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Waste to Wonder : प्लास्टिक, रद्दी, गत्ते और लोहे के स्क्रैप से तैयार फर्नीचर और स्कल्पचर्स बढ़ाएंगे जयपुर के पार्कों की शान - Parks in Jaipur

जयपुर शहर में कबाड़ से कमाल किया जा रहा है. प्लास्टिक, रद्दी, गत्ते और लोहे के स्क्रैप से फर्नीचर और स्कल्पचर्स तैयार किए जा रहे हैं, जिन्हें हरियाली के बीच और जयपुर के एंट्री प्वाइंट्स पर लगाया जाएगा. वेस्ट टू वंडर के जरिए एनवायरमेंट फ्रेंडली सस्टेनेबल लिविंग का भी मैसेज देने की ओर बढ़ाया गया कदम बताया जा रहा है.

WASTE TO WONDER
कबाड़ से कमाल (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 4, 2024, 6:17 AM IST

लोहे के स्क्रैप से तैयार फर्नीचर और स्कल्पचर्स (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. राजस्थान में जयपुर शहर के पार्कों, ग्रीन वैली, दिल्ली और आगरा एंट्री पॉइंट्स पर वेस्ट टू वंडर का नायाब उदाहरण देखने को मिलेगा. स्वच्छ सर्वेक्षण में कबाड़ और कचरे को रि-साइकिल कर नवाचार करने का प्रावधान है. ऐसा करने वाले निकाय को अंक भी मिलते हैं. ऐसे में पहली बार हेरिटेज निगम इस तरह का प्रयोग कर रहा है, जिसमें गैराज शाखा के खराब टायर और कबाड़ में आने वाले टायरों से बच्चों के खेलने के लिए क्लाइबर और टायर ट्री तैयार किए जा रहे हैं. कबाड़ में आने वाले गत्तों से सोफा बनाया गया है. फर्नीचर बनाने में प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग किया जा रहा है.

ये भी किए जा रहे तैयार :

स्टैंडिंग लेडी - लोहे के स्क्रैप से तैयार इस स्ट्रक्चर को एक महिला का रूप दिया गया है. फिलहाल, इसकी फिनिशिंग का काम चल रहा है. 600 किलो वजन के इस स्कल्पचर को जयपुर के एंट्री पॉइंट पर रखने की प्लानिंग है.

ह्यूमन फेस - लोहे के कबाड़ से एक व्यक्ति का चेहरा तैयार किया गया है. इसका वजन करीब 100 किलो बताया जा रहा है. पांच कलाकारों की टीम ने इसे तैयार किया है.

मछलियां और एनिमल - स्कल्पचर बनाने में कबाड़ से निकले तार और प्लास्टिक की बोतलों को कलर करके स्कल्पचर में तैयार किया जा रहा है. इसका बाढ़ से तैयार मछलियों को जल महल की पाल, द्रव्यवती नदी के किनारे और पशुओं की आकृतियों को ग्रीन वैली में लगाने की योजना है.

WASTE TO WONDER
ह्यूमन फेस और स्टैंडिंग लेडी (ETV Bharat Jaipur)

इस संबंध में हेरिटेज निगम कमिश्नर अभिषेक सुराणा ने बताया कि वेस्ट टू वंडर में कचरे में जो भी रिसाइकिलेबल मेटेरियल (लो ग्रेड-हाई ग्रेड प्लास्टिक और प्लास्टिक की बोतल, रद्दी, गत्ते का कबाड़, लोहे का स्क्रैप मटेरियल) उससे फर्नीचर और स्कल्पचर तैयार किए हैं. जिन्हें ऑफिसेज, ग्रीन वैली और प्राइम जंक्शन पर रखा जाएगा. इससे यही मैसेज देना चाहते हैं कि वेस्ट से आप कलाकृति और खूबसूरत चीजें भी बना सकते हैं. इसके जरिए लोगों को एनवायरमेंट फ्रेंडली सस्टेनेबल लिविंग का भी मैसेज देना चाहते हैं.

पढ़ें : टिश्यू कल्चर तकनीक का कमाल: खारे पानी में भी पैदा हो रहे मीठे खजूर, गर्मी और कम पानी में भी हो रहा ज्यादा उत्पादन - Jodhpur Cazri

उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकल स्टेकहोल्डर, पब्लिक और जनप्रतिनिधियों से राय लेकर लोकेशन तय की जाएगी. मुख्य रूप से सिटी के एंट्रेंस दिल्ली रोड, आगरा रोड पर मौजूद ग्रीन वैली पर इन स्कल्पचर लगाने की प्लानिंग है, ताकि जयपुर आने वालों को एक मैसेज मिले कि जयपुर कितना खूबसूरत है. उन्होंने बताया कि इसमें कुछ फर्नीचर बनाया गया है. कपड़े की दरिया बनाई है. स्टैंडिंग वूमेन, फेस, मछलियों और कई पशुओं की भी कलाकृतियां बनाई जा रही हैं. गैरेज के टायर्स से टायर ट्री बनाया गया है. उम्मीद है कि ये काम चलता रहेगा.

इसके अलावा सिटी ब्यूटीफिकेशन के लिए वॉल पेंटिंग्स का काम भी किया जा रहा है. हेरिटेज एरिया में जो हेरिटेज कलर्स से पेंटिंग्स की जा रही हैं और सिविल लाइन एरिया को आर्ट डिस्ट्रिक्ट बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसमें कुछ काम तो निगम के स्तर पर हो रहा है कुछ में सीएसआर का सपोर्ट भी मिला है. वहीं, स्कल्पचर बनाने के लिए निगम ने एक टेंडर किया है. इसके अलावा निगम ने रीसायकल जयपुर एप भी बनाई है, जिससे लोग घर बैठे-बैठे अपना कबाड़ बेच सकते हैं. उम्मीद यही है कि जो RRR सेंटर है, वहां आने वाले कबाड़ को भी चैनेलाइज किया जाएगा.

लोहे के स्क्रैप से तैयार फर्नीचर और स्कल्पचर्स (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. राजस्थान में जयपुर शहर के पार्कों, ग्रीन वैली, दिल्ली और आगरा एंट्री पॉइंट्स पर वेस्ट टू वंडर का नायाब उदाहरण देखने को मिलेगा. स्वच्छ सर्वेक्षण में कबाड़ और कचरे को रि-साइकिल कर नवाचार करने का प्रावधान है. ऐसा करने वाले निकाय को अंक भी मिलते हैं. ऐसे में पहली बार हेरिटेज निगम इस तरह का प्रयोग कर रहा है, जिसमें गैराज शाखा के खराब टायर और कबाड़ में आने वाले टायरों से बच्चों के खेलने के लिए क्लाइबर और टायर ट्री तैयार किए जा रहे हैं. कबाड़ में आने वाले गत्तों से सोफा बनाया गया है. फर्नीचर बनाने में प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग किया जा रहा है.

ये भी किए जा रहे तैयार :

स्टैंडिंग लेडी - लोहे के स्क्रैप से तैयार इस स्ट्रक्चर को एक महिला का रूप दिया गया है. फिलहाल, इसकी फिनिशिंग का काम चल रहा है. 600 किलो वजन के इस स्कल्पचर को जयपुर के एंट्री पॉइंट पर रखने की प्लानिंग है.

ह्यूमन फेस - लोहे के कबाड़ से एक व्यक्ति का चेहरा तैयार किया गया है. इसका वजन करीब 100 किलो बताया जा रहा है. पांच कलाकारों की टीम ने इसे तैयार किया है.

मछलियां और एनिमल - स्कल्पचर बनाने में कबाड़ से निकले तार और प्लास्टिक की बोतलों को कलर करके स्कल्पचर में तैयार किया जा रहा है. इसका बाढ़ से तैयार मछलियों को जल महल की पाल, द्रव्यवती नदी के किनारे और पशुओं की आकृतियों को ग्रीन वैली में लगाने की योजना है.

WASTE TO WONDER
ह्यूमन फेस और स्टैंडिंग लेडी (ETV Bharat Jaipur)

इस संबंध में हेरिटेज निगम कमिश्नर अभिषेक सुराणा ने बताया कि वेस्ट टू वंडर में कचरे में जो भी रिसाइकिलेबल मेटेरियल (लो ग्रेड-हाई ग्रेड प्लास्टिक और प्लास्टिक की बोतल, रद्दी, गत्ते का कबाड़, लोहे का स्क्रैप मटेरियल) उससे फर्नीचर और स्कल्पचर तैयार किए हैं. जिन्हें ऑफिसेज, ग्रीन वैली और प्राइम जंक्शन पर रखा जाएगा. इससे यही मैसेज देना चाहते हैं कि वेस्ट से आप कलाकृति और खूबसूरत चीजें भी बना सकते हैं. इसके जरिए लोगों को एनवायरमेंट फ्रेंडली सस्टेनेबल लिविंग का भी मैसेज देना चाहते हैं.

पढ़ें : टिश्यू कल्चर तकनीक का कमाल: खारे पानी में भी पैदा हो रहे मीठे खजूर, गर्मी और कम पानी में भी हो रहा ज्यादा उत्पादन - Jodhpur Cazri

उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकल स्टेकहोल्डर, पब्लिक और जनप्रतिनिधियों से राय लेकर लोकेशन तय की जाएगी. मुख्य रूप से सिटी के एंट्रेंस दिल्ली रोड, आगरा रोड पर मौजूद ग्रीन वैली पर इन स्कल्पचर लगाने की प्लानिंग है, ताकि जयपुर आने वालों को एक मैसेज मिले कि जयपुर कितना खूबसूरत है. उन्होंने बताया कि इसमें कुछ फर्नीचर बनाया गया है. कपड़े की दरिया बनाई है. स्टैंडिंग वूमेन, फेस, मछलियों और कई पशुओं की भी कलाकृतियां बनाई जा रही हैं. गैरेज के टायर्स से टायर ट्री बनाया गया है. उम्मीद है कि ये काम चलता रहेगा.

इसके अलावा सिटी ब्यूटीफिकेशन के लिए वॉल पेंटिंग्स का काम भी किया जा रहा है. हेरिटेज एरिया में जो हेरिटेज कलर्स से पेंटिंग्स की जा रही हैं और सिविल लाइन एरिया को आर्ट डिस्ट्रिक्ट बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसमें कुछ काम तो निगम के स्तर पर हो रहा है कुछ में सीएसआर का सपोर्ट भी मिला है. वहीं, स्कल्पचर बनाने के लिए निगम ने एक टेंडर किया है. इसके अलावा निगम ने रीसायकल जयपुर एप भी बनाई है, जिससे लोग घर बैठे-बैठे अपना कबाड़ बेच सकते हैं. उम्मीद यही है कि जो RRR सेंटर है, वहां आने वाले कबाड़ को भी चैनेलाइज किया जाएगा.

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