ETV Bharat / state

जॉब नहीं मिलने के कारण बास्केटबॉल से मुंह मोड़ रहे सीनियर खिलाड़ी, जूनियर्स नेवी, एयरफोर्स टीम का बढ़ा रहे मान - Status of Basketball team - STATUS OF BASKETBALL TEAM

राज्य की सीनियर बास्केटबॉल टीम के खिलाड़ियों की चमक फीकी होने लगी है. जबकि जूनियर खिलाड़ी नेवी और एयरफोर्स टीमों में शामिल हो मान बढ़ा रहे हैं.

Senior basketball team
राजस्थान बास्केटबॉल टीम
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 13, 2024, 6:33 PM IST

Updated : Apr 13, 2024, 11:26 PM IST

क्यों फीकी हो रही सीनियर बास्केटबॉल खिलाड़ियों की चमक

जयपुर. बास्केटबॉल राजस्थान का राज्य खेल है, लेकिन दो दशक से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आज भी राजस्थान की सीनियर बास्केटबॉल टीम किसी भी नेशनल टूर्नामेंट में मेडल नहीं जीत पाई है. जबकि यही बास्केटबॉल खेल यहां के जूनियर खिलाड़ियों को काफी रास आ रहा है. हालांकि 90 के दशक में राजस्थान के खिलाड़ियों की इस खेल में धाक हुआ करती थी और समय के साथ ये चमक अब फीकी होने लगी है.

वैसे तो बास्केटबॉल राज्य खेल है, लेकिन आज भी बास्केटबॉल खेलने वाले खिलाड़ियों को सिर्फ पुलिस में ही नौकरी दी जा रही है. जबकि अन्य सरकारी महकमों में बास्केटबॉल खिलाड़ियों को वरियता नहीं मिल रही. इसी कारण नेशनल खेल चुके कई खिलाड़ी राजस्थान से पलायन भी कर चुके हैं और दूसरे राज्यों की टीम का हिस्सा बन चुके हैं. राज्य से खुशी राम 1967 में, सुरेन्द्र कुमार कटारिया 1973, हनुमान सिंह 1975, अजमेर सिंह 1982, राधेश्याम 1983 अर्जुन अवार्डी रहे हैं और राजस्थान के इन खिलाड़ियों की बास्केटबॉल में धाक हुआ करती थी.

पढ़ें: राजस्थान की बेटियों ने बास्केटबॉल में जीता स्वर्ण पदक, कप्तान यशिता कंवर बनीं प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट

जूनियर्स का शानदार प्रदर्शन: वहीं जूनियर खिलाड़ियों की बात करें, तो बास्केटबॉल इन जूनियर वर्ग को काफी रास आ रहा है. राजस्थान की जूनियर टीम हर साल अंडर 14, 17 और 19 में मेडल जीतती है. इतना ही नहीं राजस्थान बास्केटबॉल जूनियर टीम का हिस्सा रहे कुछ शानदार खिलाड़ी आज नेवी, एयरफोर्स, रेलवे जैसी टीम में अपनी जगह बना चुके हैं. हालांकि राजस्थान सरकार आउट आफ टर्न पालिसी के तहत खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी का तोहफा दे रही है. लेकिन जूनियर वर्ग में यह पॉलिसी लागू नहीं होती. ऐसे में मेडल जीतने पर जूनियर खिलाड़ी सर्विसेज की नौकरी को चुनकर राज्य से बाहर जा रहे हैं और ऐसे में राजस्थान की सीनियर टीम तैयार नहीं हो पाती.

पढ़ें: जॉब में दो प्रतिशत आरक्षण को खिलाड़ियों ने बताया फायदेमंद,आरक्षण कोटा बढ़ाने की कही बात

सुविधाओं की कमी: वैसे तो बास्केटबॉल को राजस्थान का राज्य खेल कहा जाता है, लेकिन आज भी ये खेल सुविधाओं के लिए जूझ रहा है. आमतौर पर बास्केटबॉल खेल इंडोर गेम है, लेकिन जयपुर के सवाईमान​सिंह स्टेडियम में खिलाड़ी आउटडोर में अभ्यास कर रहे हैं. इसे साथ ही जयपुर और जैसलमेर के अलावा अन्य किसी जिले में बास्केटबॉल एकेडमी सरकार की ओर से संचालित नहीं की जा रही.

पढ़ें: राजस्थान पुलिस में खेल कोटे की भर्ती में बाहरी राज्यों के खिलाड़ियों के नियम विरुद्ध चयन पर उठे सवाल...

सवाईमानसिंह स्टेडियम पर अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों का कहना है कि राजस्थान में जॉब की कमी के कारण खिलाड़ी इस खेल पर ध्यान नहीं दे रहे. जबकि जूनियर वर्ग में मेडल जीतने के बाद खिलाड़ी अन्य जगह जॉब में चले जाते हैं. जिसके बाद वे खिलाड़ी उस राज्य या फिर उस सर्विसेज को रिप्रजेंट करते हैं. ऐसे में होनहार खिलाड़ियों के पलायन के बाद एक सीनियर मजबूत टीम तैयार नहीं हो पाती.

क्यों फीकी हो रही सीनियर बास्केटबॉल खिलाड़ियों की चमक

जयपुर. बास्केटबॉल राजस्थान का राज्य खेल है, लेकिन दो दशक से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आज भी राजस्थान की सीनियर बास्केटबॉल टीम किसी भी नेशनल टूर्नामेंट में मेडल नहीं जीत पाई है. जबकि यही बास्केटबॉल खेल यहां के जूनियर खिलाड़ियों को काफी रास आ रहा है. हालांकि 90 के दशक में राजस्थान के खिलाड़ियों की इस खेल में धाक हुआ करती थी और समय के साथ ये चमक अब फीकी होने लगी है.

वैसे तो बास्केटबॉल राज्य खेल है, लेकिन आज भी बास्केटबॉल खेलने वाले खिलाड़ियों को सिर्फ पुलिस में ही नौकरी दी जा रही है. जबकि अन्य सरकारी महकमों में बास्केटबॉल खिलाड़ियों को वरियता नहीं मिल रही. इसी कारण नेशनल खेल चुके कई खिलाड़ी राजस्थान से पलायन भी कर चुके हैं और दूसरे राज्यों की टीम का हिस्सा बन चुके हैं. राज्य से खुशी राम 1967 में, सुरेन्द्र कुमार कटारिया 1973, हनुमान सिंह 1975, अजमेर सिंह 1982, राधेश्याम 1983 अर्जुन अवार्डी रहे हैं और राजस्थान के इन खिलाड़ियों की बास्केटबॉल में धाक हुआ करती थी.

पढ़ें: राजस्थान की बेटियों ने बास्केटबॉल में जीता स्वर्ण पदक, कप्तान यशिता कंवर बनीं प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट

जूनियर्स का शानदार प्रदर्शन: वहीं जूनियर खिलाड़ियों की बात करें, तो बास्केटबॉल इन जूनियर वर्ग को काफी रास आ रहा है. राजस्थान की जूनियर टीम हर साल अंडर 14, 17 और 19 में मेडल जीतती है. इतना ही नहीं राजस्थान बास्केटबॉल जूनियर टीम का हिस्सा रहे कुछ शानदार खिलाड़ी आज नेवी, एयरफोर्स, रेलवे जैसी टीम में अपनी जगह बना चुके हैं. हालांकि राजस्थान सरकार आउट आफ टर्न पालिसी के तहत खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी का तोहफा दे रही है. लेकिन जूनियर वर्ग में यह पॉलिसी लागू नहीं होती. ऐसे में मेडल जीतने पर जूनियर खिलाड़ी सर्विसेज की नौकरी को चुनकर राज्य से बाहर जा रहे हैं और ऐसे में राजस्थान की सीनियर टीम तैयार नहीं हो पाती.

पढ़ें: जॉब में दो प्रतिशत आरक्षण को खिलाड़ियों ने बताया फायदेमंद,आरक्षण कोटा बढ़ाने की कही बात

सुविधाओं की कमी: वैसे तो बास्केटबॉल को राजस्थान का राज्य खेल कहा जाता है, लेकिन आज भी ये खेल सुविधाओं के लिए जूझ रहा है. आमतौर पर बास्केटबॉल खेल इंडोर गेम है, लेकिन जयपुर के सवाईमान​सिंह स्टेडियम में खिलाड़ी आउटडोर में अभ्यास कर रहे हैं. इसे साथ ही जयपुर और जैसलमेर के अलावा अन्य किसी जिले में बास्केटबॉल एकेडमी सरकार की ओर से संचालित नहीं की जा रही.

पढ़ें: राजस्थान पुलिस में खेल कोटे की भर्ती में बाहरी राज्यों के खिलाड़ियों के नियम विरुद्ध चयन पर उठे सवाल...

सवाईमानसिंह स्टेडियम पर अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों का कहना है कि राजस्थान में जॉब की कमी के कारण खिलाड़ी इस खेल पर ध्यान नहीं दे रहे. जबकि जूनियर वर्ग में मेडल जीतने के बाद खिलाड़ी अन्य जगह जॉब में चले जाते हैं. जिसके बाद वे खिलाड़ी उस राज्य या फिर उस सर्विसेज को रिप्रजेंट करते हैं. ऐसे में होनहार खिलाड़ियों के पलायन के बाद एक सीनियर मजबूत टीम तैयार नहीं हो पाती.

Last Updated : Apr 13, 2024, 11:26 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.