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2019 में BSP के साथ गठबंधन पर मिली थीं 15 सीटें, अब कांग्रेस के साथ कितना सफल होंगे अखिलेश यादव? - Lok Sabha elections 2024

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर शुक्रवार को यूपी की 8 सीटों पर मतदान (lok sabha election 2024) हुआ. इस बार सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस पार्टी से गठबंधन किया है. क्या इस बार कांग्रेस के साथ सफल होंगे अखिलेश यादव?

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 19, 2024, 7:56 PM IST

लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस पार्टी से गठबंधन किया है. वहीं, उत्तर प्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना करते हुए बात की जाए, तो इस बार कांग्रेस पार्टी और भी कमजोर स्थिति में नजर आ रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को सिर्फ एक सीट रायबरेली ही मिल पाई थी. उस समय अखिलेश यादव ने बसपा के साथ गठबंधन किया था और गठबंधन को 15 सीट मिली थीं. इसमें बहुजन समाज पार्टी को 10 सीट्स और समाजवादी पार्टी को 5 सीट्स मिली थीं. लेकिन, इस बार हो रहे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ आने से समाजवादी पार्टी को कितनी सफलता मिलेगी, यह देखने वाली बात होगी. सपा के साथ कांग्रेस को कितना सियासी फायदा होगा, यह भी 4 जून को पता चलेगा. फिलहाल दोनों दलों का दावा है कि इंडिया गठबंधन भाजपा को हराने जा रहा है.

सपा को बेहतर परफॉर्मेंस की उम्मीद: समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव को लेकर पूरी ताकत से चुनाव मैदान में है. अखिलेश यादव ने इंडिया गठबंधन के साथ समझौता करते हुए चुनाव लड़ने का फैसला किया. पहले समाजवादी पार्टी के साथ राष्ट्रीय लोकदल जिसका पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर अच्छा जन आधार है के साथ सियासी दोस्ती हुई थी. जयंत चौधरी बाद में भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन में शामिल हो गए. अखिलेश यादव की कोशिश है कि कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश की अधिक से अधिक सीट जीतने में सफलता हासिल की जाए. भले कांग्रेस पार्टी का उत्तर प्रदेश में अभी वह जन आधार नहीं है, लेकिन इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव लड़ रही समाजवादी पार्टी को बेहतर परफॉर्मेंस की उम्मीद है.

अति पिछड़ी जातियों पर सबसे ज्यादा फोकस : उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस पार्टी जाति समीकरणों को दुरुस्त करने पर पूरी तरह से नजर आ रही है. अखिलेश यादव ने टिकट वितरण में सबसे ज्यादा तवज्जो दलित वर्ग को दी है. अखिलेश यादव की कोशिश है कि समाजवादी पार्टी के जो कैंडिडेट उतारे गए हैं वह बेहतर चुनाव लड़ सकते हैं. कांग्रेस पार्टी का भी प्रत्येक लोकसभा सीट पर जितना वोट बैंक है, वह अगर ठीक ढंग से सपा प्रत्याशियों के पक्ष में आएगा. जो पार्टी का वोट बैंक है, वह कांग्रेस प्रत्याशियों के खाते में जाएगा. अखिलेश यादव ने सबसे ज्यादा फोकस अति पिछड़ी जातियों पर किया है. ज्यादा टिकट कुर्मी बिरादरी निषाद बिरादरी शाक्य बिरादरी से आने वाले चेहरों को दिया है. इसके अलावा दलित, मुस्लिम सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया है. अखिलेश यादव की कोशिश रही है कि जाति समीकरण के आधार पर पूरा चुनाव लड़ा जाए और भारतीय जनता पार्टी को हराने में सफलता हासिल की जा सके. अखिलेश यादव ने इस चुनाव में उन चेहरों पर भी दम लगाया है, जो स्थानीय स्तर पर काफी मजबूती से चुनाव लड़ सकते थे.

गठबंधन करके चुनाव लड़ रहे सपा व कांग्रेस पार्टी : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि सपा व कांग्रेस पार्टी एक साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश में हम सर्वाधिक सीट जीतने जा रहे हैं. हमने सभी वर्ग को साथ रखकर टिकट वितरण करने का फैसला किया है. अति पिछड़े दलित मुस्लिम सामान्य वर्ग के नेताओं को टिकट दिया गया है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का वोट बैंक प्रत्याशियों को जिताने में मदद करेगा.

यह भी पढ़ें : बूथ कैप्चरिंग की शिकायत; मुजफ्फरनगर में सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक ने चुनाव आयोग को भेजी शिकायत - Lok Sabha Election 2024

यह भी पढ़ें : संघमित्रा मौर्य ने कहा- शिवपाल सिंह यादव सपने देख रहे हैं, प्रूफ दें कि हम कैसे उनके साथ हैं - Lok Sabha Election 2024

लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस पार्टी से गठबंधन किया है. वहीं, उत्तर प्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना करते हुए बात की जाए, तो इस बार कांग्रेस पार्टी और भी कमजोर स्थिति में नजर आ रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को सिर्फ एक सीट रायबरेली ही मिल पाई थी. उस समय अखिलेश यादव ने बसपा के साथ गठबंधन किया था और गठबंधन को 15 सीट मिली थीं. इसमें बहुजन समाज पार्टी को 10 सीट्स और समाजवादी पार्टी को 5 सीट्स मिली थीं. लेकिन, इस बार हो रहे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ आने से समाजवादी पार्टी को कितनी सफलता मिलेगी, यह देखने वाली बात होगी. सपा के साथ कांग्रेस को कितना सियासी फायदा होगा, यह भी 4 जून को पता चलेगा. फिलहाल दोनों दलों का दावा है कि इंडिया गठबंधन भाजपा को हराने जा रहा है.

सपा को बेहतर परफॉर्मेंस की उम्मीद: समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव को लेकर पूरी ताकत से चुनाव मैदान में है. अखिलेश यादव ने इंडिया गठबंधन के साथ समझौता करते हुए चुनाव लड़ने का फैसला किया. पहले समाजवादी पार्टी के साथ राष्ट्रीय लोकदल जिसका पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर अच्छा जन आधार है के साथ सियासी दोस्ती हुई थी. जयंत चौधरी बाद में भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन में शामिल हो गए. अखिलेश यादव की कोशिश है कि कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश की अधिक से अधिक सीट जीतने में सफलता हासिल की जाए. भले कांग्रेस पार्टी का उत्तर प्रदेश में अभी वह जन आधार नहीं है, लेकिन इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव लड़ रही समाजवादी पार्टी को बेहतर परफॉर्मेंस की उम्मीद है.

अति पिछड़ी जातियों पर सबसे ज्यादा फोकस : उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस पार्टी जाति समीकरणों को दुरुस्त करने पर पूरी तरह से नजर आ रही है. अखिलेश यादव ने टिकट वितरण में सबसे ज्यादा तवज्जो दलित वर्ग को दी है. अखिलेश यादव की कोशिश है कि समाजवादी पार्टी के जो कैंडिडेट उतारे गए हैं वह बेहतर चुनाव लड़ सकते हैं. कांग्रेस पार्टी का भी प्रत्येक लोकसभा सीट पर जितना वोट बैंक है, वह अगर ठीक ढंग से सपा प्रत्याशियों के पक्ष में आएगा. जो पार्टी का वोट बैंक है, वह कांग्रेस प्रत्याशियों के खाते में जाएगा. अखिलेश यादव ने सबसे ज्यादा फोकस अति पिछड़ी जातियों पर किया है. ज्यादा टिकट कुर्मी बिरादरी निषाद बिरादरी शाक्य बिरादरी से आने वाले चेहरों को दिया है. इसके अलावा दलित, मुस्लिम सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया है. अखिलेश यादव की कोशिश रही है कि जाति समीकरण के आधार पर पूरा चुनाव लड़ा जाए और भारतीय जनता पार्टी को हराने में सफलता हासिल की जा सके. अखिलेश यादव ने इस चुनाव में उन चेहरों पर भी दम लगाया है, जो स्थानीय स्तर पर काफी मजबूती से चुनाव लड़ सकते थे.

गठबंधन करके चुनाव लड़ रहे सपा व कांग्रेस पार्टी : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि सपा व कांग्रेस पार्टी एक साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश में हम सर्वाधिक सीट जीतने जा रहे हैं. हमने सभी वर्ग को साथ रखकर टिकट वितरण करने का फैसला किया है. अति पिछड़े दलित मुस्लिम सामान्य वर्ग के नेताओं को टिकट दिया गया है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का वोट बैंक प्रत्याशियों को जिताने में मदद करेगा.

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