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Rajasthan: VRS स्वीकार करने की सूचना नहीं देकर काम कराया, हाईकोर्ट ने रिकवरी पर लगाई रोक - RAJASTHAN HIGH COURT

वीआरएस स्वीकार करने की सूचना नहीं देकर काम कराया. हाईकोर्ट ने रिकवरी पर लगाई रोक. जानिए पूरा मामला

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 29, 2024, 10:21 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने टोंक नगर परिषद के लेखाधिकारी की ओर से वीआरएस आवेदन को स्वीकार करने के बावजूद उसकी सूचना नहीं देने और बाद में उससे रिकवरी निकालने पर प्रमुख वित्त सचिव और पेंशन निदेशक सहित अन्य से जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता से की जा रही रिकवरी पर अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश सुरेश चन्द जैन की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने 31 जनवरी 2023 को सिविल सेवा पेंशन नियम के तहत वीआरएस के लिए आवेदन कर उसे 1 मई, 2023 से रिटायर करने की गुहार की. इस पर वित्त विभाग ने उसके आवेदन को मंजूर कर उसे एक मई, 2023 से रिटायर कर दिया, लेकिन इसकी सूचना याचिकाकर्ता को नहीं दी, जिसके चलते वह लगातार राजकीय कार्य संपादित करता रहा.

पढ़ें : Rajasthan: हाईकोर्ट ने प्लेसमेंट एजेंसी से लगे संविदा कर्मियों को हटाने पर लगाई अंतरिम रोक

इस दौरान उसने टोंक कलेक्टर व नगर परिषद आयुक्त के आदेशों की पालना में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी राजकीय कार्य किए. वहीं, बाद में उसके साठ साल की उम्र पूरी करने पर विभाग ने उसे 30 जून, 2024 को रिटायर भी कर दया. याचिका में कहा गया कि रिटायर होने के बाद 2 जुलाई को नगर परिषद आयुक्त ने आदेश जारी कर उसे एक मई, 2023 से 31 मई, 2024 तक किए गए भुगतान 18.91 लाख रुपये की वसूली निकाल दी.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता की ओर से वीआरएस का आवेदन स्वीकार करने के बाद उसकी सूचना देना विभाग की जिम्मेदारी थी, लेकिन विभाग ने याचिकाकर्ता को इसकी सूचना नहीं दी. इस अवधि में याचिकाकर्ता ने राजकीय कार्य संपादित किया था और उसके बदले उसे वेतन भुगतान किया गया था. ऐसे में उससे वसूली करना गलत है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रिकवरी पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया है.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने टोंक नगर परिषद के लेखाधिकारी की ओर से वीआरएस आवेदन को स्वीकार करने के बावजूद उसकी सूचना नहीं देने और बाद में उससे रिकवरी निकालने पर प्रमुख वित्त सचिव और पेंशन निदेशक सहित अन्य से जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता से की जा रही रिकवरी पर अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश सुरेश चन्द जैन की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने 31 जनवरी 2023 को सिविल सेवा पेंशन नियम के तहत वीआरएस के लिए आवेदन कर उसे 1 मई, 2023 से रिटायर करने की गुहार की. इस पर वित्त विभाग ने उसके आवेदन को मंजूर कर उसे एक मई, 2023 से रिटायर कर दिया, लेकिन इसकी सूचना याचिकाकर्ता को नहीं दी, जिसके चलते वह लगातार राजकीय कार्य संपादित करता रहा.

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इस दौरान उसने टोंक कलेक्टर व नगर परिषद आयुक्त के आदेशों की पालना में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी राजकीय कार्य किए. वहीं, बाद में उसके साठ साल की उम्र पूरी करने पर विभाग ने उसे 30 जून, 2024 को रिटायर भी कर दया. याचिका में कहा गया कि रिटायर होने के बाद 2 जुलाई को नगर परिषद आयुक्त ने आदेश जारी कर उसे एक मई, 2023 से 31 मई, 2024 तक किए गए भुगतान 18.91 लाख रुपये की वसूली निकाल दी.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता की ओर से वीआरएस का आवेदन स्वीकार करने के बाद उसकी सूचना देना विभाग की जिम्मेदारी थी, लेकिन विभाग ने याचिकाकर्ता को इसकी सूचना नहीं दी. इस अवधि में याचिकाकर्ता ने राजकीय कार्य संपादित किया था और उसके बदले उसे वेतन भुगतान किया गया था. ऐसे में उससे वसूली करना गलत है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रिकवरी पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया है.

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