जैसलमेर. सीमावर्ती जिले जैसलमेर सहित प्रदेश में 4 वर्ष बाद अब वन्यजीवों की गणना का काम शुरू होगा. यह गणना वॉटर होल मार्क पद्धति से होगी. यह कार्य राष्ट्रीय मरू उद्यान में भी होगा. इससे राज्य पक्षी गोडावण की संख्या का पता चल सकेगा. फिलहाल यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है.
डीएफओ आशीष व्यास ने बताया कि पिछले 7 साल में वैज्ञानिक पद्धति व 4 साल से वोटर होल पद्धति से गणना नहीं हुई है. यही कारण है कि जैसलमेर में कितने गोडावण है, इसकी संख्या वन विभाग के पास भी नहीं है. लेकिन अब वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा पर 23 मई को सुबह 8 बजे वाटर होल पद्धति से वन्यजीवों की गणना शुरू होगी जो कि 24 मई सुबह 8 बजे तक चलेगी.
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वैज्ञानिक पद्धति से नहीं होगी गणना: डीएनपी में इस बार भी वैज्ञानिक पद्धति से गणना नहीं हो पाएगी. इसका मुख्य कारण फील्ड फायरिंग रेज में गणना के लिए परमिशन न मिल पाना बताया जा रहा है. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून द्वारा 2017 में गोडावण की गणना की गई थी. इसके बाद 2018 में वन विभाग ने वॉटर होल पद्धति से वन्य जीवों की गणना की थी, लेकिन 2018 के बाद से वॉटर होल पद्धति से भी गणना नहीं हो पाई है. 2020 में कोरोना तथा 2021 में बरसात होने के कारण वन्य जीवों की गणना को पुष्ट नहीं माना गया. ऐसे में अंतिम रूप से 2022 में वन्यजीवों की गणना वॉटर होल पद्धति से की गई थी, जिसमें भी सही आंकड़े सामने नहीं आए थे.
केवल 42 गोडावण थे: अंतिम गणना 2022 में वॉटर होल पद्धति से की गई थी, जिसमें भी सही आंकड़े सामने नहीं आए थे. हालांकि उस समय गोडावण की संख्या 42 बताई गई थी. इसके बाद पिछले साल 2023 में पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से पहले बुद्ध पूर्णिमा की गणना को स्थगित कर ज्येष्ठ पूर्णिमा को करने का निर्णय लिया गया, लेकिन बाद में उसे भी निरस्त कर दिया था.अब अगर मौसम सही रहा तो 23 मई को वोटर होल पद्धति से गणना हो सकेगी.
वॉलेंटियरों का लिया जाएगा सहयोग: डीएनपी के डीएफओ आशीष व्यास बताते है कि वन्यजीव संख्या आंकलन वर्ष 2024 के लिए कई स्थानों पर कैमरा ट्रैप पद्दति से तो कई स्थानों पर वोलेंटियर की मदद से गणना की जाएगी. उन्होंने बताया कि वन्यजीवों की संख्या का सटीक आंकलन करना चूंकि बहुत जटिल प्रक्रिया है, इसलिए इस पद्द्ति का नाम वन्यजीव गणना के बजाए वन्यजीव आंकलन या वाइल्डलाइफ सेंसस की जगह वाइल्डलाइफ एस्टिमेशन दिया गया है.इस साल वोटर होल पद्धति से गोडावण की गणना की जाएगी.