रायपुर: मार्च का महीना बीतते ही लोगों को अप्रैल के महीने का इंतजार होता है. खासकर एक अप्रैल की तारीख का इंतजार कुछ ज्यादा होता है. मनमौजी किस्म के लोग इस दिन तरह तरह के प्रैंक कर लोगों को बेवकूफ बनाने का काम करते हैं. इसलिए अप्रैल महीने की पहली तारीख को मूर्ख दिवस या अप्रैल फूल डे कहा जाता है. बॉलीवुड की फिल्मों में और टीवी धारावाहिकों में भी अप्रैल फूल डे का जिक्र किया गया है. इस दिन बच्चे भी छोटी मोटी शरारत कर अपने दोस्तों को बेवकूफ बनाते हैं और फिर अप्रैल फूल कहकर एक दूसरे को चिढ़ाते हैं.
घर परिवार और दोस्तों के बीच अप्रैल फूल डे: अप्रैल फूल डे को लोग तरह तरह से सेलिब्रेट करते हैं. इस दिन अपने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बेवकूफ बनाने का काम करते हैं उसके बाद फोन कर और एक्ट के जरिए अपने परिचितों को फूल बनाने का काम करते हैं. जब लोग बेवकूफ बन जाते हैं तो उन्हें अप्रैल फूल बोलकर चिढ़ाते हैं और मजे लेते हैं. कुल मिलाकर यह दिन मौज मस्ती से भरा होता है.
कैलेंडर के लोचे से शुरू हुई कहानी: अप्रैल फूल मनाने का चलन कैलेंडर के लोचे से शुरू हुआ. इतिहासकार की मान्यताओं के मुताबिक फ्रांस में सन 1582 की एक अप्रैल को जूलियन कैलेंडर की जगह पर ग्रेगोरियन कैलेंडर को स्वीकार किया गया था. अर्थात इस दिन से इसे अपनाया गया. जूलियन कैलेंडर में एक अप्रैल से नया साल शुरू होने का रिवाज था. जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर में नया साल एक जनवरी से शुरू होता था. इस बदलाव को बहुत से लोग समझ नहीं पाए. जो लोग जूलियन कैलेंडर की तर्ज पर एक अप्रैल से नया साल मनाते थे उन्हें अन्य लोग मूर्ख की उपाधि देने लगे. उन्हें बेवकूफ बोलकर चिढ़ाना शुरू कर दिया. इस तरह अप्रैल फूल डे मनाने की शुरुआत हुई.
भारत में भी एक अप्रैल के दिन हंसी मजाक के तौर पर कई लोग अप्रैल फूल मनाते हैं. तरह तरह के प्रैंक भी लोग करते हैं और अपने हास्य विनोद का परिचय देते हैं.