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छत्तीसगढ़ में किस मॉडल से नक्सल समस्या का होगा अंत, दावों और हकीकत में कितनी है सच्चाई - Naxal problem in Chhattisgarh

Chhattisgarh Government plan To Naxal लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जब राजनीतिक दल जुट रहे थे, तब मुद्दों की तैयारी में विकास वाला एजेंडा सबसे ऊपर रखा जा रहा था. ऐसे में केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित राज्यों से समस्या खत्म करने की भी रणनीति बनाई. इसका असर छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान देखने को मिला. चुनाव प्रचार में जब प्रचार के लिए नेताओं ने मंच संभाला तो प्रदेश को नक्सल मुक्त करने की गारंटी भी दी. पीएम नरेंद्र मोदी ने 2 साल में नक्सलियों को जड़ से उखाड़ फेंकने का दावा किया. इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री ने मोदी की गारंटी पर मुहर लगाई.लेकिन क्या गारंटी से छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या का अंत हो जाएगा,आईए जानते हैं.

Naxal problem in Chhattisgarh
किस मॉडल से नक्सल समस्या का होगा अंत (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 23, 2024, 8:05 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान की रणनीति और नक्सलियों के खात्मे को लिए गए फैसलों को भुनाने में बीजेपी ने कोई कसर नहीं छोड़ा. बात छत्तीसगढ़ की हो या फिर दूसरे राज्यों की. बीजेपी ने अपनी रैलियों में हर जगह छत्तीसगढ़ की ही तरह नक्सलियों के खिलाफ लिए गए एक्शन की बात कही. चाहे झारखंड हो, उड़ीसा हो ,या फिर आंध्र प्रदेश या तेलंगाना.बीजेपी के नेता कहीं भी इस मुद्दे से अपने विकास वाली नीति को अलग नहीं रख पाए. उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार के दरमियान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलियों के सफाई वाले बयान को बार-बार जोर देते रहे. उनका यही कहना था कि 2 साल के भीतर हम नक्सलियों का सफाया करेंगे और इसके लिए हमारी रणनीति भी बहुत पुख्ता है.

दो इंजन की सरकार, दो प्लान, नक्सली खत्म : बीजेपी चुनावी अभियान और सरकार चलाने के दावे में छत्तीसगढ़ में दो इंजन की सरकार चला रही है. दो इंजन की सरकार है तो विकास की रफ्तार भी तेज होगी.इसका सबसे बड़ा उदाहरण नक्सलियों के सफाई पर चलाए जा रहे अभियान का भी है. क्योंकि देश में दो चरणों के चुनाव बचे हुए हैं. ऐसे में बीजेपी नक्सल अभियान को ज्यादा बड़ा बताकर उन राज्यों में वोट समीकरण को साधना चाह रही है, जहां पर नक्सलियों की समस्या है. छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार चल रही है. ऐसे में नक्सलियों की सफाई के लिए दो प्लान पर काम किया जा रहा है.

डबल इंजन की सरकार का डबल प्लान : केंद्र सरकार सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से एनकाउंटर आत्मसमर्पण या फिर गिरफ्तारी वाली बात को अपनी राजनीति का हिस्सा बने हुए हैं, जो पूरे देश में मॉडल के तौर पर रखा जा रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने एक दूसरा मॉडल जनता के बीच रख दिया है.बीजेपी के डबल इंजन की सरकार वाले मॉडल में पहला इंजन का मॉडल सुरक्षा एजेंसियों ने संभाल रखा है, जबकि दूसरे इंजन के मॉडल में यह प्रस्ताव नक्सलियों को दिया गया है कि अगर वो सरेंडर करते हैं तो उन्हें किस तरह की सुविधा चाहिए.सरेंडर पॉलिसी में कैसा बदलाव चाहिए. इसका सुझाव वो खुद दें .दोनों तरीके से नक्सलियों के सफाई की तैयारी जोरों से चल रही है.

इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार दुर्गेश भटनागर ने बताया कि नक्सलियों की सफाई की रणनीति ठीक उसी तरह से केंद्र की सरकार कर रही है जो नक्सली चाहते थे. भारत के संविधान पर उन्हें भरोसा नहीं है.इसलिए वो बंदूक लेकर मुख्य धारा से अलग हो गए. अब ऐसी स्थिति में उनके होने से जहां विकास मुख्य धारा से भटक रही है. वहां विकास लाने के लिए सुरक्षा एजेंसी ने बंदूक का सहारा लिया है.लेकिन यह किसी भी विकासशील राष्ट्र के लिए उचित बात नहीं कहीं जा सकती है.

''हम पांच ट्रिलियन इकोनामी की बात तो कर रहे हैं, लेकिन जहां से यह आना है वहां आज भी वह अपने मूल उद्देश्य से लटका हुआ है. अगर यह बातें कही जाती हैं कि नक्सलियों को मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा और वहां पर विकास के लिए काम किया जाएगा तो सबसे जरूरी चीज ये है कि विकास के जो बुनियादी आयाम है वह उन स्थानों तक पहुंचे.'' दुर्गेश भटनागर, वरिष्ठ पत्रकार

बुनियादी सुविधाओं से निकलेगा नक्सल समस्या का हल : पत्रकार दुर्गेश भटनागर के मुताबिक सड़क बिजली पानी शिक्षा रोजगार जैसे मूलभूत सुविधाओं पर बयान नहीं काम करना होगा. वह भी एक दिन करके छोड़ देने वाली राजनीति से इसका हल नहीं होगा. इसके संपूर्ण सफाई के लिए जरूरी है कि जो क्षेत्र नक्सल प्रभावित हैं,वहां विकास हो. क्योंकि पढ़ाई और उसके बाद दवाई और इन दोनों के बाद घर चलाने के लिए कमाई अगर बीजेपी के उद्देश्य वाली राजनीति को ही समझ लें तो यह सबसे बड़ी जरूरत है. अगर ये नक्सल प्रभावित इलाकों में शुरू हो जाता है तो यह एक बड़ी पहल और बड़ी जीत कहीं जा सकती है.

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डबल इंजन की सरकार का डबल प्लान : केंद्र सरकार सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से एनकाउंटर आत्मसमर्पण या फिर गिरफ्तारी वाली बात को अपनी राजनीति का हिस्सा बने हुए हैं, जो पूरे देश में मॉडल के तौर पर रखा जा रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने एक दूसरा मॉडल जनता के बीच रख दिया है.बीजेपी के डबल इंजन की सरकार वाले मॉडल में पहला इंजन का मॉडल सुरक्षा एजेंसियों ने संभाल रखा है, जबकि दूसरे इंजन के मॉडल में यह प्रस्ताव नक्सलियों को दिया गया है कि अगर वो सरेंडर करते हैं तो उन्हें किस तरह की सुविधा चाहिए.सरेंडर पॉलिसी में कैसा बदलाव चाहिए. इसका सुझाव वो खुद दें .दोनों तरीके से नक्सलियों के सफाई की तैयारी जोरों से चल रही है.

इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार दुर्गेश भटनागर ने बताया कि नक्सलियों की सफाई की रणनीति ठीक उसी तरह से केंद्र की सरकार कर रही है जो नक्सली चाहते थे. भारत के संविधान पर उन्हें भरोसा नहीं है.इसलिए वो बंदूक लेकर मुख्य धारा से अलग हो गए. अब ऐसी स्थिति में उनके होने से जहां विकास मुख्य धारा से भटक रही है. वहां विकास लाने के लिए सुरक्षा एजेंसी ने बंदूक का सहारा लिया है.लेकिन यह किसी भी विकासशील राष्ट्र के लिए उचित बात नहीं कहीं जा सकती है.

''हम पांच ट्रिलियन इकोनामी की बात तो कर रहे हैं, लेकिन जहां से यह आना है वहां आज भी वह अपने मूल उद्देश्य से लटका हुआ है. अगर यह बातें कही जाती हैं कि नक्सलियों को मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा और वहां पर विकास के लिए काम किया जाएगा तो सबसे जरूरी चीज ये है कि विकास के जो बुनियादी आयाम है वह उन स्थानों तक पहुंचे.'' दुर्गेश भटनागर, वरिष्ठ पत्रकार

बुनियादी सुविधाओं से निकलेगा नक्सल समस्या का हल : पत्रकार दुर्गेश भटनागर के मुताबिक सड़क बिजली पानी शिक्षा रोजगार जैसे मूलभूत सुविधाओं पर बयान नहीं काम करना होगा. वह भी एक दिन करके छोड़ देने वाली राजनीति से इसका हल नहीं होगा. इसके संपूर्ण सफाई के लिए जरूरी है कि जो क्षेत्र नक्सल प्रभावित हैं,वहां विकास हो. क्योंकि पढ़ाई और उसके बाद दवाई और इन दोनों के बाद घर चलाने के लिए कमाई अगर बीजेपी के उद्देश्य वाली राजनीति को ही समझ लें तो यह सबसे बड़ी जरूरत है. अगर ये नक्सल प्रभावित इलाकों में शुरू हो जाता है तो यह एक बड़ी पहल और बड़ी जीत कहीं जा सकती है.

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