जयपुर. जब कोई व्यक्ति कार खरीदना चाहता है तो वह कितना माइलेज देती है? उसमें क्या विशेषताएं हैं? ऐसे विषयों पर विचार करता है. कार खरीदने के बाद पहली बार सर्विसिंग के लिए शोरूम में ले जाया जाता है तो कई लोग स्टाफ से शिकायत करते हैं कि 'आपकी कंपनी के मुताबिक मेरी कार माइलेज नहीं दे रही है' फिर वे जवाब देते हैं कि कुछ दिनों बाद माइलेज ठीक हो जाएगा. क्या ऐसी शिकायत आपको भी है कि आपकी कार का माइलेज उतना नहीं है, जितना कंपनी दावा करती है तो इस रिपोर्ट में जानिए आपके सवालों के जवाब.
कार क्यों देती है कम माइलेज ? : हमारे देश में किसी भी कार या बाइक को बाजार में उतारने के लिए ARAI सर्टिफिकेट लेना पड़ता है. ARAI का मतलब ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया है. यह भारत सरकार के अधीन कार्य करने वाला एक स्वतंत्र संगठन है. यह संगठन वाहनों की सुरक्षा, गुणवत्ता और उत्सर्जन को मापता है और प्रमाणपत्र जारी करता है. ARAI उत्सर्जन के लिए वाहनों का परीक्षण करते समय माइलेज की गणना करता है. एआरएआई उत्सर्जन के कार्बन मूल्यों के आधार पर माइलेज निर्धारित करता है. इंडियन ड्राइविंग साइकिल सिमुलेशन (आईडीसी) प्रयोगशाला में कार का परीक्षण करता है.
इसे भी पढ़ें- भीषण गर्मी के मौसम में जा सकती है पशुओं की जान, जानिए कैसै करें बचाव - UTILITY NEWS
कैसे किया जाता है परीक्षण ? : एक स्थिर चेसिस डायनेमो मीटर की सहायता से एक कार को चलती सड़क पर परीक्षण किया जाता है. बीस मिनट तक दस किलोमीटर की दूरी तक कार का परीक्षण किया जाता है. इस दौरान कार में सभी शर्तों को लागू करते हुए वाहन से निकलने वाले उत्सर्जन की गणना की जाती है. ARAI कार के कार्बन उत्सर्जन के आधार पर माइलेज की गणना करता है. जाहिर है वास्तविक जीवन में आपकी कार का माइलेज कंपनी के बताए हुए माइलेज से कम निकलता है. इसके निम्न कारण है -
- ARAI एक प्रयोगशाला में कार परीक्षण करता है. वास्तविक सड़कों पर नहीं.
- कार टेस्टिंग रूम का तापमान 25 से 30 डिग्री पर बनाए रखा जाता है, लेकिन सामान्य दिनों में बाहर का तापमान 35 डिग्री से ऊपर हो सकता है. गर्मियों में तापमान 40 डिग्री से भी अधिक होता है तो यही एक कारण है कि कारें कम माइलेज देती हैं.
- कार का परीक्षण करते समय एयर कंडीशनर बंद कर दिया जाता है. प्रदूषण और गंदगी के कारण आजकल हर कोई कार में सफर करते समय एसी का इस्तेमाल करता है. एसी के इस्तेमाल से कार की माइलेज पर असर पड़ता है.
- टेस्टिंग के दौरान कार की औसत स्पीड 30 किमी प्रति घंटा होती है. अधिकतम गति 90 किमी प्रति घंटा सुनिश्चित की गई है. लेकिन, ज्यादातर लोग हाईवे पर गाड़ी चलाते समय सौ किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा की रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं. इससे भी कार के माइलेज में फर्क पड़ता है.
- कार का परीक्षण केवल बीस मिनट के लिए किया जाता है. इससे कार के माइलेज का पूरा अनुमान नहीं लगाया जा सकता है.
- प्रयोगशाला में कार का परीक्षण करने में यातायात की स्थिति शामिल नहीं होती है, लेकिन, कई बार हम ट्रैफिक सिग्नल पर कार रोकते और स्टार्ट करते हैं तो माइलेज कम हो जाएगा.
- यही कारण है कि ARAI के अनुसार कंपनी द्वारा घोषित माइलेज वास्तविक जीवन में कार चलाने पर मिलने वाले माइलेज से अलग होता है.