शिमला: हिमाचल की चार लोकसभा सीटों के लिए आज अंतिम चरण में मतदान हुआ. लोगों ने मतदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. सुबह से लोगों की लंबी कतारें पोलिंग बूथ पर लगना शुरू हो गई थी. युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक में मतदान के लिए उत्साह नजर आया. मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए लोगों ने व्हील चेयर, बैसाखी, पालकी का भी सहारा लिया. हमीरपुर में एक महिला ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ भी पोलिंग बूथ तक पहुंची, प्रदेश भर में मतदान के लिए 7,992 मतदान केंद्र बनाए गए थे. चुनाव आयोग की मुहिम और लोगों की भागादारी से इस बार भी हिमाचल में मतदान प्रतिशत अन्य राज्यों से बेहतर रहा है.
हिमाचल में चारों लोकसभा सीटों पर करीब 70 फीसदी मतदान हुआ. मंडी लोकसभा सीट पर 71.70 प्रतिशत मतदान हुआ. हमीरपुर लोकसभा सीट पर 68.02 प्रतिशत वोटिंग हुई. शिमला लोकसभा सीट पर 69.89 प्रतिशत वोटिंग हुई. वहीं, कांगड़ा लोकसभा सीट पर सबसे कम 66.50 प्रतिशत मतदान हुआ. ईवीएम में उम्मीदवारों का भाग्य कैद हो गया है. अब सभी मशीनों को स्ट्रॉन्ग रूम में कड़ी निगरानी में रखा जाएगा. 4 जून को देशभर के नतीजों के साथ ही हिमाचल के परिणाम भी घोषित किए जाएंगे. वहीं, इस बार सबसे अधिक मतदान मंडी संसदीय सीट पर हुआ है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मंडी में सबसे अधिक 73.60 प्रतिशत मतदान हुआ था. वहीं, इस बार हमीरपुर में करीब 66.57 प्रतिशत, कांगड़ा में 65.30% शिमला में 68.10% और मंडी में 70% मतदान हुआ है.
2014 का मतदान प्रतिशत
2014 के लोकसभा चुनाव में 64.45 प्रतिशत मतदान हुआ था. हमीरपुर में सबसे अधिक 66.98, शिमला में 63.99, कांगड़ा में 63.56 और मंडी में 63.15 प्रतिशत मतदान हुआ था. 2014 में बीजेपी ने प्रदेश में पहली बार क्लीन स्वीप करते हुए हिमाचल की चारों सीटें जीती थीं.
2019 का मतदान प्रतिशत
2019 में मतदान प्रतिशत के मामले में सभी रिकॉर्ड टूट गए थे. 2019 में मंडी के बाद हमीरपुर में 72.83 प्रतिशत मतदान हुआ था. शिमला में 72.68 प्रतिशत और कांगड़ा में 70.73 प्रतिशत मतदान देखने को मिला था, जबकि प्रदेश भर में 74.42 प्रतिशत पोलिंग हुई थी. 2019 में भी बीजेपी चारों सीटें जीतने में कामयाब रही थी.
2009-2004 का मतदान प्रतिशत
2009 में प्रदेश में 58.43 प्रतिशत मतदान हुआ था. मंडी में 64.11, हमीरपुर में 58.88, शिमला 55.73 और कांगड़ा 55.21 प्रतिशत मतदान हुआ था. वहीं, 2004 में मंडी में 62.91, हमीरपुर 62.32,शिमला में 61.47, कांगड़ा में 89 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि प्रदेशभर में 59.71 प्रतिशत पोलिंग देखने को मिली थी.
मतदान प्रतिशत घटने या बढ़ने का किसे होता है असर
हिमाचल में वोट प्रतिशत का बढ़ना और घटना कई कारकों पर निर्भर करते हैं, जैसे मौसम, पोलिंग बूथ तक कनेक्टिविटी, भौगोलिक परिस्थितियां इत्यादि. राजनीति विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा का कहना है कि मतदान घटने या बढ़ने पर सत्ता विरोधी या सत्ता पक्ष की लहर का आपस में कोई संबंध अभी तक पुख्ता नहीं हो पाए हैं. वोटिंग प्रतिशत चुनाव आयोग के प्रयासों और उनके जागरूकता कार्यक्रमों से भी बढ़ता है. हिमाचल में 4 से 5 प्रतिशत का वोट स्विंग अप्रत्याशित नतीजे दे सकता है. हिमाचल के लोग लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों पर ही वोट करते हैं. यहां का मतदाता बेहद जागरूक है. प्रदेश का वोट प्रतिशत राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले 4 से 5 प्रतिशत अधिक रहता है. वहीं, राष्ट्रीय स्तर की बात की जाए तो पिछले चुनाव के मुकाबले छह से सात प्रतिशत या इससे अधिक अंतर देखने को मिले तो इस पर चर्चा हो सकती है. सात या इससे अधिक प्रतिशत मतदान होने पर चौंकाने वाले नतीजे देखने को मिल सकते हैं.
ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव: भाजपा प्रत्याशियों ने डाला वोट, हैट्रिक लगाने का किया दावा