नालंदाः महाभारत में चर्चित जरासंध का इतिहास बिहार से जुड़ा है. राजगीर में जरासंध का अखाड़ा भी है जहां मल-युद्ध हुआ करता था. इसी अखाड़े का नीतीश सरकार के द्वारा संरक्षण किया जा रहा है. इसको लेकर तेजी से काम जारी है. बता दें कि यह वही जरासंध हैं जिसे महाभारत में भीम ने दो टुकड़े कर दिए थे. अब बिहार में इससे जुड़े धरोहर को संरक्षण देने की कोशिश है. राजगीर स्थित अखड़ा को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है.
कौन था जरासंध? मगध राज्य जो वर्तमान में पटना का क्षेत्र कहलता है, जरासंध यहां के सम्राट थे. काफी बलवान और कुरुर थे. मल-युद्ध में पारंगत थे इसलिए आज तक नालंदा के राजगीर में जरासंध का अखाड़ा मौजूद है. यहां की मिट्टी से आज भी हल्दी-घी, दूध और चंदन की खुशबू आती है. पहलवानी के दौरान इस सामग्री को मिट्टी में मिलाया जाता था.
बृहद्रथ के पुत्र थे जरासंधः जरासंध की मृत्यु का महाभारत में भी चर्चा है. दरअसल, जरासंध के पिता का नाम बृहद्रथ था. बृहद्रथ की दो रानियां थी लेकिन किसी से संतान की प्राप्ति नहीं हो रहा था. इसके बाद बृहद्रथ ने महात्मा चण्डकौशिक के पास गए और अपनी पीड़ा बतायी. इसके बाद महात्मा ने बृहद्रथ को एक आम दिए. कहा कि इसे पत्नी को खिला देने के लिए. इसके बाद संतान सुख की प्राप्ति होगी.
दो टुकड़ों में हुआ था जरासंध का जन्मः राजा बृहद्रथ उस आम को दोनों पत्नियों में आधा-आधा काटकर खिला दिया. दोनों पत्नियां गर्भवती हुई लेकिन जब बच्चे हुए तो बच्चे का शरीर आधा था. दोनों पत्नियां से आधा-आधा बच्चा हुआ था. रानियां डर के मारे दोनों टुकड़ा को महल के बाहर फेंकवा दिया.
इसलिए जरासंध नाम पड़ाः इस दौरान एक जरा नामक राक्षसी जा रहा थी जो मगध की गृहदेवी कही जाती है. उसने अपने तंत्र विद्या से बच्चे के दोनों टुकड़ों को उठाकर जोड़ दिया. जैसे ही दोनों टुकड़ा एक हुआ बच्चा रोने लगा. रोने की आवाज सुनकर रानी फिर उस जगह पहुंची तो राक्षसी ने उस बच्चे को रानी के हवाले कर दिया. माना जाता है कि जरा नामक राक्षसी से ही जरासंध नाम पड़ा.
राजसूय यज्ञ बना मौत का कारणः माना जाता है कि जरासंध भगवान श्रीकृष्ण के मामा कंस का ससुर था. और श्रीकृष्ण के ही इशारे पर भीम जरासंध का वध कर पाया. हालांकि जरासंध के अंत का कारण कुछ और था. महाभारत के अनुसार एक बार नारद मुनि युधिष्ठिर को उसके पिता पांडु की इच्छा को बताते हुए राजसूय यज्ञ करने के लिए कहा. बता दें कि यह वही यज्ञ है जो राजा चक्रव्रती सम्राट बनने के लिए करता था.
चक्रव्रती राजा बनना चाहता था जरासंधः नारद मुनि से राजसूय यज्ञ के बारे में जानकर युधिष्ठिर श्रीकृष्ण के पास गए. उन्होंने इसके बारे में बताया कि श्रीकृष्ण ने इसके लिए प्रोत्साहित किया. लेकिन यह यज्ञ करना आसान नहीं था. जरासंध के रहते यह यज्ञ नहीं हो सकता था. यही कारण रहा है जिससे जरासंध का वध कर दिया गया. युधिष्ठिर को पता था कि जरासंध भी चक्रव्रती सम्राट बनने की तैयारी में है. उसने बलि देने के लिए कई राजाओं को बंदी बनाया था. 101 पूरा होने के बाद सभी का महादेव को बलि देते.
वेश बदलकर आए श्रीकृष्णः जरासंध का रणभूमि में परास्त करना आसान नहीं था. इसलिए श्रीकृष्ण, भीमसेन और अर्जुन ब्राह्मण का वेश बदलकर जरासंध के दरबार में आए. जरासंध समझ गया था कि यह कोई ब्राह्मण नहीं है. उसने अपनी सच्चाई बताते हुए अपनी मांग रखने को कहा. इसके बाद श्रीकृष्ण ने मलयुद्ध के लिए कहा. जरासंध बलवान था इसलिए उसने भीम को इसके लिए चुना.
भीम से ज्यादा शक्तिशाली थे जरासंधः माना जाता है कि 28 दिनों तक मलयुद्ध चला था. बार बार भीम हार जा रहा था. बार-बार जरासंध का दो टुकड़ा हो जाता था और फिर जुड़ जाता था, जिससे जीवित हो जाता था और दोगुणा ताकत से मल-युद्ध करता. काफी बलशाली होने के बावजूद भीम की हालत खराब होने लगी थी. इसके बाद श्रीकृष्ण ने भीम की सहायता की.
श्रीकृष्ण के इशारे से पर हुआ वधः श्रीकृष्ण ने एक घास का तिनका लेकर उसे बीच से दो टुकड़े में चीरकर एक दूसरे के विपरित फेंका. भीम इस इशारे को समझ गया. इसके बाद उसने जरासंध का दोनों पैर पकड़ कर दो टुकड़ा कर दिया. दोनों को एक दूसरे के विपरित फेंक दिया. ऐसा करते ही जरासंध की मृत्यु हो गयी और युधिष्ठिर राजसूय यज्ञ किया.
कर्ण से भी शक्तिशाली थी जरासंधः माना जाता है कि जरासंध के साथ कर्ण ने भी 500 दिनों तक युद्ध किया था. अंग प्रदेश का राजा दानवीर कर्ण मगध नरेश के अन्याय से परेशान था. काफी युद्ध होने के बावजूद जरासंध कर्ण से परास्त नहीं हो सका. इसके बाद कर्ण ने जरासंध को बता दिया कि उसकी मौत की कमजोरी उसे पता है. उसे बीच से चीर कर मारा जा सकता है. इसके बाज जरासंध पराजय स्वीकर कर लिया.
आने वाली पीढ़ी को जानकारी देना उद्येश्यः जिस जगह भीम के साथ मल युद्ध में जरासंध की मृत्यु हुई, वह अखाड़ा आज भी बिहार के राजगीर में स्थित है. नीतीश कुमार इस जगह का संरक्षित करा रहे हैं. 2022 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजगीर के कन्वेंशन सेंटर में जरासंध अखाड़े के पास स्मारक बनवाने का फैसला लिया ताकि आने वाली पीढ़ी मगध सम्राट जरासंध के बारे में जानें.
राजनीतिक लाभः लेकिन माना जाता है कि इसके पीछे राजनीतिक लोभ भी है. 2022 में घोषणा के बाद 2024 में चंद्रवंशी वोट बैंक से नीतीश कुमार को फायदा हुआ. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भी नीतीश कुमार को इससे फायदा होने का अनुमान है. नालंदा, औरंगाबाद, गया, नवादा, शाहाबाद, अरवल में चंद्रवंशी समाज का खास प्रभाव है. यहां के लोग जरासंध की पूजा करते हैं.
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