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Delhi: दीपावली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर को? दूधेश्वर पीठाधीश्वर ने बताई सही तारीख

दीपावली की तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस है. 31 अक्टूबर या 1 नवंबर. इस पर दूधेश्वर पीठाधीश्वर ने पूजन का बताया सही वक्त.

दूधेश्वर पीठाधीश्वर ने बताई दिवाली की सही तारीख
दूधेश्वर पीठाधीश्वर ने बताई दिवाली की सही तारीख (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 18, 2024, 4:47 PM IST

नई दिल्ली: दिवाली हमेशा अमावस्या वाले दिन मनाई जाती है. सनातन धर्म के प्रमुख पर्व दीपावली को लेकर इस बार लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. लोगों के बीच असमंजस्य बना हुआ है कि पर्व 31 अक्टूबर को मनाना सही होगा या 1 नवंबर को. लोगों के इस भ्रम को श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने दूर किया और कहा कि 31 अक्‍टूबर की रात को ही दीपावली मनाना तर्कसंगत और शास्त्र संगत होगा.

शास्त्रों के अनुसार, 31 अक्टूबर यानी गुरुवार को अमावस्था तिथि लग रही है. इस कारण से दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी. दीपावली के त्योहार पर रात्रि में अमावस्या तिथि होनी चाहिए, जो 1 नवंबर 2024 को शाम के समय नहीं है. ऐसे में दीवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा.

अमावस्या के चलते 31 अक्टूबर को ही मनेगी दीपावली: श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि दीपावली का त्‍योहार कार्तिक मास की अमावस्‍या तिथि को मनाया जाता है और प्रदोष काल के बाद दीपावली की पूजा की जाती है. पंचांग के मुताबिक, इस साल अमावस्‍या तिथि 31 अक्‍टूबर की दोपहर 3.52 बजे शुरू होकर 1 नवंबर की शाम 6.16 बजे तक रहेगी. ऐसे में 31 अक्‍टूबर की रात को अमावस्‍या तिथि रहने से दीपावली मनाना तर्कसंगत है.

अमावस्या का दान पुण्‍य 1 नवंबर की सुबह करें: वैदिक पंडितों ने भी 31 अक्‍टूबर की रात में ही दीपावली मनाने तथा लक्ष्‍मी पूजन, काली पूजन, निशिथ काल और मध्य रात्रि की पूजा करने का निर्णय लिया है. 1 नवंबर की रात्रि में अमावस्या तिथि ना होने से दीपावली मनाना सही नहीं होगा. अमावस्‍या से जुड़े दान पुण्‍य के कार्य और पितृ कर्म आदि 1 नवंबर को सुबह के वक्‍त किए जा सकते हैं.

दूधेश्वर पीठाधीश्वर ने बताई दिवाली की सही तारीख (ETV BHARAT)

29 अक्टूबर को धनतेरस : श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि पांच दिवसीय दीपावली महापर्व की शुरुआत धनतेरस के पर्व से होती है, जो इस बार मंगलवार को है. धनतेरस के दिन सोने-चांदी के आभूषण और नए बर्तन खरीदे जाते हैं. धनतेरस पर धन के देवता कुबेरजी के साथ ही धन की देवी मां लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा की जाती है. धनतेरस के शुभ अवसर पर घर में नई झाड़ू और धनिया लाने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर पूरे साल धन समृद्धि बढ़ाती हैं और कृपा बरसाती हैं.

30 अक्टूबर को छोटी दीपावली: पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि के मुताबिक, छोटी दीपावली (Choti Diwali 2024 Date) का पर्व जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, 30 अक्‍टूबर को मनाया जाएगा. छोटी दीपावली को हनुमानजी की जयंती भी मनाई जाती है. इसी कारण इस दिन हनुमानजी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाना और चोला चढ़ाना भी बहुत शुभ माना जाता है. छोटी दीपावली पर दक्षिण दिशा में यम देवता के नाम का दीप प्रज्ज्वलित किया जाता है.

2 नवंबर को गोवर्द्धन पूजा: गोवर्द्धन पर्व जिसे अन्‍नकूट पर्व भी कहा जाता है, वह 2 नवंबर को मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्‍ण ने गोवर्द्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठाकर सभी मथुरावासियों की भीषण वर्षा से रक्षा की थी. तब से ही इस दिन गोवर्द्धन पूजा का पर्व मनाकर भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है और उन्हें अन्‍नकूट का भोग लगाया जाता है. वहीं भाई दूज का पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा.

ये भी पढ़ें : दिवाली पर सफाई के दौरान किस सामान को घर से बाहर नहीं निकाले, जानिए वास्तु विशेषज्ञ की राय

ये भी पढ़ें : दिवाली पर घर जाने वाले लोगों की मौज...सस्ते में फ्लाइट से करिए सफर

नई दिल्ली: दिवाली हमेशा अमावस्या वाले दिन मनाई जाती है. सनातन धर्म के प्रमुख पर्व दीपावली को लेकर इस बार लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. लोगों के बीच असमंजस्य बना हुआ है कि पर्व 31 अक्टूबर को मनाना सही होगा या 1 नवंबर को. लोगों के इस भ्रम को श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने दूर किया और कहा कि 31 अक्‍टूबर की रात को ही दीपावली मनाना तर्कसंगत और शास्त्र संगत होगा.

शास्त्रों के अनुसार, 31 अक्टूबर यानी गुरुवार को अमावस्था तिथि लग रही है. इस कारण से दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी. दीपावली के त्योहार पर रात्रि में अमावस्या तिथि होनी चाहिए, जो 1 नवंबर 2024 को शाम के समय नहीं है. ऐसे में दीवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा.

अमावस्या के चलते 31 अक्टूबर को ही मनेगी दीपावली: श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि दीपावली का त्‍योहार कार्तिक मास की अमावस्‍या तिथि को मनाया जाता है और प्रदोष काल के बाद दीपावली की पूजा की जाती है. पंचांग के मुताबिक, इस साल अमावस्‍या तिथि 31 अक्‍टूबर की दोपहर 3.52 बजे शुरू होकर 1 नवंबर की शाम 6.16 बजे तक रहेगी. ऐसे में 31 अक्‍टूबर की रात को अमावस्‍या तिथि रहने से दीपावली मनाना तर्कसंगत है.

अमावस्या का दान पुण्‍य 1 नवंबर की सुबह करें: वैदिक पंडितों ने भी 31 अक्‍टूबर की रात में ही दीपावली मनाने तथा लक्ष्‍मी पूजन, काली पूजन, निशिथ काल और मध्य रात्रि की पूजा करने का निर्णय लिया है. 1 नवंबर की रात्रि में अमावस्या तिथि ना होने से दीपावली मनाना सही नहीं होगा. अमावस्‍या से जुड़े दान पुण्‍य के कार्य और पितृ कर्म आदि 1 नवंबर को सुबह के वक्‍त किए जा सकते हैं.

दूधेश्वर पीठाधीश्वर ने बताई दिवाली की सही तारीख (ETV BHARAT)

29 अक्टूबर को धनतेरस : श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि पांच दिवसीय दीपावली महापर्व की शुरुआत धनतेरस के पर्व से होती है, जो इस बार मंगलवार को है. धनतेरस के दिन सोने-चांदी के आभूषण और नए बर्तन खरीदे जाते हैं. धनतेरस पर धन के देवता कुबेरजी के साथ ही धन की देवी मां लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा की जाती है. धनतेरस के शुभ अवसर पर घर में नई झाड़ू और धनिया लाने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर पूरे साल धन समृद्धि बढ़ाती हैं और कृपा बरसाती हैं.

30 अक्टूबर को छोटी दीपावली: पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि के मुताबिक, छोटी दीपावली (Choti Diwali 2024 Date) का पर्व जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, 30 अक्‍टूबर को मनाया जाएगा. छोटी दीपावली को हनुमानजी की जयंती भी मनाई जाती है. इसी कारण इस दिन हनुमानजी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाना और चोला चढ़ाना भी बहुत शुभ माना जाता है. छोटी दीपावली पर दक्षिण दिशा में यम देवता के नाम का दीप प्रज्ज्वलित किया जाता है.

2 नवंबर को गोवर्द्धन पूजा: गोवर्द्धन पर्व जिसे अन्‍नकूट पर्व भी कहा जाता है, वह 2 नवंबर को मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्‍ण ने गोवर्द्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठाकर सभी मथुरावासियों की भीषण वर्षा से रक्षा की थी. तब से ही इस दिन गोवर्द्धन पूजा का पर्व मनाकर भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है और उन्हें अन्‍नकूट का भोग लगाया जाता है. वहीं भाई दूज का पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा.

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