रामनगरः उत्तराखंड की प्राचीन कोसी नदी पर संकट गहरा रहा है. या ये कहें कि कोसी नदी का अस्तित्व खतरे में है. कोसी नदी का जलस्तर पिछले 3 सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. इसके साथ ही नदी में लगातार जलस्तर की गिरावट दर्ज की जा रही है. पर्यावरणविदों ने संभावना जताई है कि ऐसे में भविष्य में पीने के पानी की आपूर्ति बाधित होने के साथ ही सिंचाई के लिए भी पानी मिलना भी मुश्किल हो जाएगा.
कोसी नदी उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कौसानी के पास धारपानी से निकलकर अल्मोड़ा में कोसी घाटी का निर्माण करते हुए आगे बढ़ती है. नैनीताल जिले के रामनगर से होते हुए यह उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और रामगंगा में मिल जाती है. उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर, रामपुर, मुरादाबाद जिलों में यह बड़े भूभाग को सिंचित करती आई है.
मौजूदा हालात ये है कि नदी में 70 क्यूसेक पर सेकेंड का वाटर डिस्चार्ज हो रहा है. साल 2023 की बात करें तो 75 क्यूसेक था. वहीं 2022 में 91 क्यूसेक पानी का लेवल दर्ज किया गया था, जो बेहद चिंता का विषय है.
अप्रैल और मई माह का कोसी नदी का वाटर लेवल
- 2024 में 70 क्यूसेक
- 2023 में 75 क्यूसेक
- 2022 में 91 क्यूसेक
- 2021 में 56 क्यूसेक
- 2020 में 93 क्यूसेक
- 2019 में 64 क्यूसेक
- 2018 में 70 क्यूसेक
- 2017 में 75 क्यूसेक
- 2016 में 90 क्यूसेक
इसको लेकर पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता गणेश रावत का कहना है कि कोसी नदी में समोयोजित होने वाले 14 रिचार्ज जोन और लगभग 1500 से ज्यादा बरसाती नाले विलुप्त होने की स्थिति में हैं. सरकारों को इसको लेकर ठोस निर्णय लेना पड़ेगा.
समाज सेवी नरेंद्र शर्मा ने भी इसको लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि यह कोसी नदी अकेले उत्तराखंड में ही 15 से 20 लाख लोगों के लिए पेयजल के साथ ही सिंचाई का कार्य करती है. पर्यावरण में लगातार बदलाव और पर्यावरण से छेड़छाड़ के कारण ही आज ये स्थिति बन गई है. इस पर सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
उधर प्रोफेसर डॉक्टर एमसी पांडे का कहना है कि अब समय आ गया है कि कोसी नदी को लेकर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है. ज्यादा से ज्यादा जंगल विकसित करने चाहिए, जिससे जमीन की नमी बढ़ेगी. डॉक्टर एमसी पांडे ने कहा कि कंक्रीट में बदलते जंगलों से छेड़छाड़ कहीं ना कहीं इसका मुख्य कारण है. वह पलायन को भी इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं. उनका कहना है कि सरकारों को जल्द ही इसको लेकर ठोस निर्णय अपनाने होंगे, वरना यह कोसी नदी आने वाले समय में मौसमी नदी के रूप में बदल जाएगी.
वहीं इसको लेकर सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता अमित गुप्ता ने बताया कि कोसी नदी का जलस्तर लगातार गिरते जा रहा है. बारिश नहीं होने की वजह से भी कोसी नदी में पानी बहुत कम रह गया है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सिंचाई के साथ ही पीने की पानी की भी बहुत बड़ी समस्या पैदा हो सकती है. उन्होंने कहा कि कोसी नदी को शायद पिनर नदी से जोड़ने की एक वृद्ध योजना चल रही है, जो ऊपरी स्तर पर चल रही है. अगर ऐसा होता है तो इसमें सुधार हो पाएगा. वरना आने वाले समय में हमें बारिश पर ही निर्भर रहना पड़ेगा.
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