मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : चिरमिरी नगर पालिका को बने कई साल हो चुके हैं.लेकिन आज भी चिरमिरी के वार्डों में मूलभूत सुविधाएं इकट्ठी नहीं हो सकीं हैं.आज भी नगर पालिका के कई वार्ड ऐसे हैं जो गंदे हैं.कई वार्डों में पानी की समस्या खड़ी है. नगरपालिका में 40 वार्ड हैं.जहां करोड़ों रुपए खर्च करके पानी की पाइप लाइन बिछाई गई है.लेकिन आज भी कई घरों तक पीने का साफ पानी नहीं पहुंच सका है. वहीं जनप्रतिनिधि और नगर पालिक निगम चिरमिरी के कर्मचारी अधिकारी चिरमिरी क्षेत्र में पेयजल की गंगा बहाने की बात कह कर खुद की ही पीठ थपथपा रहे हैं. लेकिन नगर पालिका चिरमिरी का वार्ड क्रमांक 8 पलथाजाम के जैसे अनेक ऐसे वार्ड हैं, जहां पर के वार्ड वासी गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.
गंदा पानी पीकर बच्चे बीमार : वार्ड क्रमांक 8 की हालत ये है कि यहां रहने वाले रहवासी गंदा पानी पीकर अपना जीवन काट रहे हैं. इनकी समस्या को ना तो पार्षद सुनता है और ना ही अफसर. वार्ड क्रमांक 8 के कई बच्चे और रहवासी इसी गंदे पानी के कारण घातक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. लेकिन इनके जीवन में गंदा पानी पीने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है.एक तरफ चिरमिरी निगम लोगों के बीच पानी की गंगा बहाने की बात कहता है.लेकिन वार्ड क्रमांक 8 की तस्वीरें ये बताने के लिए काफी है कि गंगा की बातें कहना और उसका पानी जनमानस तक पहुंचाना आसान नहीं हैं.
कमीशनखोरी की भेंट चढ़ी योजना : चिरमिरी में पेयजल को लेकर स्थानीय निवासी पतिराज सिंह चौहान का भी कहना है कि नगर पालिका निगम चिरमिरी के 40 वार्ड में पानी की समस्या है. प्री प्लानिंग पेयजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी हालात जस के तस हैं. ठेकेदारों ने पैसे कमाने के उद्देश्य से काम किया है.जिसके कारण योजना का लाभ रहवासियों को नहीं मिल सका है. चिरमिरी में आज कई ऐसे वार्ड हैं जहां के लोग दूषित पानी के भरोसे अपना जीवन काट रहे हैं. इस मामले में नगर पालिका निगम के नेता प्रतिपक्ष संतोष सिंह का कहना है कि निगम सरकार में भ्रष्टाचार हुआ है.
''नगर पालिक निगम में विकास के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार पसरा हुआ है.जनप्रतिनिधि से लेकर अफसर कमीशनखोरी के दलदल में आकंठ तक डूबे हैं.ऐसे में पेयजल की समस्या का निदान कैसे होगा.'' संतोष सिंह, नेता प्रतिपक्ष चिरमिरी
वहीं दूसरी और नगर पालिका निगम चिरमिरी की पार्षद और कांग्रेस पार्टी की नेत्री बबीता सिंह का भी कहना है कि नगर पालिका निगम चिरमिरी पेयजल संकट को दूर करने के लिए बिना किसी प्लानिंग का काम करती है. वहीं इस पूरे मामले में नगर पालिका निगम आयुक्त ने आचार संहिता का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ लिया है.