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छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध दूधाधारी और जैतूसाव मठ में हुआ शस्त्र पूजन - WEAPON WORSHIP IN MATH ON DUSSEHRA

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थिति दूधाधारी मठ और जैतूसाव मठ में दशहरा मनाया गया.

WEAPON WORSHIP IN MATH ON DUSSEHRA
दूधाधारी मठ और जैतूसाव मठ (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 12, 2024, 9:33 PM IST

रायपुर: विजयादशमी की पूरे भारत में धूम है. भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में दशहरा का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया. रायपुर में स्थिति मठों में इस दौरान कई तरह की पूजा हुई. जिसमें शस्त्र पूजन का कार्यक्रम अति विशेष रहा. रायपुर के प्रमुख दूधाधारी मठ और जैतूसाव मठ में भगवान श्रीराम की पूजा अर्चना की गई. इसके बाद शस्त्र पूजन का कार्यक्रम किया गया.

दूधाधारी मठ और जैतूसाव मठ में शस्त्र पूजन: विजयदशमी के अवसर पर रायपुर के दूधाधारी मठ और जैतूसाव मठ में दोपहर को शस्त्र पूजन किया गया. इस दौरान अश्व पूजन, वाहन पूजन का भी कार्यक्रम हुआ. महंत रामसुंदर दास ने सुबह जैतूसाव मठ और दोपहर को दूधाधारी मठ में शस्त्र पूजन किया. इस मौके पर वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ पूरा पूजन कार्यक्रम हुआ. हवन पूजन के साथ साथ आरती भी हुई. दोनों ही स्थानों पर भगवान रघुनाथ की पूजा अर्चना की गई.

"दूधाधारी मठ और जैतूसाव मठ की स्थापना जब से हुई है तब से इन स्थानों में शस्त्र पूजन का कार्यक्रम होता है. हर वर्ष परंपरागत रूप से विजयादशमी महोत्सव का यहां आयोजन होता है. आज भी यहां भगवान की पूजा अर्चना का कार्यक्रम संपन्न हुआ है. वर्ष में यहां पर तीन बार भगवान का स्वर्ण श्रृंगार किया जाता है. जिसमें विशेष कर रामनवमी, जन्माष्टमी और दशहरा महत्वपूर्ण है. भक्त यहां पहुंचकर भगवान के स्वर्ण श्रृंगार के दर्शन लाभ लेते हैं: महंत रामसुंदर दास

विजयादशमी के अवसर पर आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को शस्त्र पूजन का कार्यक्रम परंपरागत रूप से आयोजित होता है. इस पवित्र अवसर पर छत्तीसगढ़ के इस सुप्रसिद्ध मठ में शस्त्र पूजन का कार्यक्रम विधि विधान के साथ संपन्न किया गया है.

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दूधाधारी मठ और जैतूसाव मठ में शस्त्र पूजन: विजयदशमी के अवसर पर रायपुर के दूधाधारी मठ और जैतूसाव मठ में दोपहर को शस्त्र पूजन किया गया. इस दौरान अश्व पूजन, वाहन पूजन का भी कार्यक्रम हुआ. महंत रामसुंदर दास ने सुबह जैतूसाव मठ और दोपहर को दूधाधारी मठ में शस्त्र पूजन किया. इस मौके पर वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ पूरा पूजन कार्यक्रम हुआ. हवन पूजन के साथ साथ आरती भी हुई. दोनों ही स्थानों पर भगवान रघुनाथ की पूजा अर्चना की गई.

"दूधाधारी मठ और जैतूसाव मठ की स्थापना जब से हुई है तब से इन स्थानों में शस्त्र पूजन का कार्यक्रम होता है. हर वर्ष परंपरागत रूप से विजयादशमी महोत्सव का यहां आयोजन होता है. आज भी यहां भगवान की पूजा अर्चना का कार्यक्रम संपन्न हुआ है. वर्ष में यहां पर तीन बार भगवान का स्वर्ण श्रृंगार किया जाता है. जिसमें विशेष कर रामनवमी, जन्माष्टमी और दशहरा महत्वपूर्ण है. भक्त यहां पहुंचकर भगवान के स्वर्ण श्रृंगार के दर्शन लाभ लेते हैं: महंत रामसुंदर दास

विजयादशमी के अवसर पर आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को शस्त्र पूजन का कार्यक्रम परंपरागत रूप से आयोजित होता है. इस पवित्र अवसर पर छत्तीसगढ़ के इस सुप्रसिद्ध मठ में शस्त्र पूजन का कार्यक्रम विधि विधान के साथ संपन्न किया गया है.

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