीए ने कार्रवाई नहीं की.

दरअसल, एमडीडीए द्वारा रिस्पना नदी के किनारे काठ बंगला और वीर गब्बर सिंह बस्ती में 11 मार्च 2016 के बाद हुए निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई कर रही है. सोमवार को काठ बंगला बस्ती में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हुई. मंगलवार को वीर गब्बर सिंह बस्ती के कुछ मकानों पर भी कार्रवाई होनी थी. लेकिन सोमवार शाम को वीर गब्बर सिंह बस्ती की 25 वर्षीय सोनम काठ बंगला में टूटते घरों का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और दशहत से उनकी मौत हो गई.

सोनम के पति आकाश ने बताया कि सोमवार को काठ बंगला बस्ती में मकान तोड़े जा रहे थे. जबकि वीर गबर सिंह बस्ती में पर्चे बांटकर निशान लगाए जा रहे थे. भारी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद था. यह देखकर सोनम घबराई हुई थी. दोपहर बाद तीन बजे सोनम ने खाना खाया. इसी दौरान उनकी बस्ती में भी निशान लगाए जाने लगे. इस पर सोनम दूसरी बस्ती में मकानों को टूटते देख रोने लगी.

आकाश ने बताया कि सोनम ने घर पर आकर रोते हुए उससे कहा कि अब हम कहां रहेंगे? तो मैंने उसे दिलासा भी दिया कि हम कहीं नहीं जाएंगे, यहीं रहेंगे. लेकिन वह गुमसुम हो गई और अचानक गिर गई. इसके बाद पास ही के एक डॉक्टर को बुलाया गया. डॉक्टर ने सदमे के कारण हार्ट अटैक आने के कारण मौत होने की बात कही है. सोनम अपने पीछे पांच साल की बेटी और चार माह का बेटा छोड़ गई. आकाश ने बताया कि वह मेहनत मजदूरी कर परिवार को किसी तरह पाल रहा था. अब बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी भी उसपर आ गई है.

थाना राजपुर प्रभारी पीड़ी भट्ट ने बताया है कि सोनम की मौत के कारण मंगलवार को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की गई. मंगलवार को जैसे ही टीम मौके पर पहुंची तो स्थानीय लोगों ने विरोध किया. इस दौरान पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया. लेकिन कुछ देर बाद छोड़ दिया है.

कांग्रेस ने उठाए सवाल: वहीं, कांग्रेस ने मामले पर धामी सरकार पर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट का कहना है कि अतिक्रमण को लेकर सरकार की तरफ से लगातार विरोधाभासी बयान सामने आ रहे हैं. सरकार अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर एनजीटी का हवाला दे रही है. लेकिन सरकार को एनजीटी का वह आदेश भी दिखाना चाहिए जिसमें यह कहा गया हो कि शहर के केवल 525 घर ही अतिक्रमण की श्रेणी में आते हैं. वहीं, कांग्रेस ने सोनम की मौत पर परिजनों को उचित मुआवजा देने की मांग की है.

ये भी पढ़ेंः अवैध निर्माण पर एमडीडीए का कार्रवाई, रिस्पना नदी के किनारे बने 59 घरों को तोड़ा गया

Last Updated : Jun 25, 2024, 5:58 PM IST
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