पटनाः 'बंशीधर ब्रजवासी का तिरहुत में कमाल', 'जीत की तरफ बढ़े वंशीधर ब्रजवासी', 'वंशीधर आगे, सारी पार्टी पीछे', 'केके पाठक से पंगा लेने वाले वंशीधर का कमाल', 'वंशीधर ने राजद-जदयू को पीछे छोड़ा', 'तिरहुत एमएलसी उपचुनाव में वंशीधर का जलवा'. इस तरह के हेडलाइन मीडिया में सुर्खियों में बनी हैं. ऐसे में हर कोई जानने के लिए उत्सुक है कि बंशीधर ब्रजवासी कौन है जिसने कई दिग्गजों को पीछे छोड़ दिया.
बंशीधर ब्रजवासी कौन हैं?: मुजफ्फरपुर के मरवन प्रखंड निवासी बंशीधर ब्रजवासी उत्क्रमित मध्य विद्यालय रक्सा पूर्वी में पूर्व प्रखंड शिक्षक थे. वर्तमान में नियोजित शिक्षक संगठन के नेता हैं. पिता स्व नंदकिशोर सहनी भी शिक्षक थे. MA और B Ed की पढ़ाई करने वाले बंशीधर ब्रजवासी 2005 में नियोजित शिक्षक के रूप में नौकरी ज्वाइन की थी लेकिन केके पाठक ने बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद हमेशा शिक्षकों के हित के लिए आवाज बुलंद करते रहे हैं.
![Banshidhar Brajwasi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-12-2024/23081613_brijbasii.jpg)
केके पाठक से टकराव: बता दें कि जून-जुलाई 2024 में भीषण गर्मी पड़ी थी. कई सरकारी विद्यालयों में छात्र-छात्राएं बेहोश हो गए थे. कई शिक्षक-शिक्षिकाओं की भी हालत खराब हो गयी थी. सीएम नीतीश कुमार ने 30 से 8 जून 2024 तक विद्यालयों को बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन तत्कालीन ACS के के पाठक ने इसे रद्द कर दिया था. केके पाठक के इस फैसले का बंशीधर ब्रजवासी ने विरोध किया था.
केके पाठक ने किया था बर्खास्त: प्रखंड शिक्षक रहते हुए बंशीधर ब्रजवासी ने केके पाठक के आदेश के खिलाफ आवाज उठायी थी. इससे केके पाठक नाराज हो गए थे और उन्होंने शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की थी. आदेश का विरोध करने के कारण शिक्षक नेता बंशीधर ब्रजवासी को पहले निलंबित कर दिया गया था. बाद में उन्हें शिक्षक की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था. इसको लेकर भी खूब विरोध हुआ था.
विधान परिषद् उपचुनाव के चौथे राउंड के मतों की गिनती के बाद शिक्षक नेता वंशीधर ब्रजवासी को 12427 मत मिले, 4 राउंड की गिनती अभी बाकी। pic.twitter.com/nbOilmSyFi
— Educators of Bihar (@BiharTeacherCan) December 10, 2024
नौकरी गयी तो उपचुनाव में उतरेः नौकरी जाने के बाद भी शिक्षकों के साथ आवाज बुलंद करते रहे. यही कारण रहा है कि शिक्षक संगठन ने बंशीधर ब्रजवासी को तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी उपचुनाव में खड़ा किया. 5 दिसंबर को इसके लिए वोटिंग हुई. 9 दिसंबर से काउंटिंग शुरू हुई. 10 को अंतिम दिन रिजल्ट आने वाला है. बंशीधर ब्रजवासी राजद, जदयू और जनसुराज के उम्मीदवार को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ रहे हैं. इनकी जीत तय मानी जा रही है.
16 उम्मीदवारों से टक्करः बता दें कि इस उपचुनाव में कुल 17 उम्मीदवार थे. मुख्य रूप से जेडीयू से अभिषेक झा, आरजेडी से गोपी किशन, जन सुराज से विनायक गौतम मैदान में थे. पिछला रिकॉर्ड को देखते हुए जदयू और राजद में मुख्य मुकाबला माना जा रहा था. जनसुराज के आने से यह मुकाबला त्रिकोणीय हो गया था. दूर-दूर तक निर्दलीय प्रत्याशी बंशीधर ब्रजवासी की चर्चा नहीं थी, लेकिन काउंटिंग में इन्होंने सभी को पीछे छोड़ दिया.
![Banshidhar Brajwasi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-12-2024/23081613_brijbasi.jpg)
जदयू के अभिषेक झा पिछड़े: राजनीतिक विशेषज्ञ भी इस परिणाम से हैरान हैं. वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडे का मानना है कि जदयू के लिए यह उपचुनाव प्रतिष्ठा थी. मजबूत गढ़ में इस बार झटका लगा. इस सीट पर पिछले चार चुनाव से देवेश चंद्र ठाकुर की जीत हो रही थी. देवेश चंद ठाकुर 2024 लोकसभा चुनाव सांसद बने, इसके बाद सीट खाली थी. जदयू ने पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक झा को उम्मीदवार बनाया था. पिछले 3 महीने से अभिषेक झा उपचुनाव को लेकर मेहनत कर रहे थे लेकिन कामयाबी नहीं मिली.
![Tirhut MLC Election Result](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-12-2024/23081613_brijbasiiii.jpg)
"यह उपचुनाव जदयू के लिए प्रतिष्ठा का सवाल था, लेकिन वोटो में बिखराव दिखा. एनडीए के परंपरागत वोट भूमिहार और वैश्य के बीच बंट गया. बंशीधर ब्रजवासी के पक्ष में पूरा शिक्षक समुदाय गोलबंद हुए. बंशीधर ब्रजवासी ने जिस तरीके से बढ़त बनाई है, इसके पीछे उनका शिक्षकों के प्रति संघर्ष साफ तौर पर दिख रहा है." -सुनील पांडे, वरिष्ठ पत्रकार
जन सुराज के लिए भी था महत्वपूर्ण: तिरहुत स्नातक निर्वाचन उपचुनाव जन सुराज के लिए भी महत्वपूर्ण था. प्रत्याशी विनायक गौतम मुजफ्फरपुर के बड़े राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. पिता राम कुमार सिंह तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए तीन विधान परिषद के सदस्य बने. इन्हीं के पिता को हराकर देवेश चंद्र ठाकुर विधान पार्षद बने थे. विनायक गौतम के सामने तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र पर कब्जा फिर से जमाना एक चुनौती थी.
![Tirhut MLC Election Result](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-12-2024/23081613_brijbasiii.jpg)
राजद के वैश्य कार्ड: जदयू और जन सुराज की तरह राजद के लिए भी यह उपचुनाव महत्वपूर्ण था. राजद प्रत्याशी गोपी किशन का परिवार भी राजनीतिक रहा है. पिताजी विधायक रह चुके हैं. राजद एनडीए के परंपरागत वैश्य वोट में सेंध लगाने का प्रयास किया था. आरजेडी को उम्मीद थी कि उनके परंपरागत वोट बैंक में यदि वैश्य का समर्थन मिल जाता है तो यह उपचुनाव जीता जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
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