रोहतक: पीजीआईएमएस रोहतक में अब वर्चुअल ऑटोप्सी यानि बिना चीर फाड़ के शव का पोस्टमार्टम हो सकेगा. ऐसा करने वाला पीजीआई रोहतक देश का तीसरा और हरियाणा का पहला संस्थान है. इससे पहले दिल्ली के एम्स और शिलांग में ही वर्चुअल ऑटोप्सी हो रही है. वर्चुअल ऑटोप्सी पर चर्चा करने के लिए ही सोमवार को पीजीआईएमएस रोहतक में कार्यशाला का आयोजन किया गया.
पीजीआई की इस कार्यशाला में हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की. जबकि हरियाणा के स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉक्टर आरएस पूनिया विशिष्ट अतिथि रहे. पीजीआईएमएस के फोरेंसिंग मेडिसिन विभाग की ओर से वर्चुअल ऑटोप्सी सॉल्यूशंस इंडिया व यूके के सहयोग से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया था.
कार्यशाला में वर्चुअल ऑटोप्सी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. वर्चुअल ऑटोप्सी, फोरेंसिक जांच का एक नया तरीका है, जिसमें बिना चीर-फाड़ के शव का पोस्टमार्टम किया जाता है और मौत की सही वजह का पता लगाया जा सकता है. इस तकनीक में विशेषज्ञ डॉक्टर एमआरआई, सीटी स्कैन, और एक्स-रे की मदद से शव का परीक्षण करते हैं. शव को एक बैग में पैक किया जाता है और फिर सीटी स्कैन मशीन में रखा जाता है. कुछ देर के भीतर आंतरिक अंगों की तस्वीर कैद की जाती हैं और तस्वीरों का फोरेंसिक विशेषज्ञ विश्लेषण करते हैं.
हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने कहा कि हत्या के मामलों में खास तौर पर पोस्टमार्टम अहम हिस्सा होता है. अब नई तकनीक के जरिए बेहतर ढंग से कार्य हो सकेगा. इसके अलावा पुलिस महानिदेशक ने कहा कि लोकसभा चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराए जाएंगे. भारतीय निर्वाचन आयोग की ओर से जारी दिशा निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जाएगी. हरियाणा पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के साथ तालमेल स्थापित करते हुए प्रभावी कार्ययोजना के तहत काम किया जाएगा.
हरियाणा के स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉक्टर आरएस पूनिया ने बताया कि वर्चुअल ऑटोप्सी की प्रक्रिया में मौत के कारणों का पता लगाने के लिए पारंपरिक तरीकों को छोड़कर तकनीक का सहारा लिया जाता है. इस तकनीक के जरिए करीब 70 प्रतिशत शवों में चीर फाड़ की आवश्यकता नहीं रहती. हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए कार्य किए जा रहे हैं. जिला स्तर पर 200 बिस्तर के अस्पताल बनाए जाएंगे. डॉक्टरों की कमी को भी पूरा किया जाएगा.
पीजीआईएमएस के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर एसके धतरवाल ने बताया कि वर्चुअल ऑटोप्सी की प्रक्रिया करीब आधा घंटे में पूरी हो जाती है. हरियाणा में पीजीआईएमएस रोहतक में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. ऐसा करना वाला हरियाणा का यह पहला संस्थान है और देश का तीसरा. इससे पहले दिल्ली एम्स और शिलांग में वर्चुअल ऑटोप्सी होती है.
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