बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर का भू जल स्तर रसातल की ओर जाने लगा है. पानी की ज्यादा उपयोगिता के कारण नदी, नाले और ट्यूबवेल सूख रहे हैं. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि आज पानी की उपयोगिता कम नहीं की गई तो कल पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा.
जल संकट का मंडराया खतरा: शहर में पानी सप्लाई बोरिंग और टंकी के माध्यम से किया जा रहा है. जिससे शहर के लोगों को पानी की कमी का खतरा महूसस नहीं हो रहा है लेकिन ग्रामीण इलाकों के हैंडपंप सूखने लगे है. भीषण गर्मी में जिले के कुछ विकासखंड और पंचायतों में वॉटर लेवल खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है. पानी कम खर्च करने या फिर पानी बचाने के लिए शासन स्तर से कोई काम नहीं हो रहा है जिससे जिले में जल संकट का खतरा मंडराने लगा है.
पानी की क्यों हो रही कमी: बिलासपुर में कंक्रीट का जाल फैलता जा रहा है. यहीं वजह है कि बारिश के दिनों में पानी सड़कों से नाली और नाली से नदी के साथ समुद्र में पहुंच जा रहा है. कंक्रीट के कारण जमीन को पानी मिल ही नहीं पा रहा है. यही वजह है कि भूजल संकट का खतरा लाल निशान से भी ऊपर पहुंच गया है. भू वैज्ञानिक बार-बार जनता के साथ प्रशासन को आगाह कर रहे हैं कि जमीन के पानी का रीचार्ज नहीं हो पा रहा है. इसके अलावा जो पानी है उसका भी दुरुपयोग हो रहा है. बिलासपुर की स्थिति ये है कि बिल्हा, मस्तूरी विकास खंड में जलस्तर 400 से 500 फीट नीचे चला गया है.
भू जल के दोहन के मुकाबले पूर्ति हो रही कम: भू जल वैज्ञानिक सचिन पराते का कहना है कि "12 महीने हरी सब्जी की मांग पर किसान साल में सब्जी की तीन फसल लेते हैं. बारह माह सब्जी लेने ट्यूबवेल से पानी खींचना. बारिश का पानी पर्याप्त रूप से जमीन में नहीं जाने से ग्राउंड वाटर का रिचार्ज नहीं होना, शहरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार हो रही बोरिंग से भी वॉटर लेवल में कमी हो रही है."
तालाब हो रहे कम: जानकारों के मुताबिक गिरते जल स्तर का मुख्य कारण ये भी है कि तालाबों का अस्तित्व अब कम होता जा रहा है. पहले जगह जगह तालाब हुआ करते थे लेकिन अब तालाबों में या तो पानी नहीं छोड़ा जा रहा या फिर उन्हें पाट दिया जा रहा है.
फैक्ट्रियां और छोटे उद्योग बढ़ने से बोरिंग की संख्या बढ़ी: पिछले दो साल में शहर में फैक्ट्रियां, इंडस्ट्रीज और छोटे छोटे उद्योग बढ़ गए हैं. पानी के लिए जगह जगह बोरिंग किए जा रहे हैं जिसके कारण वॉटर लेवल 300 से 500 फीट नीचे चला गया है. पिछले कुछ सालों में हुए भू जल के दोहन की पूर्ति नहीं हो पा रही है
तोरवा, राजकिशोर नगर, सिरगिट्टी, हिर्री चकरभाठा में पीने के पानी के लिए खुदे ट्यूबवेल भी सूख गए हैं. जब तक भू जल को रीचार्ज नहीं किया जाएगा तब तक पानी कैसे मिलेगा. आने वाले 2 से 4 साल में पानी के लिए त्राहि त्राहि होगी. पानी का कम यूज करें, स्टोर करके रखिए, पानी का अच्छे से और कम उपयोग करें. -सचिन पराते, भू जल वैज्ञानिक
कहां कितना गिरा भू जल का स्तर
बिल्हा: साल 2024 में बिल्हा में जनवरी में भू जल स्तर 14.81 मीटर था जो फरवरी में 20.21 मीटर पर पहुंच गया. मार्च में 25.3 मीटर पर भूजल स्तर आ गया.
रतनपुर - वर्ष 2024 रतनपुर में जनवरी में भू जल स्तर 12.62 मीटर था जो फरवरी में 14.15 मीटर पर पहुंच गया. मार्च में 15.82 मीटर पर भूजल स्तर आ गया.
काठकोनी - साल 2024 में काठकोनी में जनवरी में भू जल स्तर 5.38 मीटर था जो फरवरी में 7.06 मीटर पर पहुंच गया. मार्च में 9.22 मीटर पर भूजल स्तर आ गया.
तिफरा - साल 2024 में तिफरा में जनवरी में भू जल स्तर 9.33 मीटर था जो फरवरी में 14.4 मीटर पर पहुंच गया. मार्च में 22.14 मीटर पर भूजल स्तर आ गया.
सीपत - साल 2024 में सीपत में जनवरी में भू जल स्तर 8.69 मीटर था जो फरवरी में 8.93 मीटर पर पहुंच गया. मार्च में 9.22 मीटर पर भूजल स्तर आ गया.
तखतपुर - साल 2024 में तखतपुर में जनवरी में भू जल स्तर 6.88 मीटर था जो फरवरी में 13.2 मीटर पर पहुंच गया. मार्च में 22.25 मीटर पर भूजल स्तर आ गया.
मस्तूरी- साल 2024 में मस्तूरी में जनवरी में भू जल स्तर 5.7 मीटर था जो फरवरी में 6.08 मीटर पर पहुंच गया. मार्च में 7.55 मीटर पर भूजल स्तर आ गया.
कोटा- साल 2024 में कोटा में जनवरी में भू जल स्तर 3.4 मीटर था जो फरवरी में 5.15 मीटर पर पहुंच गया. मार्च में 7.12 मीटर पर भूजल स्तर आ गया.