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Delhi: डीपफेक और AI पर नियंत्रण के लिए क्या कर रहे हैं?, हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा

दिल्ली हाईकोर्ट ने डीपफेक और AI को ग्लोबल प्रॉब्लम बताया है. केंद्र सरकार से तीन हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

डीपफेक और AI नियंत्रण मामला
डीपफेक और AI नियंत्रण मामला (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 24, 2024, 8:31 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डीपफेक टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण के लिए क्या कर रही? चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को इस संबंध में तीन हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी.

कोर्ट ने कहा कि डीपफेक के जरिए वीडियो बनाकर डाले जा रहे हैं, जिसका उपयोग लोगों के बारे में गलत सूचनाएं अपलोड करने के लिए किया जाता है. कोर्ट ने कहा कि डीपफेक का इस्तेमाल बढ़ गया है, ऐसे में इससे निपटने के लिए कारगर कदम उठाने की जरूरत है. केंद्र को इस बारे में गंभीरता से विचार करना होगा.

कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या कोई ऐसी कमेटी बनी है, जो इस मसले का हल करे. अगर केंद्र सरकार ने अभी तक कोई कमेटी नहीं बनाई है तो कोर्ट कमेटी का गठन करेगी. तब केंद्र की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय इसे देख रहा है. चेतन शर्मा ने कहा कि इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सारी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है. तब कोर्ट ने कहा कि कमेटी के बारे में सबकुछ मत बताइए लेकिन हम ये जानना चाहते हैं कि इस पर कोई कदम उठाया जा रहा है या नहीं. कोर्ट ने केंद्र को तीन हफ्ते में इस पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को केंद्र से इस मामले पर कानून बनाने पर विचार करने का आग्रह किया था. कोर्ट ने कहा था कि यह एक वैश्विक समस्या है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. डीपफेक वीडियोज का उपयोग दवाओं की बिक्री या धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है. ऐसे वीडियोज में डिस्क्लेमर नहीं होता है. तब केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा था कि केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारी इस मामले पर विचार कर रहे हैं.

हाईकोर्ट ने 4 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका वकील चैतन्य रोहिल्ला ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील मनोहर लाल ने डीपफेक और एआई का एक्सेस देने वाली वेबसाइटों को ब्लॉक करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि डीपफेक और एआई टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं. एआई टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण संविधान के मुताबिक होने चाहिए. एआई टेक्नोलॉजी की परिभाषा तय होनी चाहिए, क्योंकि डीपफेक जैसी टेक्नोलॉजी से किसी की छवि को खराब किया जा सकता है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि टेक्नोलॉजी का काफी महत्व है और यह कई मायने में सहयोग करता है. इसलिए टेक्नोलॉजी से निपटना आसान नहीं है. सभी पहलुओं पर गौर करते हुए संतुलन कायम करने की जरूरत है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि एआई और डीपफेक टेक्नोलॉजी को लेकर केंद्र सरकार दिशा-निर्देश तैयार कर रही है. सरकार इसके दुष्परिणामों से वाकिफ है और वो निपटने की कार्ययोजना पर काम कर रही है.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डीपफेक टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण के लिए क्या कर रही? चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को इस संबंध में तीन हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी.

कोर्ट ने कहा कि डीपफेक के जरिए वीडियो बनाकर डाले जा रहे हैं, जिसका उपयोग लोगों के बारे में गलत सूचनाएं अपलोड करने के लिए किया जाता है. कोर्ट ने कहा कि डीपफेक का इस्तेमाल बढ़ गया है, ऐसे में इससे निपटने के लिए कारगर कदम उठाने की जरूरत है. केंद्र को इस बारे में गंभीरता से विचार करना होगा.

कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या कोई ऐसी कमेटी बनी है, जो इस मसले का हल करे. अगर केंद्र सरकार ने अभी तक कोई कमेटी नहीं बनाई है तो कोर्ट कमेटी का गठन करेगी. तब केंद्र की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय इसे देख रहा है. चेतन शर्मा ने कहा कि इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सारी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है. तब कोर्ट ने कहा कि कमेटी के बारे में सबकुछ मत बताइए लेकिन हम ये जानना चाहते हैं कि इस पर कोई कदम उठाया जा रहा है या नहीं. कोर्ट ने केंद्र को तीन हफ्ते में इस पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को केंद्र से इस मामले पर कानून बनाने पर विचार करने का आग्रह किया था. कोर्ट ने कहा था कि यह एक वैश्विक समस्या है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. डीपफेक वीडियोज का उपयोग दवाओं की बिक्री या धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है. ऐसे वीडियोज में डिस्क्लेमर नहीं होता है. तब केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा था कि केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारी इस मामले पर विचार कर रहे हैं.

हाईकोर्ट ने 4 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका वकील चैतन्य रोहिल्ला ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील मनोहर लाल ने डीपफेक और एआई का एक्सेस देने वाली वेबसाइटों को ब्लॉक करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि डीपफेक और एआई टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं. एआई टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण संविधान के मुताबिक होने चाहिए. एआई टेक्नोलॉजी की परिभाषा तय होनी चाहिए, क्योंकि डीपफेक जैसी टेक्नोलॉजी से किसी की छवि को खराब किया जा सकता है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि टेक्नोलॉजी का काफी महत्व है और यह कई मायने में सहयोग करता है. इसलिए टेक्नोलॉजी से निपटना आसान नहीं है. सभी पहलुओं पर गौर करते हुए संतुलन कायम करने की जरूरत है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि एआई और डीपफेक टेक्नोलॉजी को लेकर केंद्र सरकार दिशा-निर्देश तैयार कर रही है. सरकार इसके दुष्परिणामों से वाकिफ है और वो निपटने की कार्ययोजना पर काम कर रही है.

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