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दीपावली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर को, राम की अयोध्या में ही कंफ्यूजन; मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने कहा-ज्योतिषी से लेंगे राय

31 को है अमावस्या, इसलिए ज्योतिषाचार्य इस तिथि को ही बता रहे उत्तम

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

दीपावली की तिथि को लेकर कंफ्यूजन बना हुआ है.
दीपावली की तिथि को लेकर कंफ्यूजन बना हुआ है. (Photo Credit; ETV Bharat)

अयोध्या: रामनगरी में दीपोत्सव का भव्य आयोजन छोटी दीपावली 30 अक्टूबर को किया जाएगा, लेकिन दीपावली का मुख्य पर्व मनाए जाने के लिए तिथियां और मान्यताओं के बीच कंफ्यूजन की स्थिति है. दीपावली का पर्व कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर मनाने का विधान है, लेकिन इस बार पंचांग और गणना के बावजूद मतभेद उभर आए हैं.

क्या है मान्यता: धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को भगवान श्री राम 14 साल का वनवास और लंका विजय कर लौटे इसी समय अयोध्या लौटे थे. इसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने नगर को दीपों से सजाया था और तरह-तरह के व्यंजन बनाकर खुशियां मनाई थीं. इस खास दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है, मगर इस बार 2024 की दीपावली की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

तिथि को लेकर अलग-अलग मत: पंचांग की गणना के मुताबिक दीपावली का पर्व हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाने का विधान है. इस बार 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर बाद 3.52 पर अमावस्या तिथि की शुरुआत होगी और समापन 1 नवंबर की शाम 5.30 पर हो जाएगा. ऐसे में अमावस्या तिथि के आधार पर काशी विद्वत कर्मकांड परिषद और देश के अलग-अलग विद्वानों के दीपोत्सव की तिथि को लेकर अलग-अलग मत हैं. आलम यह है कि अयोध्या में भी श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी और ज्योतिषाचार्य के बीच भी अलग-अलग मत सामने आए हैं. जिसमें 31 अक्टूबर या फिर 1 नवंबर को दीपावली मनाने की बात भी सामने आ रही है.

मुख्य पुजारी ने कहा 1 नवंबर की तिथि: रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास कहते हैं, सूर्य उदय सूर्यास्त के आधार पर होता है. सूर्य उदय, सूर्यास्त का समय स्थान के अनुसार अलग-अलग है. इसलिए कहीं पर 31 अक्टूबर को और कहीं 1 नवम्बर को पर्व मनाया जाएगा. पुजारी का मानना है कि अयोध्या में 1 नवंबर को ही पर्व मनाया जाएगा.

31 अक्टूबर अमावस्या की रात्रि: ज्योतिषाचार्य प्रवीण शर्मा के मुताबिक अमावस्या 31 अक्टूबर को मध्यान में लगभग 3. 15 मिनट पर लग रही है, जो आगामी 1 नवंबर को 3.12 मिनट तक रहेगी. इसलिए शास्त्र सम्मत विजयदशमी का पर्व दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाया जाना उचित है क्योंकि दीपोत्सव रात्रि में ही मनाया जाता है और 31 अक्तूबर की रात्रि को ही दीपोत्सव का नक्षत्र मिल रहा है. वहीं बताया कि देश में सूर्योदय का समय अलग-अलग है किंतु अमावस्या की रात्रि तो 31 अक्टूबर की ही मिल रही है. ऐसे में इसी दिन अमावस्या का पर्व मनाया जाना उचित है.

चंपत राय ने कहा-ज्योतिषी से लेंगे राय: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का मानना है कि धार्मिक विद्वानों से इस बारे में विचार विमर्श कर यह निर्णय लिया जाएगा कि दीपावली का पर्व श्री राम जन्मभूमि मंदिर में कब और किस दिन मनाया जाएगा. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि इसका निर्णय ट्रस्ट नहीं करेगा. यह ज्योतिष के अनुसार तय होगा.

यह भी पढ़ें : अयोध्या में 250 करोड़ से ढाई एकड़ में बनेगा महाराष्ट्र भक्ति निवास, भूमि पूजन के साथ कार्य शुरू

अयोध्या: रामनगरी में दीपोत्सव का भव्य आयोजन छोटी दीपावली 30 अक्टूबर को किया जाएगा, लेकिन दीपावली का मुख्य पर्व मनाए जाने के लिए तिथियां और मान्यताओं के बीच कंफ्यूजन की स्थिति है. दीपावली का पर्व कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर मनाने का विधान है, लेकिन इस बार पंचांग और गणना के बावजूद मतभेद उभर आए हैं.

क्या है मान्यता: धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को भगवान श्री राम 14 साल का वनवास और लंका विजय कर लौटे इसी समय अयोध्या लौटे थे. इसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने नगर को दीपों से सजाया था और तरह-तरह के व्यंजन बनाकर खुशियां मनाई थीं. इस खास दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है, मगर इस बार 2024 की दीपावली की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

तिथि को लेकर अलग-अलग मत: पंचांग की गणना के मुताबिक दीपावली का पर्व हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाने का विधान है. इस बार 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर बाद 3.52 पर अमावस्या तिथि की शुरुआत होगी और समापन 1 नवंबर की शाम 5.30 पर हो जाएगा. ऐसे में अमावस्या तिथि के आधार पर काशी विद्वत कर्मकांड परिषद और देश के अलग-अलग विद्वानों के दीपोत्सव की तिथि को लेकर अलग-अलग मत हैं. आलम यह है कि अयोध्या में भी श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी और ज्योतिषाचार्य के बीच भी अलग-अलग मत सामने आए हैं. जिसमें 31 अक्टूबर या फिर 1 नवंबर को दीपावली मनाने की बात भी सामने आ रही है.

मुख्य पुजारी ने कहा 1 नवंबर की तिथि: रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास कहते हैं, सूर्य उदय सूर्यास्त के आधार पर होता है. सूर्य उदय, सूर्यास्त का समय स्थान के अनुसार अलग-अलग है. इसलिए कहीं पर 31 अक्टूबर को और कहीं 1 नवम्बर को पर्व मनाया जाएगा. पुजारी का मानना है कि अयोध्या में 1 नवंबर को ही पर्व मनाया जाएगा.

31 अक्टूबर अमावस्या की रात्रि: ज्योतिषाचार्य प्रवीण शर्मा के मुताबिक अमावस्या 31 अक्टूबर को मध्यान में लगभग 3. 15 मिनट पर लग रही है, जो आगामी 1 नवंबर को 3.12 मिनट तक रहेगी. इसलिए शास्त्र सम्मत विजयदशमी का पर्व दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाया जाना उचित है क्योंकि दीपोत्सव रात्रि में ही मनाया जाता है और 31 अक्तूबर की रात्रि को ही दीपोत्सव का नक्षत्र मिल रहा है. वहीं बताया कि देश में सूर्योदय का समय अलग-अलग है किंतु अमावस्या की रात्रि तो 31 अक्टूबर की ही मिल रही है. ऐसे में इसी दिन अमावस्या का पर्व मनाया जाना उचित है.

चंपत राय ने कहा-ज्योतिषी से लेंगे राय: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का मानना है कि धार्मिक विद्वानों से इस बारे में विचार विमर्श कर यह निर्णय लिया जाएगा कि दीपावली का पर्व श्री राम जन्मभूमि मंदिर में कब और किस दिन मनाया जाएगा. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि इसका निर्णय ट्रस्ट नहीं करेगा. यह ज्योतिष के अनुसार तय होगा.

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