धमतरी : छत्तीसगढ़ में पड़ रही भीषण गर्मी का असर अब डैम पर भी पड़ा है.जिले का सबसे बड़ा गंगरेल डैम सूखे की मार झेल रहा है.छत्तीसगढ़वासियों का प्यास बुझाने वाली महानदी खुद पानी के लिए तरस रही है. गंगरेल बांध का जलस्तर काफी नीचे जा चुका है. बांध की कुल क्षमता के मुकाबले सिर्फ 8 फीसदी पानी बचा है. मौसम विभाग के मुताबिक अभी भी मॉनसून आने में तीन हफ्ते का समय है.ऐसे में मॉनसून में देरी हुई तो आने वाले दिन छत्तीसगढ़ के लिए कष्टदायक हो सकते हैं.
गंगरेल में गहराया जल संकट : धमतरी के रविशंकर जलाशय गंगरेल बांध की जलभराव क्षमता कुल 32 टीएमसी है. टीएमसी का मतलब "थाउजेंड मिलियन क्यूबिक फीट" इसे थोड़ा और आसान करें तो." 1 टीएमसी" मतलब "28 अरब 31 करोड़ लीटर" होता है. मौजूदा समय में अभी बांध में सिर्फ 2 टीएमसी उपयोगी जल रह गया है. इन आंकड़ों को अगर तस्वीरों से समझने की कोशिश करें तो गंगरेल बांध के पुराने वीडियो में और ताजा वीडियो में तुलना से साफ हो जाता है कि समस्या कितनी बढ़ चुकी है.
गंगरेल में निचले स्तर तक पहुंचा जल : 1978 में बने गंगरेल बांध में इस तरह का गंभीर जल संकट पहली बार देखा जा रहा है. गंगरेल बांध से ही भिलाई इस्पात को पानी की सप्लाई होती है, इसके अलावा धमतरी, रायपुर, बिरगांव नगर निगम के लाखों लोगों को भी पेयजल गंगरेल से ही मिलता है. फिलहाल गंभीर स्थिति को देखते हुए भिलाई इस्पात को पानी की सप्लाई रोकी गई है. लेकिन पेयजल के लिए पानी लगातार दिया जा रहा है, प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि बांध का डेड स्टोरेज हिट हो चुका है. ऐसे में अतिआवश्यक चीजों के लिए ही पानी दिया जा सकता है. यह तक कि किसी गांव में अगर निस्तारी जल का संकट हुआ तो भी अब गंगरेल से पानी नहीं मिलेगा.
क्यों घटा डैम में पानी ?: बांध में जलसंकट का सबसे मुख्य कारण बीते साल कमजोर वर्षा है. दूसरा बड़ा कारण भूजल स्तर का खतरनाक लेवल तक नीचे जाना है. ऐसे में 5 जिलों के 800 से ज्यादा तालाबों को गंगरेल बांध से भरना पड़ा ताकि लोगों को निस्तारी का संकट ना हो. सिर्फ धमतरी जिले की बात करें तो यहां 750 हैंडपंप सूख चुके हैं, इस से जलसंकट की गंभीरता को समझा जा सकता है.
अब मॉनसून से ही उम्मीद : पानी बचाओ का नारा लगाते विज्ञापन छपते कई दशक बीत चुके है,बावजूद इसके प्रकृति को बचाने के लिए कोई खास कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.नदियों का जीवन बचाने की बात सिर्फ समारोहों और विज्ञापनों तक ही सीमित है. आज छत्तीसगढ़ में गंगरेल डैम की जो हालत है वो ये बताने के लिए काफी है कि यदि अब भी नहीं चेते तो आने वाला समय दो बूंद पानी के लिए भी तरसा देगा.उम्मीद है कि जल्द ही मॉनसून आएगा और गंगरेल को फिर से लबालब करके लोगों को राहत की सांस देगा.