शिमला: हिमाचल की राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली में स्थित मस्जिद में अवैध निर्माण को हटाने के लिए अब स्टेट वक्फ बोर्ड भी तैयार हो गया है. वक्फ बोर्ड की तरफ से एमसी कमिश्नर से कहा गया है कि यदि मस्जिद वेलफेयर कमेटी अवैध निर्माण को खुद हटाने के लिए तैयार हो तो उन्हें यानी वक्फ बोर्ड को भी कोई एतराज नहीं है. यही नहीं, राज्य में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सत्तासीन कांग्रेस सरकार ने भी ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. संजौली में 11 सितंबर के प्रदर्शन से सकते में आई सरकार ने कई सबक सीखे हैं. सुखविंदर सिंह सरकार ने पहल करते हुए सर्वदलीय मीटिंग बुलाई. स्थानीय विधायक हरीश जनारथा भी सक्रिय हुए और मामले के विभिन्न बिंदुओं को एड्रेस करने के लिए मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों से चर्चा की है.
इधर, राज्य सरकार ने मस्जिद की जमीन के मालिकाना हक के विवाद को सुलझाने के लिए विधि विभाग को सक्रिय किया है. बड़ी जानकारी ये है कि सुखविंदर सिंह सरकार ने मामले को शांत करने के दीर्घकालीन उपाय के तहत विधि सचिव को मालिकाना हक से जुड़े दस्तावेज देखने को कहा है. यहां एक बात बहुत महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस सरकार के ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा के सेशन में दस्तावेज सदन के पटल पर रखे थे और दावा किया था कि जमीन सरकारी है. वहीं, वक्फ बोर्ड ये दावा कर रहा है कि जमीन वक्फ की है. सिविल सोसायटी के वकील ने कमिश्नर कोर्ट में सात सितंबर को सुनवाई के बाद बाहर मीडिया के समक्ष कहा कि जमीन गैर मुमकिन मस्जिद के तौर पर है. यानी जमीन सरकारी है और उस पर वक्फ का कब्जा है. इन्हीं सारे विवादों व संवेदनशील मसलों को सुलझाने के लिए अब विभिन्न स्तर पर ठोस प्रयास शुरू हो गए हैं.
एमसी कमिश्नर से क्यों मिले वक्फ स्टेट अधिकारी
इधर, इस बीच एक महत्वपूर्ण घटना के तहत हिमाचल प्रदेश स्टेट वक्फ बोर्ड के स्टेट अधिकारी कुतुबुद्दीन ने एमसी कमिश्नर भूपेंद्र अत्री से मुलाकात की है. यहां पहले ये बताना जरूरी है कि मस्जिद वेलफेयर कमेटी भी एमसी कमिश्नर से मिलकर एक आवेदन प्रस्तुत कर चुकी है. आवेदन में कमेटी ने कहा है कि यदि एमसी कोर्ट अनुमति दे तो वे खुद मस्जिद के अवैध हिस्से को हटा देंगे अर्थात गिरा देंगे. इस पर कमिश्नर ने कहा है कि कानून के अनुसार आगामी कदम उठाया जाएगा. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी सर्वदलीय मीटिंग के बाद कहा कि कानून के अनुसार आगे का एक्शन होगा. खैर, यहां बात वक्फ बोर्ड के स्टेट अधिकारी की एमसी कमिश्नर से मिलने की भी है. वक्फ बोर्ड के अधिकारी कुतुबुद्दीन ने एमसी कमिश्नर भूपेंद्र अत्री से मिलकर कहा है कि यदि मस्जिद वेलफेयर कमेटी खुद अवैध हिस्से को हटाना चाहती है तो वक्फ बोर्ड को भी इस पर कोई एतराज नहीं है. इस तरह ये एक बड़ा घटनाक्रम है. इससे स्पष्ट हो रहा है कि मुस्लिम समुदाय को भी अहसास हो गया है कि विवाद से यहां रोजी-रोटी कमाने आए लोग प्रभावित हो रहे हैं और मामले का सुलझना जरूरी है.
सभी पहलुओं पर ठोस निर्णय के बाद ही सील होगी मस्जिद
सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार इस विवाद का दीर्घकालीन हल निकालना चाहती है. ऐसा हल, जो दीर्घकालीन हो. इसके लिए विधि सचिव मामले से जुड़े सारे कानूनी पहलू देखेंगे. खासकर जमीन के मालिकाना हक के विवाद को सुलझाया जाएगा. बारीकी से सभी पहलुओं की जांच होगी, ताकि आने वाले समय में कोई अदालती समस्या न आए. इसके अलावा सरकार ने सीनियर और भरोसेमंद अफसरों को भी मामले की तह तक जाने का जिम्मा सौंपा है. उसके बाद ये फैसला लिया जाएगा कि मस्जिद को सील किया जाए या फिर अन्य विकल्प देखा जाए. एमसी कमिश्नर कार्यालय के समक्ष भी अब मस्जिद कमेटी व वक्फ बोर्ड का पक्ष आ गया है और उसे आने वाले समय में आसानी होगी. स्थानीय विधायक हरीश जनारथा ने भी अपने सोशल मीडिया पन्ने पर हिंदी व अंग्रेजी में विस्तार से पोस्ट डालकर सभी से मिल कर काम करने की अपील की है. उन्होंने सभी पक्षों की भावनाओं की कद्र करते हुए कहा कि भविष्य में हिमाचल में कोई ऐसा वाक्या न हो, इसके लिए ठोस, उपाय किए जा रहे हैं.