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महेश नवमी 2024: महेश नवमी कब ? यहां देखें शुभ मुहूर्त, तिथि और महत्व - Mahesh Navami 2024

हिंदू धर्म में भगवान शंकर आस्था के बड़े प्रतीकों में एक हैं. इनके नाम से जुड़े कई व्रत व त्योहार हैं. इसमें से एक है महेश नवमी व्रत. धार्मिक विद्वानों के अनुसार, शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान शिव को समर्पित महेश नवमी व्रत मनाया जाता है.

महेश नवमी 2024
महेश नवमी 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 15, 2024, 5:52 PM IST

शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान शिव को समर्पित महेश नवमी व्रत (etv bharat)

नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महेश नवमी के दिन ही भगवान शिव के आशीर्वाद से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी. यही वजह है कि माहेश्वरी समाज महेश नवमी को बहुत ही धूमधाम और हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं. इस दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. आईए जानते हैं महेश नवमी का पूजा मुहूर्त, तिथि और महत्व के बारे में.

आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक, महेश नवमी का पर्व भगवान शिव को समर्पित है. भगवान शिव को महेश्वर भी कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महेश नवमी के दिन विधि विधान से भगवान शिव की पूजा अर्चना करने और शिव मंदिर जाकर दर्शन करने से जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव के आशीर्वाद से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

शुभ मुहुर्त:

  • नवमी तिथि प्रारंभ: शनिवार, 15 जून 2024 को 12:03 AM पर शुरू होगी.
  • नवमी तिथि समाप्त: शनिवार, 16 जून 2024 को 02:32 AM पर समापन होगा.
  • उदया तिथि के अनुसार महेश नवमी का पर्व 15 जून 2024 को मनाया जाएगा.

शिव कुमार शर्मा बताते हैं महाभारत युद्ध के पश्चात युधिष्ठिर महाराज ने जब युधिष्ठिर संवत चलाया था. उसके 9 वर्ष पश्चात भगवान शिव की महेश के रूप में को पूजा की थी. उस दिन ज्येष्ठ शुक्ल नवमी थी. तभी से महेश नवमी का प्रचलन हुआ था. माहेश्वरी समाज मारवाड़ी समाज से संबंधित है. जो वैश्य वर्ण की श्रेणी में आते हैं. व्यापारिक रूप से समृद्ध होते हैं. यह समाज महाभारत काल से ही समाज के लिए जनकल्याण का कार्य करता रहा है.

उन्होंने अपने इष्ट भगवान शिव और दुर्गा मां को बनाया और इस तिथि को को महेश नवमी के नाम से जाना जाता है. प्रतिवर्ष माहेश्वरी समाज के लोग विशेष रूप से इस उत्सव का आयोजन करते हैं. इसके साथ-साथ भगवान शिव से अपने कल्याण की प्रार्थना करते हैं.

Disclaimer: खबर धार्मिक मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. खबर में दी गई किसी भी जानकारी के सटीक होने का ईटीवी भारत दवा नहीं करता है. खबर में दी गई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है.

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शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान शिव को समर्पित महेश नवमी व्रत (etv bharat)

नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महेश नवमी के दिन ही भगवान शिव के आशीर्वाद से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी. यही वजह है कि माहेश्वरी समाज महेश नवमी को बहुत ही धूमधाम और हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं. इस दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. आईए जानते हैं महेश नवमी का पूजा मुहूर्त, तिथि और महत्व के बारे में.

आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक, महेश नवमी का पर्व भगवान शिव को समर्पित है. भगवान शिव को महेश्वर भी कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महेश नवमी के दिन विधि विधान से भगवान शिव की पूजा अर्चना करने और शिव मंदिर जाकर दर्शन करने से जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव के आशीर्वाद से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

शुभ मुहुर्त:

  • नवमी तिथि प्रारंभ: शनिवार, 15 जून 2024 को 12:03 AM पर शुरू होगी.
  • नवमी तिथि समाप्त: शनिवार, 16 जून 2024 को 02:32 AM पर समापन होगा.
  • उदया तिथि के अनुसार महेश नवमी का पर्व 15 जून 2024 को मनाया जाएगा.

शिव कुमार शर्मा बताते हैं महाभारत युद्ध के पश्चात युधिष्ठिर महाराज ने जब युधिष्ठिर संवत चलाया था. उसके 9 वर्ष पश्चात भगवान शिव की महेश के रूप में को पूजा की थी. उस दिन ज्येष्ठ शुक्ल नवमी थी. तभी से महेश नवमी का प्रचलन हुआ था. माहेश्वरी समाज मारवाड़ी समाज से संबंधित है. जो वैश्य वर्ण की श्रेणी में आते हैं. व्यापारिक रूप से समृद्ध होते हैं. यह समाज महाभारत काल से ही समाज के लिए जनकल्याण का कार्य करता रहा है.

उन्होंने अपने इष्ट भगवान शिव और दुर्गा मां को बनाया और इस तिथि को को महेश नवमी के नाम से जाना जाता है. प्रतिवर्ष माहेश्वरी समाज के लोग विशेष रूप से इस उत्सव का आयोजन करते हैं. इसके साथ-साथ भगवान शिव से अपने कल्याण की प्रार्थना करते हैं.

Disclaimer: खबर धार्मिक मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. खबर में दी गई किसी भी जानकारी के सटीक होने का ईटीवी भारत दवा नहीं करता है. खबर में दी गई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है.

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