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देश में गेहूं उत्पादन का नया रिकॉर्ड दर्ज, भारत सरकार ने जारी किए आंकड़े, 112.92 मिलियन टन हुआ उत्पादन - wheat production New record

Wheat Production New Record: इस बार देश ने गेहूं उत्पदान में नया रिकॉर्ड कायम किया है. भारत सरकार द्वारा जारी तीसरे अनुमान के मुताबिक, देश में कुल 112.92 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ है. संस्थान ने 114 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा था.

Wheat Production New Record
Wheat Production New Record (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jul 16, 2024, 3:07 PM IST

Updated : Jul 16, 2024, 5:35 PM IST

Wheat Production New Record (ETV BHARAT)

करनाल: गेहूं उत्पादन में देश ने नया रिकॉर्ड कायम किया है. भारत सरकार द्वारा जारी तीसरे अनुमान के मुताबिक, देश में कुल 112.92 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ है. संस्थान ने 114 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा था. गेहूं का रकबा घटने के बावजूद करनाल स्थित राष्ट्रीय गेहूं व जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित गेहूं की उन्नत किस्मों के कारण यह संभव हो पाया है. हरियाणा समेत देश के 60 फीसदी किसानों ने इस बार गेहूं की नई किस्मों की बुवाई की थी.

गेहूं की दो नई किस्में: गेहूं उत्पादन में वृद्धि करने के लिए संस्थान ने गेहूं की दो ऐसी किस्में तैयार की है, जो 60 प्रतिशत कम पानी के बावजूद अच्छा उत्पादन दे सकती है. इसे भविष्य में बढ़ती गर्मी और ग्लोबल वार्मिंग को देखते हुए वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किया गया है. ये नई प्रजातियां 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देने में सक्षम है.

तापमान से फसलों बचाव की रिसर्च जारी: संस्थान के निदेशक डॉ. रतन तिवारी ने कहा कि इस साल सामान्य से ज्यादा तापमान देखने को मिला है. बढ़ती गर्मी का असर सीधे तौर फसलों की पैदावार पर पड़ता है. इस तरह से लगातार बढ़ते तापमान के कारण फसलों की पैदावार में गिरावट ना आए इसलिए कृषि वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि संस्थान ने गेहूं की दो किस्में डीबीडब्ल्यू 377 जो कि मध्य क्षेत्र के लिए है और दूसरी डीबीडब्ल्यू 359 विकसित की है. जिसकी खेती के लिए बेहद कम पानी की आवश्यकता होती है.

वर्टिकल ग्रोथ बढ़ाने का प्रयास जारी: सामान्य गेहूं की खेती की तुलना में उससे भी कम पानी में इसकी खेती हो जाती है. यह प्रजातियां जिंक, आयरन और प्रोटीन से भरपूर होगी. जिससे लोगों में पोषण की कमी दूर होगी. उन्होंने कहा कि किसानों को इस वर्ष से किसानों को नई प्रजातियों का बीज उपलब्ध कराया जाएगा. रतन तिवारी ने बताया कि बढ़ती जनसंख्या के चलते उत्पादन को बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है. इसके लिए हम गेहूं की वर्टिकल ग्रोथ बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. इसके अलावा अन्य गेहूं सम्बंधित प्रजातियों के जींस भी गेहूं में लाने पर काम किया जा रहा है. निदेशक ने कहा कि संस्थान में गेहूं की देसी और परंपरागत प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन पर संस्थान के वैज्ञानिक शोध कर उनकी विशेषताओं को नई प्रजाति में डाला जा रहा है.

ये भी पढ़ें: किसानों को जागरूक करने के लिए शुरू हुआ फसल बीमा सप्ताह - Crop Insurance

ये भी पढ़ें: किसानों का बड़ा ऐलान, शंभू बॉर्डर खुलते ही जाएंगे दिल्ली, कल अंबाला SSP कार्यालय का करेंगे घेराव - farmers Big announcement

Wheat Production New Record (ETV BHARAT)

करनाल: गेहूं उत्पादन में देश ने नया रिकॉर्ड कायम किया है. भारत सरकार द्वारा जारी तीसरे अनुमान के मुताबिक, देश में कुल 112.92 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ है. संस्थान ने 114 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा था. गेहूं का रकबा घटने के बावजूद करनाल स्थित राष्ट्रीय गेहूं व जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित गेहूं की उन्नत किस्मों के कारण यह संभव हो पाया है. हरियाणा समेत देश के 60 फीसदी किसानों ने इस बार गेहूं की नई किस्मों की बुवाई की थी.

गेहूं की दो नई किस्में: गेहूं उत्पादन में वृद्धि करने के लिए संस्थान ने गेहूं की दो ऐसी किस्में तैयार की है, जो 60 प्रतिशत कम पानी के बावजूद अच्छा उत्पादन दे सकती है. इसे भविष्य में बढ़ती गर्मी और ग्लोबल वार्मिंग को देखते हुए वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किया गया है. ये नई प्रजातियां 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देने में सक्षम है.

तापमान से फसलों बचाव की रिसर्च जारी: संस्थान के निदेशक डॉ. रतन तिवारी ने कहा कि इस साल सामान्य से ज्यादा तापमान देखने को मिला है. बढ़ती गर्मी का असर सीधे तौर फसलों की पैदावार पर पड़ता है. इस तरह से लगातार बढ़ते तापमान के कारण फसलों की पैदावार में गिरावट ना आए इसलिए कृषि वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि संस्थान ने गेहूं की दो किस्में डीबीडब्ल्यू 377 जो कि मध्य क्षेत्र के लिए है और दूसरी डीबीडब्ल्यू 359 विकसित की है. जिसकी खेती के लिए बेहद कम पानी की आवश्यकता होती है.

वर्टिकल ग्रोथ बढ़ाने का प्रयास जारी: सामान्य गेहूं की खेती की तुलना में उससे भी कम पानी में इसकी खेती हो जाती है. यह प्रजातियां जिंक, आयरन और प्रोटीन से भरपूर होगी. जिससे लोगों में पोषण की कमी दूर होगी. उन्होंने कहा कि किसानों को इस वर्ष से किसानों को नई प्रजातियों का बीज उपलब्ध कराया जाएगा. रतन तिवारी ने बताया कि बढ़ती जनसंख्या के चलते उत्पादन को बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है. इसके लिए हम गेहूं की वर्टिकल ग्रोथ बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. इसके अलावा अन्य गेहूं सम्बंधित प्रजातियों के जींस भी गेहूं में लाने पर काम किया जा रहा है. निदेशक ने कहा कि संस्थान में गेहूं की देसी और परंपरागत प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन पर संस्थान के वैज्ञानिक शोध कर उनकी विशेषताओं को नई प्रजाति में डाला जा रहा है.

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Last Updated : Jul 16, 2024, 5:35 PM IST
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