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रायपुर में शादी सीजन में बढ़ी साफा और पगड़ी की डिमांड, सूट नहीं शेरवानी का बढ़ा ट्रेंड

Raipur Market safa sherwani Demand increased: छत्तीसगढ़ के बाजारों में शादी-ब्याह की खरीदारी शुरू हो चुकी है. रायपुर के बाजार में साफा और पगड़ी के दुकानों में इन दिनों ग्राहकों की भीड़ देखने को मिल रही है.

raipur Market safa sherwani Demand increased
शादी सीजन में बढ़ी साफा और पगड़ी की डिमांड,
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 22, 2024, 7:41 PM IST

Updated : Feb 22, 2024, 10:47 PM IST

रायपुर में शादी सीजन में बढ़ी साफा और पगड़ी की डिमांड

रायपुर: सनातन धर्म में खरमास खत्म होने के कुछ दिन बाद शादी-ब्याह का सीजन शुरू हो जाता है. होली से पहले फिर शादी ब्याह का मुहूर्त नहीं रहता. इसके बाद फिर मई जून माह से शादी का सीजन शुरू हो जाता है. इस बीच लोग पहले से ही शादी की खरीदारी करने में जुट जाते हैं. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बाजारों में भी शादी सीजन का बाजार सज चुका है. ग्राहक अपनी-अपनी पसंंद के मुताबिक खरीदारी कर रहे हैं. इस बीच रायपुर के बाजारों में अलग-अलग रंगों की पगड़ी, साफा और शेरवानी की डिमांड बढ़ती जा रही है.

इन चीजों का सज चुका है बाजार: दरअसल, रायपुर में शादी सीजन शुरू होते ही शादी-ब्याह से संबंधित बाजार भी गुलजार हो गया है. बाजार में दूल्हा के साथ ही घराती और बारातियों में पगड़ी और साफा पहनने का चलन भी बढ़ा है. यही कारण है कि बाजार में अलग-अलग डिजाइन और अलग-अलग रंगों में पगड़ी और साफा बिकने लगा है. लोग अपनी बजट के आधार पर साफा और पगड़ी खरीद रहे हैं. पगड़ी रेडीमेड होती है, जिसे सीधे सिर पर पहना जा सकता है, लेकिन साफा को सिर पर बांधना होता है. साफा बांधने में समय भी लगता है. मुस्लिम, सिख और सिंधी समाज के लोग दूल्हे के लिए नोटों की माला जरूर खरीदते हैं. इसके बगैर शादियां नहीं होती. इन सभी चीजों का बाजार सज चुका है.

बाजार में हर कीमत में उपलब्ध है साफा और पगड़ी: शादी सीजन और बाजार को लेकर साफा और पगड़ी का व्यापार करने वाले दुकानदारों की मानें तो दीपावली के बाद शादियों का सीजन शुरू हो जाता है जो कि मई के महीने तक चलेगा. दूल्हे के लिए पगड़ी बाजार में 100 रुपये से लेकर 900 रुपये तक उपलब्ध है. बराती और घरातियों के लिए 30 रुपये से लेकर 80 रुपये तक उपलब्ध है. दूल्हे के लिए साफा 1500 रुपये से लेकर 3500 रुपये तक बाजार में उपलब्ध है. बाराती और घरातियों के लिए 120 रुपये से लेकर 150 रुपये तक उपलब्ध है. होली से पहले और होली के दौरान 15 से 20 दिनों तक शादियों का सीजन नहीं रहता है. होली के बाद फिर से शादी-ब्याह शुरू हो जाता है. अब तक साफा और पगड़ी का कारोबार अच्छा हो रहा है. आने वाले समय में भी अच्छे कारोबार की उम्मीद है.

बाजार में अपने लिए साफा और पगड़ी पसंद खरीदने आया हूं. पगड़ी रेडीमेड होने के साथ ही कम कीमत में बाजार में मिल जाती है. साफा का दाम दो से तीन गुना ज्यादा होता है. गांव के ज्यादातर लोग पगड़ी ही पसंद करते हैं.- तकेश्वर साहू , ग्राहक

साफा-पगड़ी खरीदते समय ग्राहक पैसा नहीं देखते: एक अन्य दुकानदार गोलू खंडेलवाल ने बताया कि, "पगड़ी पौन मीटर कपड़े में गत्ते और फोम से बनाई जाती है. पगड़ी का लुक अलग रहता है और यह कान के ऊपर तक रहता है. वहीं, साफा 7 मीटर के कपड़े से बनता है और इसे सिर पर बांधा जाता है. ये कान के नीचे तक रहता है. यानी कि कान पूरी तरह से ढका रहता है. साफा और पगड़ी में यही सबसे बड़ा अंतर है. साफा पहनने से महाराजा जैसी फीलिंग आती है. पगड़ी और साफा के लिए ग्राहक पैसा नहीं देखते. अपनी बजट और पसंद के अनुसार साफा और पगड़ी खरीदते हैं."

नोटों की माला का ट्रेंड: पगड़ी और साफा के दुकानदार शत्रुघ्न गुप्ता बताते हैं कि, "सिख, मुस्लिम और सिंधी समाज के लोग दूल्हे के लिए नोटों की माला शादी में जरूर खरीदते हैं. इसके बगैर शादियां नहीं होती. नोटों की माला में 10 के नोट, 20 के नोट, 50 के नोट, 100 के नोट, 500 के नोटों की माला तैयार की जाती है. शादियों में नोटों की माला लोग अपने बजट के आधार पर खरीदते हैं. नोटों की माला में अब लाइट भी लगाया जा रहा है, जो लोगों को बेहद पसंद आती है."

शूट नहीं शेरवानी बनी दूल्हे की पसंद: रायपुर में शादी के सामान की खरीदारी के लिए लोग हर दिन पहुंच रहे हैं. वहीं, दूल्हे पहले शूट पहनते थे. हालांकि अब ये शेरवानी पहनना पसंद करते हैं. यही कारण है कि बाजार में दूल्हे राजा के साथ ही अन्य लोग शेरवानी खरीदने भी पहुंच रहे हैं. रायपुर के बाजार में कम से लेकर अधिक कीमत में शेरवानी उपलब्ध है. बता दें कि इस बार दुकानदारों को अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है.

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रायपुर में शादी सीजन में बढ़ी साफा और पगड़ी की डिमांड

रायपुर: सनातन धर्म में खरमास खत्म होने के कुछ दिन बाद शादी-ब्याह का सीजन शुरू हो जाता है. होली से पहले फिर शादी ब्याह का मुहूर्त नहीं रहता. इसके बाद फिर मई जून माह से शादी का सीजन शुरू हो जाता है. इस बीच लोग पहले से ही शादी की खरीदारी करने में जुट जाते हैं. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बाजारों में भी शादी सीजन का बाजार सज चुका है. ग्राहक अपनी-अपनी पसंंद के मुताबिक खरीदारी कर रहे हैं. इस बीच रायपुर के बाजारों में अलग-अलग रंगों की पगड़ी, साफा और शेरवानी की डिमांड बढ़ती जा रही है.

इन चीजों का सज चुका है बाजार: दरअसल, रायपुर में शादी सीजन शुरू होते ही शादी-ब्याह से संबंधित बाजार भी गुलजार हो गया है. बाजार में दूल्हा के साथ ही घराती और बारातियों में पगड़ी और साफा पहनने का चलन भी बढ़ा है. यही कारण है कि बाजार में अलग-अलग डिजाइन और अलग-अलग रंगों में पगड़ी और साफा बिकने लगा है. लोग अपनी बजट के आधार पर साफा और पगड़ी खरीद रहे हैं. पगड़ी रेडीमेड होती है, जिसे सीधे सिर पर पहना जा सकता है, लेकिन साफा को सिर पर बांधना होता है. साफा बांधने में समय भी लगता है. मुस्लिम, सिख और सिंधी समाज के लोग दूल्हे के लिए नोटों की माला जरूर खरीदते हैं. इसके बगैर शादियां नहीं होती. इन सभी चीजों का बाजार सज चुका है.

बाजार में हर कीमत में उपलब्ध है साफा और पगड़ी: शादी सीजन और बाजार को लेकर साफा और पगड़ी का व्यापार करने वाले दुकानदारों की मानें तो दीपावली के बाद शादियों का सीजन शुरू हो जाता है जो कि मई के महीने तक चलेगा. दूल्हे के लिए पगड़ी बाजार में 100 रुपये से लेकर 900 रुपये तक उपलब्ध है. बराती और घरातियों के लिए 30 रुपये से लेकर 80 रुपये तक उपलब्ध है. दूल्हे के लिए साफा 1500 रुपये से लेकर 3500 रुपये तक बाजार में उपलब्ध है. बाराती और घरातियों के लिए 120 रुपये से लेकर 150 रुपये तक उपलब्ध है. होली से पहले और होली के दौरान 15 से 20 दिनों तक शादियों का सीजन नहीं रहता है. होली के बाद फिर से शादी-ब्याह शुरू हो जाता है. अब तक साफा और पगड़ी का कारोबार अच्छा हो रहा है. आने वाले समय में भी अच्छे कारोबार की उम्मीद है.

बाजार में अपने लिए साफा और पगड़ी पसंद खरीदने आया हूं. पगड़ी रेडीमेड होने के साथ ही कम कीमत में बाजार में मिल जाती है. साफा का दाम दो से तीन गुना ज्यादा होता है. गांव के ज्यादातर लोग पगड़ी ही पसंद करते हैं.- तकेश्वर साहू , ग्राहक

साफा-पगड़ी खरीदते समय ग्राहक पैसा नहीं देखते: एक अन्य दुकानदार गोलू खंडेलवाल ने बताया कि, "पगड़ी पौन मीटर कपड़े में गत्ते और फोम से बनाई जाती है. पगड़ी का लुक अलग रहता है और यह कान के ऊपर तक रहता है. वहीं, साफा 7 मीटर के कपड़े से बनता है और इसे सिर पर बांधा जाता है. ये कान के नीचे तक रहता है. यानी कि कान पूरी तरह से ढका रहता है. साफा और पगड़ी में यही सबसे बड़ा अंतर है. साफा पहनने से महाराजा जैसी फीलिंग आती है. पगड़ी और साफा के लिए ग्राहक पैसा नहीं देखते. अपनी बजट और पसंद के अनुसार साफा और पगड़ी खरीदते हैं."

नोटों की माला का ट्रेंड: पगड़ी और साफा के दुकानदार शत्रुघ्न गुप्ता बताते हैं कि, "सिख, मुस्लिम और सिंधी समाज के लोग दूल्हे के लिए नोटों की माला शादी में जरूर खरीदते हैं. इसके बगैर शादियां नहीं होती. नोटों की माला में 10 के नोट, 20 के नोट, 50 के नोट, 100 के नोट, 500 के नोटों की माला तैयार की जाती है. शादियों में नोटों की माला लोग अपने बजट के आधार पर खरीदते हैं. नोटों की माला में अब लाइट भी लगाया जा रहा है, जो लोगों को बेहद पसंद आती है."

शूट नहीं शेरवानी बनी दूल्हे की पसंद: रायपुर में शादी के सामान की खरीदारी के लिए लोग हर दिन पहुंच रहे हैं. वहीं, दूल्हे पहले शूट पहनते थे. हालांकि अब ये शेरवानी पहनना पसंद करते हैं. यही कारण है कि बाजार में दूल्हे राजा के साथ ही अन्य लोग शेरवानी खरीदने भी पहुंच रहे हैं. रायपुर के बाजार में कम से लेकर अधिक कीमत में शेरवानी उपलब्ध है. बता दें कि इस बार दुकानदारों को अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है.

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Last Updated : Feb 22, 2024, 10:47 PM IST
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