गोड्डा: बीजेपी ने राजमहल लोकसभा सीट से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर बीजेपी को जीत दिलाने की अहम जिम्मेदारी ताला मरांडी को सौंपी गई है, क्योंकि झारखंड की ये सीट बीजेपी के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण सीट मानी जा रही है.
दरअसल, लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने झारखंड की 11 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. इसके बाद सभी उम्मीदवारों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. पिछले चुनाव में एनडीए गठबंधन ने झारखंड की 14 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की थी. राजमहल और पश्चिमी सिंहभूम दो ऐसी सीटें थीं जिन्हें बीजेपी जीतने में नाकाम रही.
पिछली बार पश्चिमी सिंहभूम से कांग्रेस की गीता कोड़ा जीती थीं. जो अब बीजेपी में शामिल हो गईं हैं, इसलिए इस सीट पर बीजेपी की जीत की संभावना बढ़ गई है. लेकिन बीजेपी के लिए राजमहल सीट अब भी आसान नहीं है. पिछली बार बीजेपी ने हेमलाल मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें जेएमएम के विजय हांसदा से करारी हार का सामना करना पड़ा था. अब हेमलाल मुर्मू झामुमो में शामिल हो गये हैं. जिसके बाद विजय हांसदा को कौन चुनौती देगा ये बीजेपी के लिए बड़ा सवाल बन गया था. इन सभी सवालों के बीच बीजेपी ने राजमहल लोकसभा सीट से ताला मरांडी के नाम की घोषणा कर सभी को चौंका दिया.
बोआरीजोर के रहने वाले हैं ताला मरांडी
ताला मरांडी गोड्डा जिले के बोआरीजोर प्रखंड के रहने वाले हैं. वह इससे पहले दो बार 2005 और 2014 में बीजेपी के टिकट पर बोरियो के विधायक भी रह चुके हैं. हालांकि, जब वह राजनीति के शिखर पर थे और उन्हें बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो वह एक बड़े विवाद में फंस गए. जिसके बाद उन्हें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी गंवानी पड़ी. विवाद ये था कि उन्होंने अपने बेटे की शादी एक नाबालिग लड़की से की थी. इस मामले ने तूल पकड़ लिया. जिसके बाद उन्हें न सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष का पद गंवाना पड़ा, बल्कि 2019 में उनका टिकट भी काट कर दिया गया. उनके टिकट कटने के पीछे एक वजह उनकी अपनी ही सरकार की डोमिसाइल नीति की आलोचना करना भी था.
बीजेपी के बागी बन गए ताला मरांडी
इसके बाद ताला मरांडी बागी बन गये और आजसू में शामिल हो गये. उन्होंने आजसू के टिकट पर चुनाव लड़ा. लेकिन वे खुद भी चुनाव हार गए और बीजेपी को भी हरा दिया. बीजेपी और ताला मरांडी के बीच इस जंग के चलते बोरिया से जेएमएम के लोबिन हेम्ब्रम चुनाव जीत गए. इसके बाद ताला मरांडी कुछ दिनों के लिए एलजेपी में शामिल हुए लेकिन फिर कुछ दिनों के बाद वे बीजेपी में वापस लौट आये. पिछले चुनाव में झामुमो से भाजपा में आये हेमलाल मुर्मू को राजमहल से बीजेपी वे अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन वह हार गये थे. ऐसे में हेमलाल को पता चल गया था कि वह चाहकर भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव नहीं जीत सकते. उन्होंने बीजेपी के टिकट पर लगातार चार लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन सभी चुनाव हार गए. ऐसे में वह फिर से अपनी पुरानी पार्टी जेएमएम में वापस चले गये.
एक बार मिली है बीजेपी को जीत
ऐसे में बीजेपी को एक बड़े चेहरे की जरूरत थी जो जेएमएम के गढ़ राजमहल में बीजेपी के लिए लड़ सके. शायद इसीलिए बीजेपी ने फिलहाल ताला मरांडी को सबसे बड़ा मोहरा माना है और उन पर दांव खेला है. आपको बता दें कि जेएमएम के गढ़ राजमहल में देवीधन बेसरा ही झारखंड बनने के बाद 2009 में एक बार बीजेपी को चुनावी जीत दिला सके हैं. वहीं झामुमो के विजय हांसदा लगातार दो बार राजमहल सांसद रहे हैं. जिनके विजय रथ को रोकने की बड़ी जिम्मेदारी भाजपा ने ताला मरांडी को सौंपी है.
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