शिमला: आज के भागदौड़ भरे दौर में सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी हो गया है. जहां अच्छी सेहत के लिए एक ओर पौष्टिक खानपान जरूरी है. वहीं, कब खाना है और कब खाना नहीं खाना है, ये भी बेहद जरूरी है. ऐसे में इंटरमिटेंट फास्टिंग का प्रचलन काफी बढ़ गया है. डॉक्टरों के मुताबिक इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब है कि खाने को एक निश्चित अंतराल के बाद लेना. यानी की लगातार या ज्यादा कैलोरी शरीर में न लेना और कुछ टाइम तक फास्टिंग (व्रत) करना.
इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?
आईजीएमसी शिमला में मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. संजय राठौर ने बताया कि स्वस्थ लोग लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं. डॉक्टर का कहना है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग का एक तरीका है. आज के समय में 16/8 इंटरमिटेंट फास्टिंग का प्रचलन ज्यादा है. इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान बार-बार खाने की जगह एक निश्चित अंतराल के बाद ही खाना खाया जाता है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग के 3 प्रकार
- 16/8 इंटरमिटेंट फास्टिंग: ये बहुत ज्यादा लोकप्रिय इंटरमिटेंट फास्टिंग तरीका है. इसका मतलब यह होता है कि 16 घंटे का फास्ट और 8 घंटे आप खा सकते हैं.16 घंटे फास्टिंग के समय शरीर में ठोस आहार नहीं लेना होता है. सिर्फ पानी, चाय, कॉफी या नींबू पानी जैसे तरल पदार्थ ही ले सकते हैं. इसमें हेल्दी लिक्विड भी ले सकते हैं. यह प्रक्रिया रोजाना दोहराई जा सकती है या फिर हफ्ते में कुछ दिनों के लिए भी की जा सकती है. 16 घंटे के फास्ट से शरीर में किटोसिस बढ़ता है जिससे वजन घटता है.
- 5:2 इंटरमिटेंट फास्टिंग: 5:2 का मतलब है कि हफ्ते के 5 दिन सामान्य खाना खा सकते हैं और 2 दिन फास्ट करना होगा. 5 दिन इसमें अपनी मनपसंद का खाना खा सकते हैं, लेकिन 2 दिन सिर्फ सब्जियां, दूध व दलिया जैसा कम कैलोरी वाला खाना होगा. 2 दिन फास्टिंग के समय शरीर में 500-600 कैलोरी तक का खाना ही लेना होता है. इसमें ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करना होगा. यह रूटीन हफ्ते में 2 दिन की जा सकती है, या एक हफ्ते में 1 दिन भी कर सकते हैं. 5:2 से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और वजन कंट्रोल रहता है.
- अल्टरनेट डे इंटरमिटेंट फास्टिंग: इस प्रकार में एक दिन भोजन किया जाता है और अगले दिन फास्टिंग की जाती है. फास्टिंग और नॉन-फास्टिंग दिनों का अलग-अलग पैटर्न होता है. इसमें एक दिन फास्टिंग होती है और अगले दिन सामान्य आहार लिया जाता है. फास्टिंग वाले दिन 500-600 कैलोरी तक का खाना लिया जाता है. नॉन-फास्टिंग वाले दिन सामान्य खान-पान खाया जा सकता है. इस रूटीन को एक सप्ताह या महीने भर जारी रखा जा सकता है. यह भूख हार्मोन (फूड क्रेविंग) को कंट्रोल करता है और वजन घटाने में मदद करता है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे
डॉ. संजय राठौर ने बताया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के बहुत से फायदे हैं. ये न सिर्फ बीमारियों को कम करने में मदद करता है, बल्कि इस फास्टिंग के जरिए लोग एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं. 16 घंटे के फास्ट से शरीर में किटोसिस बढ़ता है, जिससे वजन घटता है.
- वजन का घटना
- डायबिटीज की संभावना कम करना
- हार्ट अटैक की संभावना कम करना
- कैंसर की संभावना कम करना
- मेटाबॉलिज्म का बढ़ना
- डाइजेशन सिस्टम का बेहतर होना
- कई बीमारियों का खत्म होना
- सीमित मात्रा में कैलोरी का शरीर में जाना
इंटरमिटेंट फास्टिंग के साइड इफेक्ट
डॉ. संजय राठौर ने बताया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के कुछ साइड इफेक्ट भी हैं. जिसके चलते कुछ लोगों की सेहत को इससे थोड़ा नुकसान भी हो सकता है.
- गैस्ट्रिक का होना
- चक्कर आना
- उल्टी का होना
- लो बीपी की समस्या
- मूड स्विंग होना
- ब्लड शुगर का फ्लकचुएट होना
- चिड़चिड़ापन ज्यादा होना
ये लोग न करें इंटरमिटेंट फास्टिंग
डॉ संजय राठौड़ ने बताया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के कुछ नुकसान भी हैं. इसलिए कुछ लोगों को डॉक्टरों द्वारा इंटरमिटेंट फास्टिंग न करने की सलाह दी जाती है.
- डायबिटीज के मरीज: डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा देर भूखे रहने से मना किया जाता है, क्योंकि इससे उनमें शुगर फ्लकचुएट होने का डर बना रहता है.
- 18 से कम और 60 से ज्यादा आयु वाले लोग: डॉक्टर का कहना है कि 18 से कम उम्र और 60 से ज्यादा उम्र वाले लोगों को भी इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे गैस्ट्रिक, चक्कर आना और उल्टी होने की समस्या बढ़ जाती है.
- साइकेट्रिक डिसऑर्डर मरीज: साइकेट्रिक डिसऑर्डर वाले मरीज को भी यह नहीं करना चाहिए. इससे उन्हें काफी नुकसान हो सकता है, क्योंकि उन्हें समय-समय पर कुछ खाना जरूरी होता है. जैसे की कुछ लोगों को फूड क्रेविंक की समस्या होती है, ऐसे लोगों को भी ये फास्टिंग नहीं करनी चाहिए.
क्यों है जरूरी इंटरमिटेंट फास्टिंग?
आज कल के दौर में जहां लोग ज्यादातर जंक फूड खाते हैं और फिजिकल एक्टिविटी भी कम रहती है. जिससे शरीर में कैलोरी की मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है. इससे लोगों को मोटापा, टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और अन्य बीमारियां होने का अधिक खतरा रहता है. ऐसे में इंटरमिटेंट फास्टिंग न सिर्फ शरीर में कैलोरी को कम करता है. बल्कि कई तरह की बीमारियों को भी शरीर से खत्म करता है. जिससे व्यक्ति स्वस्थ लंबा जीवन जी सकता है.
सबसे बेहतर इंटरमिटेंट फास्टिंग
आईजीएमसी में डाइटिशियन याचना शर्मा ने बताया कि वर्तमान में इंटरमिटेंट फास्टिंग का प्रचलन बढ़ता जा रहा है, क्योंकि लोग मोटापा नहीं चाहते हैं और स्वस्थ रहना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग को मोटापा घटाने के लिए ज्यादा बेहतर तरीका समझते हैं. उन्होंने बताया कि सबसे बेहतर इंटरमिटेंट फास्टिंग 16 और 8 घंटे का है. जिसमें 16 घंटे भूखे रहना है और 8 घंटे खाना होता है.
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