सरगुजा : छत्तीसगढ़ में साल के अंत के नगरीय निकाय चुनाव होने हैं.इसकी तैयारी भी सरकार ने शुरू कर दी है. जब निकाय चुनाव आते हैं तो वार्डों का परिसीमन किया जाता है. खासकर जब सत्ता का परिवर्तन हुआ हो तब परिसीमन सियासी मजबूरी भी बन जाता है, वार्डों के टुकड़े आपस मे बांटे जाते हैं, अगल बगल के गांव के हिस्सों को शहर में शामिल कर दिया जाता है. लेकिन इस परिसमन का दंश ग्रामीण ही झेलते हैं. जिनकी वर्षों पुरानी बनी बनाई पंचायती राज की व्यवस्था एक झटके में खत्म हो जाती है.परिसीमन के बाद गांवों का विकास कार्य भी रुकता है.
पानी की समस्या से परेशान हैं वार्डवासी : ऐसा ही गांव अम्बिकापुर नगर निगम में शामिल हुआ. वार्ड क्रमांक 46 संत गहिरागुरु वार्ड इसका नाम रखा गया. लेकिन निगम में शामिल होने में 24 वर्ष बाद भी इस वार्ड में मूल भूत सुविधाओं का अभाव है. वार्डवासी पीने के पानी को तरस रहे हैं. गांव के लोग हैंडपंप से पानी लाते हैं, हैंडपंप की स्थिति ये है कि 100 पंप मारने पर वो एक पतली धार में पानी देता है, जिससे एक घर का भी गुजारा होना मुश्किल है. वार्ड की महिलाओं की माने तो पानी का बहुत समस्या है, काफी दूर के हैंडपम्प से पानी लाना पड़ता है उसमें भी पानी नहीं निकलता है. निगम से गुहार लगाकर थक चुके हैं. पानी की टंकी बन गई है, मुख्य लाइन भी बिछा दी गई है. लेकिन घरों में या गलियों में नल कनेक्शन नही दिए गए हैं.
वार्डवासियों ने खोला था मोर्चा : गहिरागुरु वार्ड के लोग अपनी उपेक्षा से इतने त्रस्त हो गए थे कि बीते वर्ष उन्होंने बेहद कड़ा निर्णय ले लिया था.साल 2022 में मार्च के महीने में इस वार्ड के लोगों में हंगामा खड़ा कर दिया था. जिले के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी क्षेत्र के लोगों ने खुद नगर निगम से अलग होकर खुद को ग्राम पंचायतवासी घोषित कर दिया था, संविधान में प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए शहर के वार्ड क्रमांक 46 के निवासियों ने अपने क्षेत्र चाऊरपारा, हुंडरालता को ग्राम पंचायत घोषित करने के साथ ही पारंपरिक गांव गणराज्य सरकार के कार्यकारणी मंत्रिमंडल का गठन कर लिया था. गांव गणराज्य सरकार का गठन करने के बाद गांव के ग्रामीण कलेक्टर के माध्यम से राज्यपाल को इसकी सूचना भी दिए थे. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि गांव में उनकी मर्जी के बिना शासन प्रशासन भी हस्तक्षेप नहीं कर पाएगा.जिसके बाद काफी समझाने के बाद समस्या की समाधान करने की बात कही गई थी. लेकिन अब तक समस्या जस की तस है.
ग्रामीणों का आरोप है कि 20-22 वर्षों से नगर निगम के अधीन थे. लेकिन ये दोनों क्षेत्र पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र हैं. निगम के अधीन रहते हुए उनके क्षेत्र की हमेशा उपेक्षा की गई है. संविधान में दिए गए अधिकारों का धरातल पर लाभ नहीं मिला. नाराज चाऊरपारा और हुंडरालता के ग्रामीणों ने ग्राम सभा बुलाकर 6 फरवरी 2022 को अपने गांव को पारंपरिक गांव गणराज्य सरकार का गठन कर दिया था, गांव गणराज्य घोषित करने के साथ ही ग्रामीणों ने अपने सरकार और कार्यकारणी मंत्रिमंडल का गठन भी कर लिया था. फिर प्रशासन के आश्वासन के बाद मामला शांत हुआ. लेकिन वादे के मुताबिक आज भी वार्ड की समस्याएं नहीं सुधरी.