रायपुर: रायपुर के मेकाहारा हॉस्पिटल में विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें मेकाहारा के डॉक्टर्स को प्रमाण पत्र देने के साथ ही मोमेंटो दिया गया. हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है. जिससे लोगों को रक्तदान के महत्व के बारे में बताया जा सके. लोगों को रक्तदान करने के लिए जागरूक किया जा सके.
रक्तदाताओं का हुआ सम्मान : मेकाहारा पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के विभाग अध्यक्ष डॉक्टर अरविंद नेरलवार ने बताया कि हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है. जो भी नागरिक अपने मन से लोगों की जान बचाने के लिए रक्तदान करता ऐसे लोगों को आज के दिन सम्मानित किया जाता है. लोग आगे भी रक्तदान के लिए तैयार रहें. इसके लिए उन्हें मोटिवेट किया जाता है. ऐसा करने से सभी लोग आगे आकर रक्तदान के लिए तैयार होते हैं.
''अस्पतालों में ब्लड की जरूरत आज के समय में काफी बढ़ गई है. ऐसे में रक्तदान करने से कई ऐसे लोग हैं जिसकी जान बचाई जा सकती है. रक्तदान की सबसे ज्यादा जरूरत एक्सीडेंट के केस या बर्न के केसेस में पड़ती है. रक्तदान करने से लोगों की जान समय पर बचाई जा सकती है. समय पर ब्लड नहीं मिलने से उसे मरीज की जान भी जा सकती है. इसकी वजह से भी रक्त का महत्व बढ़ जाता है."- डॉ अरविंद नेरलवार, पैथोलॉजी डिपार्टमेंट HOD
युवा पीढ़ी को आना चाहिए आगे : डॉ अरविंद के मुताबिक रक्तदान के लिए खासतौर पर युवा पीढ़ी को आगे आकर अपने मन से रक्त दान करना चाहिए. जिससे ब्लड बैंक के माध्यम से मरीजों को समय पर ब्लड चढ़ाकर उनकी जान बचाई जा सकती है. ब्लड बैंक में ब्लड नहीं बनाई जाती और ना ही इसका खेत या फिर अन्य जगहों पर उत्पादन किया जा सकता है. ऐसे में एक मानव दूसरे मानव के काम आता है. किसी की जान बचाने के लिए पशुओं से रक्त नहीं लिया जाता. एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को ही रक्तदान करके उसकी जिंदगी बचा सकता है.
रक्तदान करने से नहीं आती कमजोरी : डॉ अरविंद नेरलवार के मुताबिक कई बार लोगों में इस तरह की भ्रांतियां रहती है कि रक्तदान करने से कमजोरी आती है या फिर शरीर में ब्लड की कमी हो जाती है. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है.कोई भी डोनर ब्लड देता है तो 3 से 4 महीने के दौरान फिर से नया ब्लड बन जाता है. ऐसे में हर आम नागरिक को स्वैच्छिक रूप से रक्तदान करना चाहिए. जिससे लोगों की जिंदगी बचाई जा सके. रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है. इसके लिए मोटिवेशनल स्पीच लेख लिखकर लोगों को रक्तदान के लिए मोटिवेट करने के साथ ही उन्हें जागरूक किया जाता है. एक व्यक्ति अगर दूसरे व्यक्ति को रक्तदान करता है तो इससे किसी तरह की कोई कमजोरी या फिर इन्फेक्शन नहीं होता. रक्तदान को लोगों में इस तरह की भ्रांति और अंधविश्वास भी देखने को मिलता है.