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कांवटिया अस्पताल प्रकरण : 3 रेजिडेंट चिकित्सक निलंबित, अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस - Woman delivered at Hospital Gate

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 4, 2024, 10:32 PM IST

Updated : Apr 4, 2024, 10:46 PM IST

Kanwatiya Hospital case, जयपुर के कांवटिया अस्पताल के गेट पर महिला के प्रसव होने के मामले में राज्य सरकार ने तीन रेजिडेंट चिकित्सकों को निलंबित कर दिया है. साथ ही अस्पताल अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

Woman delivered at Hospital Gate
Woman delivered at Hospital Gate
कांवटिया अस्पताल प्रकरण.

जयपुर. कांवटिया अस्पताल में खुले में गर्भवती महिला का प्रसव होने के मामले में दोषी पाए गए तीन रेजिडेंट चिकित्सकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. साथ ही राज्य सरकार ने प्रकरण में लापरवाही के लिए जिम्मेदार अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र सिंह तंवर को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

अस्पताल अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस : अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा शुभ्रा सिंह ने बताया कि प्रकरण सामने आने पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से जांच कमेटी गठित की थी. कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार प्रथम रेजिडेंट डॉ. कुसुम सैनी, डॉ. नेहा राजावत एवं डॉ. मनोज की गंभीर लापरवाही और संवेदनहीनता सामने आई है. जांच समिति की रिपोर्ट के बाद एसएमएस मेडिकल कॉलेज की अनुशासनात्मक समिति की बैठक में लिए गए निर्णयानुसार इन तीनों रेजिडेंट चिकित्सकों को निलंबित किया गया है. साथ ही लापरवाही के लिए अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र सिंह तंवर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

पढ़ें. जयपुर के कांवटिया अस्पताल में शर्मसार करने वाली घटना, खुले में हुआ महिला का प्रसव

सिंह ने कहा कि बुधवार को जयपुर के कांवटिया अस्पताल में एक महिला का अस्पताल के गेट पर प्रसव होने का मामला दुर्भाग्यपूर्ण है. मानवीयता से जुड़े चिकित्सकीय पेशे में ऐसे असंवेदनशील व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जा सकती. उन्होंने बताया कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी के चलते चिकित्सकों ने गर्भवती महिला को जनाना अस्पताल रेफर करने की सलाह दी थी, लेकिन स्पष्ट रूप से रेफर नहीं किए जाने के कारण भ्रामक स्थिति पैदा हुई. इसके बाद महिला अस्पताल से बाहर आई और उसका खुले में प्रसव हो गया.

असंवेदनशील व्यवहार बर्दाश्त नहीं : अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि मानवीय एवं जनसेवा से जुड़े से इस पेशे से संबंधित सभी चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य कार्मिकों को अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी संवेदनशीलता के साथ करना चाहिए. आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराना और जीवन रक्षा करना ही उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने बताया कि असंवेदनशील व्यवहार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बर्दाश्त नहीं करेगा. कहीं भी ऐसा मामला सामने आता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. इससे पहले कांवटिया अस्पताल में खुले में प्रसव प्रकरण संज्ञान में आते ही अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने मामले को गंभीरता से लेते हुए विभाग के उच्च अधिकारियों को तुरंत प्रभाव से मौके पर भेजा था. साथ ही अगले दिन ही विस्तृत जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी भी गठित कर दी थी.

कांवटिया अस्पताल प्रकरण.

जयपुर. कांवटिया अस्पताल में खुले में गर्भवती महिला का प्रसव होने के मामले में दोषी पाए गए तीन रेजिडेंट चिकित्सकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. साथ ही राज्य सरकार ने प्रकरण में लापरवाही के लिए जिम्मेदार अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र सिंह तंवर को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

अस्पताल अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस : अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा शुभ्रा सिंह ने बताया कि प्रकरण सामने आने पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से जांच कमेटी गठित की थी. कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार प्रथम रेजिडेंट डॉ. कुसुम सैनी, डॉ. नेहा राजावत एवं डॉ. मनोज की गंभीर लापरवाही और संवेदनहीनता सामने आई है. जांच समिति की रिपोर्ट के बाद एसएमएस मेडिकल कॉलेज की अनुशासनात्मक समिति की बैठक में लिए गए निर्णयानुसार इन तीनों रेजिडेंट चिकित्सकों को निलंबित किया गया है. साथ ही लापरवाही के लिए अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र सिंह तंवर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

पढ़ें. जयपुर के कांवटिया अस्पताल में शर्मसार करने वाली घटना, खुले में हुआ महिला का प्रसव

सिंह ने कहा कि बुधवार को जयपुर के कांवटिया अस्पताल में एक महिला का अस्पताल के गेट पर प्रसव होने का मामला दुर्भाग्यपूर्ण है. मानवीयता से जुड़े चिकित्सकीय पेशे में ऐसे असंवेदनशील व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जा सकती. उन्होंने बताया कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी के चलते चिकित्सकों ने गर्भवती महिला को जनाना अस्पताल रेफर करने की सलाह दी थी, लेकिन स्पष्ट रूप से रेफर नहीं किए जाने के कारण भ्रामक स्थिति पैदा हुई. इसके बाद महिला अस्पताल से बाहर आई और उसका खुले में प्रसव हो गया.

असंवेदनशील व्यवहार बर्दाश्त नहीं : अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि मानवीय एवं जनसेवा से जुड़े से इस पेशे से संबंधित सभी चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य कार्मिकों को अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी संवेदनशीलता के साथ करना चाहिए. आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराना और जीवन रक्षा करना ही उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने बताया कि असंवेदनशील व्यवहार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बर्दाश्त नहीं करेगा. कहीं भी ऐसा मामला सामने आता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. इससे पहले कांवटिया अस्पताल में खुले में प्रसव प्रकरण संज्ञान में आते ही अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने मामले को गंभीरता से लेते हुए विभाग के उच्च अधिकारियों को तुरंत प्रभाव से मौके पर भेजा था. साथ ही अगले दिन ही विस्तृत जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी भी गठित कर दी थी.

Last Updated : Apr 4, 2024, 10:46 PM IST
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