हजारीबाग: बड़कागांव विधानसभा चुनाव दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है. एनडीए की ओर से रोशन लाल चौधरी चुनावी मैदान में हैं. 2014 और 2019 का चुनाव रोशन लाल चौधरी आजसू के टिकट पर लड़ चुके हैं. लेकिन इस बार वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं. हालांकि, इस चुनाव में आजसू और भाजपा के बीच गठबंधन है. ऐसे में इस बात की खूब चर्चा हो रही है कि आखिर रोशन लाल चौधरी को भारतीय जनता पार्टी में क्यों शामिल होना पड़ा? राजनीतिक जानकारों के अलावा आम जनता में भी चर्चा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि रोशन लाल चौधरी भाजपा में शामिल हो गए?
पिछले आंकड़ों पर गौर करें तो आजसू और भाजपा के बीच गठबंधन के बावजूद रोशन लाल चौधरी को हार का सामना करना पड़ा था. 2005 और 2009 में यहां से भारतीय जनता पार्टी के लोकनाथ महतो विधायक बनकर सदन पहुंचे थे. इसके बाद भाजपा से गठबंधन के आधार पर आजसू को बड़कागांव की सीट दे दी गई. यहां के लोगों का मानना है कि बड़कागांव भाजपा का गढ़ रहा है, जिसके कारण आजसू को दो बार हार का सामना करना पड़ा. लोगों ने आजसू को स्वीकार नहीं किया है. इसलिए शायद रौशनलाल चौधरी को भाजपा में शामिल होकर चुनाव लड़ना पड़ रहा है.
मौजूदा चुनाव की बात करें तो भाजपा समर्थित कार्यकर्ता रोशन लाल चौधरी को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि बड़कागांव में कई ऐसे दावेदार थे, जिन्हें टिकट मिलना चाहिए था. लेकिन बाहरी उम्मीदवार को टिकट दिया गया है. रोशन लाल चौधरी सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी के बड़े भाई हैं, जबकि आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो उनके मामा हैं.
कांग्रेस ने बड़कागांव से अंबा प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है. वे वर्तमान में बड़कागांव से वर्तमान विधायक भी हैं. उनके अलावा उनकी माता निर्मला देवी और पिता योगेंद्र साव भी बड़कागांव से विधायक रह चुके हैं. 2009 में अंबा के पिता पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने लोकनाथ महतो को हराया था. 2014 में कांग्रेस की निर्मला देवी रोशन लाल चोधरी को 411 वोटों से हराकर विधायक बनी थीं. 2019 में अंबा प्रसाद विधायक बनी थी, उन्होंने आजसू पार्टी के रोशन लाल चौधरी को हराया था.
ये प्रत्याशी चुनावी मैदान में
इस बार भाजपा और कांग्रेस के अलावा बड़कागांव में जयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांति मोर्चा भी चुनाव लड़ रही है. जेएलकेएम से बालेश्वर कुमार चुनावी मैदान में हैं. बालेश्वर कुमार पहले सीपीआई में थे. इसके बाद वे झारखंड विकास मोर्चा में शामिल हो गए. जब पार्टी का भाजपा में विलय हुआ तो वे भाजपा में शामिल हो गए. वे तत्कालीन हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा के सांसद प्रतिनिधि भी रह चुके हैं. ऐसे में उनका जनाधार भी है.
इसके अलावा जयराम महतो से नाता तोड़कर संजय मेहता ने अलग पार्टी झारखंड बचाओ क्रांति सेवा समिति बना ली है. वे खुद चुनावी मैदान में भी हैं. वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से मोहम्मद शमी चुनावी मैदान में हैं. सीपीआई से अनिरुद्ध कुमार चुनाव लड़ रहे हैं. बड़कागांव में कुल 27 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं.
बड़कागांव में जातीय समीकरण को बेहद खास माना जाता है. विभिन्न जातियों के अपने वोट बैंक हैं, जो इस चुनाव में हार जीत तय करते हैं. वैश्य, मुस्लिम, एससी एसटी, कुरमी समुदाय का इस इलाके में खासी संख्या है.
पिछले चुनावों के क्या रहे हैं नतीजे?
2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में बड़कागांव विधानसभा सीट से कुल 24 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. इसमें 4 महिला उम्मीदवार थीं. इस चुनाव में बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की अंबा प्रसाद विधायक चुनी गईं. अंबा प्रसाद को 98862 (44.13 प्रतिशत) वोट मिले. उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी के रोशन लाल चौधरी को 67348 (30.06 प्रतिशत) वोट मिले. रोशन लाल दूसरे नंबर पर रहे.
2014 में बड़कागांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस की निर्मला देवी ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 61817 (29.24 प्रतिशत) वोट मिले थे. सुदेश कुमार महतो की पार्टी आजसू के उम्मीदवार रोशन लाल चौधरी 61406 (29.05 प्रतिशत) वोट पाकर इस सीट पर दूसरे नंबर पर रहे थे.
2009 के झारखंड विधानसभा चुनाव में बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार लोकनाथ महतो का मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार योगेंद्र साव से था. कांग्रेस के योगेंद्र साव 38683 (25.92 प्रतिशत) वोट पाकर विधायक चुने गए थे. भाजपा के लोकनाथ महतो को 37319 (25.01 प्रतिशत) वोट मिले थे.
2005 में बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के लोकनाथ महतो ने 47,283 वोट पाकर जीत दर्ज की थी. वहीं कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले योगेंद्र साव को 30,902 वोट मिले थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
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