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अमृत कलश की 4 बूंदें धरा पर गिरीं, 3 जगह महाकुंभ तो उज्जैन में ही सिहंस्थ क्यों ? - WHY UJJAIN KUMBH IS SIMHASTHA

प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार में होने वाले आयोजन को महाकुंभ कहते हैं तो उज्जैन के महाकुंभ को सिंहस्थ कुंभ के नाम से क्यों जानात जाता है.

MAHA KUMBH MYTHOLOGY
उज्जैन में ही सिहंस्थ क्यों ? (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 17, 2025, 6:23 PM IST

Updated : Jan 17, 2025, 6:47 PM IST

उज्जैन : आजकल हर ओर प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 की ही चर्चा है. सनातन संस्कृति में महाकुभ मेले का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है. यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रयागराज में 13 जनवरी को शुरू हुआ महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा. संभावना है कि इस दौरान 60 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए आएंगे. मकर संक्राति को ही महाकुंभ में साढ़े 4 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई. उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर केंद्र सरकार ने 6 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि महाकुंभ मेले की व्यवस्थाओं के लिए जारी की है.

देश में कितने महाकुंभ और कहां-कहां

देश में चार जगहों पर तय समय पर महाकुंभ का आयोजन होता है. ये पर्व हिंदू धर्म का सबसे बड़ा उत्सव है. ये महाउत्सव महाकुंभ के रूप में हर 12 साल में देश के 4 पवित्र स्थानों पर आयोजित होता है. प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर फिलहाल महाकुंभ 2025 का आयोजन हो रहा है. उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर भी महाकुंभ का मेला लगता है. महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी किनारे भी महाकुंभ का आयोजन होता है. इसके अलावा मध्यप्रदेश के उज्जैन में शिप्रा के तट पर महाकुंभ का आयोजन होता है. उज्जैन में पिछला महाकुंभ 2016 में हुआ. अब वहां 2028 में आयोजन होगा, जिसकी तैयारियां अभी शुरू हो चुकी हैं.

WHY UJJAIN KUMBH IS SIMHASTHA
उज्जैन में ही सिहंस्थ क्यों ? (ETV Bharat)

उज्जैन में लगने वाले महाकुंभ को सिंहस्थ कुंभ क्यों कहते हैं

महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में देश के 4 स्थानों पर होता है. प्रयागराज, नासिक व हरिद्वार में आयोजित वाले मेले को महाकुंभ कहा जाता है. ज्योतिष के जानकार बताते हैं कि "महाकुंभ का आयोजन तभी होता है जब सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति मकर राशि में आते हैं. वहीं, उज्जैन में लगने वाले महाकुंभ को सिंहस्थ कुंभ इसलिए कहते हैं क्योंकि बृहस्पति जब सिंह राशि में आ जाता है तो इसका आयोजन होता है. इस दौरान बृहस्पति सिंह राशि में होता है."

WHY UJJAIN KUMBH IS SIMHASTHA
उज्जैन में लगने वाले महाकुंभ को सिंहस्थ कुंभ क्यों कहते हैं (ETV Bharat)

क्यों मनाया जाता है महाकुंभ, क्या है स्नान का महत्व

शास्त्रों के जानकारों का कहना है "पौराणिक कथाओं के अनुसार महाकुंभ की सीधा संबध समुद्र मंथन से है. समुद्र मंथन के बाद निकले अमृत को पीने के लिए देवताओं व असुरों के बीच युद्ध छिड़ गया. इस संघर्ष के दौरान अमृत कलश की 4 बूंदें पृथ्वी पर गिरी. ये 4 बूंदें प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिरी. जहां ये अमृत की बूंदें गिरी, वे स्थान पवित्र माने गए. इसलिए यहां महाकुंभ का आयोजन होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान इन पवित्र स्थानों पर स्थित नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसीलिए महाकुंभ के आयोजन स्थल पर सारे संत-महंत अखाड़े बनाकर तय समय के लिए वहीं रम जाते हैं.

क्या कहते हैं महामंडलेश्वर अनिलानंद महाराज

अखिल भारतीय संत समिति के प्रदेश प्रवक्ता महामंडलेश्वर अनिलानंद महाराज बताते हैं " प्रयागराज में हो रहा महाकुंभ क्यों है और उज्जैन में आस्था का ये पर्व सिंहस्थ क्यों हो जाता है. दरअसल, कुंभ राशि में सूर्य प्रवेश करते हैं तो महाकुंभ होता है. और जब सिंह राशि में सूर्य प्रवेश करते हैं तो सिंहस्थ होता है. इसीलिए दोनों के नाम अलग अलग है."

उज्जैन : आजकल हर ओर प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 की ही चर्चा है. सनातन संस्कृति में महाकुभ मेले का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है. यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रयागराज में 13 जनवरी को शुरू हुआ महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा. संभावना है कि इस दौरान 60 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए आएंगे. मकर संक्राति को ही महाकुंभ में साढ़े 4 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई. उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर केंद्र सरकार ने 6 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि महाकुंभ मेले की व्यवस्थाओं के लिए जारी की है.

देश में कितने महाकुंभ और कहां-कहां

देश में चार जगहों पर तय समय पर महाकुंभ का आयोजन होता है. ये पर्व हिंदू धर्म का सबसे बड़ा उत्सव है. ये महाउत्सव महाकुंभ के रूप में हर 12 साल में देश के 4 पवित्र स्थानों पर आयोजित होता है. प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर फिलहाल महाकुंभ 2025 का आयोजन हो रहा है. उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर भी महाकुंभ का मेला लगता है. महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी किनारे भी महाकुंभ का आयोजन होता है. इसके अलावा मध्यप्रदेश के उज्जैन में शिप्रा के तट पर महाकुंभ का आयोजन होता है. उज्जैन में पिछला महाकुंभ 2016 में हुआ. अब वहां 2028 में आयोजन होगा, जिसकी तैयारियां अभी शुरू हो चुकी हैं.

WHY UJJAIN KUMBH IS SIMHASTHA
उज्जैन में ही सिहंस्थ क्यों ? (ETV Bharat)

उज्जैन में लगने वाले महाकुंभ को सिंहस्थ कुंभ क्यों कहते हैं

महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में देश के 4 स्थानों पर होता है. प्रयागराज, नासिक व हरिद्वार में आयोजित वाले मेले को महाकुंभ कहा जाता है. ज्योतिष के जानकार बताते हैं कि "महाकुंभ का आयोजन तभी होता है जब सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति मकर राशि में आते हैं. वहीं, उज्जैन में लगने वाले महाकुंभ को सिंहस्थ कुंभ इसलिए कहते हैं क्योंकि बृहस्पति जब सिंह राशि में आ जाता है तो इसका आयोजन होता है. इस दौरान बृहस्पति सिंह राशि में होता है."

WHY UJJAIN KUMBH IS SIMHASTHA
उज्जैन में लगने वाले महाकुंभ को सिंहस्थ कुंभ क्यों कहते हैं (ETV Bharat)

क्यों मनाया जाता है महाकुंभ, क्या है स्नान का महत्व

शास्त्रों के जानकारों का कहना है "पौराणिक कथाओं के अनुसार महाकुंभ की सीधा संबध समुद्र मंथन से है. समुद्र मंथन के बाद निकले अमृत को पीने के लिए देवताओं व असुरों के बीच युद्ध छिड़ गया. इस संघर्ष के दौरान अमृत कलश की 4 बूंदें पृथ्वी पर गिरी. ये 4 बूंदें प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिरी. जहां ये अमृत की बूंदें गिरी, वे स्थान पवित्र माने गए. इसलिए यहां महाकुंभ का आयोजन होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान इन पवित्र स्थानों पर स्थित नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसीलिए महाकुंभ के आयोजन स्थल पर सारे संत-महंत अखाड़े बनाकर तय समय के लिए वहीं रम जाते हैं.

क्या कहते हैं महामंडलेश्वर अनिलानंद महाराज

अखिल भारतीय संत समिति के प्रदेश प्रवक्ता महामंडलेश्वर अनिलानंद महाराज बताते हैं " प्रयागराज में हो रहा महाकुंभ क्यों है और उज्जैन में आस्था का ये पर्व सिंहस्थ क्यों हो जाता है. दरअसल, कुंभ राशि में सूर्य प्रवेश करते हैं तो महाकुंभ होता है. और जब सिंह राशि में सूर्य प्रवेश करते हैं तो सिंहस्थ होता है. इसीलिए दोनों के नाम अलग अलग है."

Last Updated : Jan 17, 2025, 6:47 PM IST
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