नई दिल्ली: जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में यूनाइटेड फ्रंट से सचिव पद की प्रत्याशी स्वाति सिंह का नामांकन रद्द हो गया जिसके बाद बाद यूनाइटेड लेफ्ट ने बापसा की सचिव पद की प्रत्याशी प्रियांशी आर्य को समर्थन दिया है. जेएनयू छात्रसंघ चुनाव के लिए आज शुक्रवार को मतदान जारी है ,हालांकि एजेंट तय नहीं होने के कारण मतदान शुरू होने में ढ़ाई घंटे की देरी हुई. मतदान दो फेज में होना है. पहला फेज पहले सुबह 9 बजे से शुरू होना था जो साढ़े 11 बजे शुरू हो सका. जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में मुख्य मुकाबला यूनाइटेड लेफ्ट और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बीच है. इस चुनाव के नतीजे 24 मार्च को आएंगे.
7751 मतदाता 19 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे
जेएनयू छात्रसंघ के चुनाव के मतदान का तय समय सुबह नौ बजे से था लेकिन एजेंट तय नहीं होने के चलते वोटिंग ढ़ाई घंटे देर से शुरू हो सकी. वोटिंग शाम पांच बजे तक चलनी है. इसके बाद रात नौ बजे से इस बार जेएनयू के छात्र संघ चुनाव में कुल 7751 मतदाता अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पद के कुल 19 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे.बता दें कि जेएनयू छात्र संघ के चुनाव का कार्यक्रम 10 मार्च देर रात घोषित किया गया था, जिसके अनुसार 22 मार्च को मतदान होना है. बता दें कि जब 4 साल पहले वर्ष 2019 में जेएनयू छात्र संघ का चुनाव हुआ था तो उस समय 8000 से अधिक मतदाता थे. 2019 में चुनाव के दौरान कुल 5760 छात्र-छात्राओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
मतदान के लिए जरूरी है स्टूडेंट आईडी कार्ड
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में मतदान करने के लिए हर छात्र छात्रा को अपना स्टूडेंट आईडी कार्ड लाना अनिवार्य है. इसके साथ ही अपने स्कूल में स्थित मतदान केंद्र पर जाकर मतदान करना होता है. मतदान के लिए एक छात्र को पांच बैलेट पेपर दिए जाएंगे. इनमें चार बैलेट पेपर सेंट्रल पैनल के उम्मीदवारों के और एक बैलेट पेपर काउंसलर के उम्मीदवारों का होगा. इनमें से अपने पसंद के उम्मीदवार के नाम के आगे मुहर लगाकर मतदाता को अपने मताधिकार का प्रयोग करना है.
साल 2016 से सभी पदों पर जीत रहा है लेफ्ट पैनल
बता दें कि जेएनयू छात्र संघ चुनाव में 2016 से लगातार सभी पदों पर वामपंथी छात्र संगठनों का कब्जा रहा है. चारों प्रमुख वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट फेडरेशन (डीएसएफ) मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ते हैं और चारों आपस में एक-एक सीट बांट लेते हैं. जिसकी वजह से इनके खिलाफ लड़ने वाले इकलौते छात्र संगठन विद्यार्थी परिषद को बड़ी हार का सामना करना पड़ता है. वामपंथी छात्र संगठनों में आइसा भाकपा माले की छात्र इकाई है. जबकि डीएसएफ सीपीआई की और एसएफआई सीपीआई एम की छात्र इकाई है. जबकि एआईएसएफ स्वतंत्र छात्र संगठन है. वह किसी राजनीतिक पार्टी की छात्र इकाई नहीं है. यह एक स्वतंत्र वामपंथी छात्र संगठन है.
विद्यार्थी परिषद को इस बार को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद
जेएनयू में इन चार संगठनों के अलावा फिर सबसे सक्रिय छात्र संगठन विद्यार्थी परिषद ही है. 2015 के चुनाव में एबीवीपी ने एक सीट संयुक्त सचिव पद पर जीत हासिल की थी तबसे चुनाव में विद्यार्थी परिषद को किसी पद पर जीत नसीब नहीं हुई है. लेकिन,इस बार के चुनाव में विद्यार्थी परिषद ने अपनी तरफ से काफी माहौल तैयार किया है. साथ ही पिछले साल सीयूईटी के माध्यम से दाखिले होने की वजह से कुछ अलग विचारधारा के छात्र छात्राओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है, जिसकी वजह से विद्यार्थी परिषद को अपने प्रदर्शन के सुधरने का भरोसा है.