नई दिल्ली: दिल्ली में वॉटर लॉगिंग की समस्या से निपटने के लिए अब दिल्ली सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं. एलजी वीके सक्सेना ने 4 अगस्त को बारापूला ड्रेन और इसकी दो फीडर ड्रेनो खासकर सुनेहरी ड्रेन और कुशक ड्रेन का दौरा किया था जहां बड़े स्तर पर खामियां पाई थीं. अब इन ड्रेनों की डिसिल्टिंग को लेकर और उसके पुराने स्वरूप को लौटाने की दिशा में काम करने के लिए एक बड़ा प्लान तैयार किया है.
इसके लिए एक टाइमलाइन भी तय की गई है जिसके आधार पर अब यह पूरा काम किया जाएगा. सरकार ओल्ड हेरीटेज बारापूला ब्रिज की एतिहासिक विरासत को पुन: वापस लाने का काम करेगी, जिसका जिम्मा आर्कियोलॉजी सर्वे आफ इंडिया को दिया है. इस काम को पूरा करने की डेडलाइन 30 सितंबर 2024 तक रखी गई है. दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार की ओर से एक अदालती मामले में 5 अगस्त को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष एक एफिडेविट भी दाखिल की गई है.
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इसमें सरकार की तरफ से इन सभी ड्रेनों की डीसिल्टिंग और आसपास किए गए अतिक्रमण/अवैध निर्माण हटाने और दूसरे सभी कार्य करने को लेकर एक पूरा एक्शन प्लान बताया गया है. साथ ही यमुना नदी के तट, तल और किनारों के अतिक्रमण और अवैध निर्माण को हटाने को लेकर पूरी डिटेल रिपोर्ट सबमिट की गई है. बता दें कि दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में भी एक मामला विचाराधीन है.
बारापूला ड्रेन का बाथिमैट्रिक सर्वेक्षण भी कराएगी सरकार
सीएस की तरफ से एफिडेविट के जरिए एनजीटी को सौंपी गई इस रिपोर्ट पर नजर डालें तो बारापूला ड्रेन का एक बाथिमैट्रिक सर्वेक्षण भी करवाया जाएगा. सर्वे में बारापूला ड्रेन की सहायक ड्रेन सुनेहरी ड्रेन और कुशक ड्रेन भी शामिल हैं. इन सभी का सर्वेक्षण दिल्ली सरकार का सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग करेगा जिसको अगले एक माह के भीतर किया जा सकेगा. इसके साथ ही तीन माह के भीतर ड्रेनों की शत-प्रतिशत डीसिल्टिंग प्रक्रिया भी पूरी कर ली जाएगी. इन सभी कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में मशीनों की तैनाती भी की जाएगी. ड्रेनों पर किए गए अतिक्रमण को हटाने पर बड़ा काम किया जाएगा.
कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट की अवैध डंपिंग फ्लो में बन रही है बाधा
ड्रेन की तली में किए गए सभी अतिक्रमण को हटाने की जरूरत है जिसके लिए संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों की अध्यक्षता में एमसीडी, एनडीएमसी, आईएफसीडी, पीडब्ल्यूडी, ड्यूसिब और दिल्ली पुलिस विभाग के अधिकारियों की एक मल्टी डिसीप्लिनरी टीम काम करेगी. सरकार का मानना है कि ड्रेन में कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट की अवैध डंपिंग नालियों में रुकावट पैदा कर रही है जोकि इसके फ्लो में बड़ी बाधा बनी हुई है. इसकी रोकथाम के लिए पूरी ड्रेन पर मॉनिटरिंग कैमरे लगाने की जरूरत है. साथ ही ड्रेन को मॉनिटरिंग कैमरे लगाने के साथ-साथ कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट डालने वालों पर जुर्माना लगाने और एनफोर्समेंट नियमों को लागू करने की जरूरत है.
सुनहरीपुल ड्रेन और कुशक ड्रेन को भी किया जा रहा मॉनीटर
दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी का कहना है कि बारापूला ड्रेन साउथ दिल्ली के लिए एक जल निकासी प्रणाली की जीवन रेखा के रूप में देखी जाती है. इसलिए किसी भी अतिक्रमण के साथ-साथ निर्माण और विध्वंस कचरा के डंपिंग से बचने के लिए कंसर्टिना तार लगाकर ड्रेन को संरक्षित किया जा सकता है. चीफ सेक्रेटरी ने एनजीटी को इस बारे में भी अवगत कराया है कि सुनहरीपुल ड्रेन जैसे फीडर ड्रेन एनडीएमसी एरिया से काफी डिस्चार्ज को लाती है और कुशक ड्रेन नाम की एक अन्य प्रमुख फीडर ड्रेन से जुड़ जाती है जहां से बारापूला ड्रेन की शुरुआत होती है. बारापूला ड्रेन के जल निकासी मसलों को हल करने के लिए इन दोनों ड्रेनों पर भी लगातार ध्यान देने की जरूरत है. मुख्य सचिव ने बताया है कि 'वन एजेंसी ड्रेनेज वन एजेंसी' सिद्धांत का पालन करते हुए चालू मॉनसून सीजन के खत्म होने के बाद सुनेहरीपुल ड्रेन और कुशक ड्रेन को भी सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग को सौंपा जा सकता है.
दयाल सिंह कॉलेज की कवर्ड ड्रेन से गाद निकालने की योजना
दिल्ली सरकार का कहना है कि सुनेहरीपुल ड्रेन का एक खास बड़ा हिस्सा जो दयाल सिंह कॉलेज से शुरू होकर लोधी रोड तक जाता है, यह करीब 330 मीटर कवर ड्रेन है. इस कवर्ड ड्रेन को खोलने की जरूरत है ताकि मशीनरी को नीचे उतारकर डीसिल्टिंग का कार्य किया जा सके. लेकिन इसके लिए दयाल सिंह कॉलेज से मंजूरी लेने की आवश्यकता है. इसके बाद ही एक तय समय सीमा में ड्रेन से गाद निकालने का काम किया जा सकेगा.
यह सब एजेंसियां करेंगी बारापूला ड्रेन से जुड़े अलग अलग कार्य
सरकार की योजना है कि बारापूला ड्रेन के प्राकृतिक प्रवाह को बहाल करने के लिए इसमें मौजूद बाधाओं व अड़चनों को हटाने के लिए संबंधित विभाग की ओर से एक्शन प्लान तैयार किया है. इसके चलते ही सभी कार्रवाई एक तय समय सीमा में की जा सकेगी. इस कार्य के लिए एमसीडी सेंट्रल जोन के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर, डीजेबी के मेंबर वाटर, भारतीय रेलवे, बीजेपी के मेंबर ड्रेनेज, साउथ ईस्ट जिला के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, एमसीडी सेंट्रल जोन के डिप्टी कमिश्नर, आर्कियोलॉजी सर्वे आफ इंडिया आदि को अलग-अलग कार्यों की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई हैं. ये सभी काम 30 सितंबर तक अलग-अलग समय में पूरा किया जा सकेगा. साथ ही उसके नेचुरल फ्लो को वापस लाया जा सकेगा.
हेरीटेज बारापूला ब्रिज को अतिक्रमण फ्री कराने का काम करेंगे डीसी
मुख्य सचिव की ओर से 30 सितंबर 2024 की जो टाइमलाइन आर्कियोलॉजी सर्वे आफ इंडिया को दी गई है, उसमें एहतिहासिक ओल्ड बारापूला ब्रिज की प्राकृतिक विरासत को लौटाने का काम किया जाएगा. इसके बाद ओल्ड बारापूला ब्रिज पर आम लोगों को पैदल चलने की सुविधा मिल सकेगी. वर्तमान में इस ओल्ड हेरीटेज बारापूला ब्रिज को अतिक्रमण कर वेजिटेबल मार्केट में तब्दील किया हुआ है. इस अतिक्रमण को हटाने की जिम्मेदारी एमसीडी सेंट्रल जोन के डिप्टी कमिश्नर को दी गई जिसके लिए 19 अगस्त की डेडलाइन तय की गई है.
दिल्ली में हैं ये 22 ओपन ड्रेन
दिल्ली में कुल 22 ऐसी ओपन ड्रेन हैं जो यमुना नदी में गिरती हैं. इनमें मटकॉफ हाउस ड्रेन, खबर पास ड्रेन, स्वीपर कॉलोनी ड्रेन, मैगजीन रोड ड्रेन, तांगा स्टैंड ड्रेन, सिविल मिल ड्रेन, मोटा ड्रेन/विजय घाट ड्रेन, ड्रेन नंबर 14, तेहखंड ड्रेन, तेहखंड ड्रेन, तुगलकाबाद ड्रेन (कालकाजी ड्रेन इसमें मर्ज होती है), सेन नर्सिंग होम ड्रेन, दिल्ली गेट ड्रेन, पावर हाउस ड्रेन, नजफगढ़ ड्रेन, शाहदरा ड्रेन, अबुल फजल ड्रेन, आईएसबीटी ड्रेन (कुदेशिया बाग/मोरी गेट ड्रेन), सोनिया विहार ड्रेन (यमुना के पूर्वी छोर पर), कैलाश नगर ड्रेन (यमुना के पूर्वी किनारे पर), शास्त्री पार्क ड्रेन ( यमुना के पूर्वी छोर पर), महारानी बाग ड्रेन, जैतपुर ड्रेन और बारापूला ड्रेन प्रमुख रूप से शामिल हैं. इन सभी का जिम्मा एक ही एजेंसी सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग को सौंपा जा रहा है.
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