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स्वानों में आ रही कैनाइन डिस्टेम्पर नामक बीमारी, पालतू पैट्स की हो रही असमय मौत, टीकाकरण ही है बचाव - Viral disease in pet dogs

अलवर जिले में इन दिनों पालतू श्वानों में एक बीमरी फैल रही है, जिससे उनकी असमय मौत हो रही है. पालतू जानवरों में समय पर टीका लगाने से ही इस बीमारी से बचाव संभव है.

Viral disease in pet dogs
स्वानों में आ रही कैनाइन डिस्टेम्पर नामक बीमारी (Photo ETV Bharat Alwar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 31, 2024, 3:51 PM IST

Updated : Aug 31, 2024, 6:09 PM IST

स्वानों में आ रही कैनाइन डिस्टेम्पर नामक बीमारी (Video ETV Bharat Alwar)

अलवर: आज के इस दौर में पालतू जानवर और इंसानों के बीच एक अनोखा और अटूट रिश्ता बन गया है. घर में पाले जाने वाले सबसे चहेते जानवरों में से एक डॉग होता है. लगभग हर घर में दिखाई देगा, लेकिन इन दिनों अलवर के रहने वाले पेट-टेकर (पालतू जानवर पालने वाले) के लिए चिंता बढ़ गई है. कारण है कि इन दिनों पालतू डॉग्स में एक बीमारी तेजी से फैल रही है, जो डॉग्स की मौत का कारण भी बन रही है.

अलवर के जिला पशु चिकित्सालय में ज्यादातर पालतू डॉग्स में यह बीमारी दिखाई दे रही है. इस बीमारी का साइंटिफिक नाम कैनाइन डिस्टेम्पर हैं. इस बीमारी के मुख्यतः लक्षण खून की कमी और खून की उल्टी होना है. पशु विशेषज्ञ के अनुसार यदि इस बीमारी पर समय रहते इलाज नहीं करवाया गया, तो डॉग्स की मौत भी हो सकती है. इसमें सबसे चौंका देने वाली बात यह है कि जरा सी उल्टी के संक्रमण में आने से सैकड़ों डॉग्स बीमार हो सकते हैं.

पढ़ें: आखिर अचानक हिंसक क्यों हो रहे पालतू डॉग? जानिए कैसे करें काबू

जानिए क्या है कैनाइन डिस्टेम्पर: अलवर पशु चिकित्सालय के चिकित्सक अनुज तोमर ने बताया कि कुत्तों में फैलने वाले इस खतरनाक वायरस का नाम कैनाइन डिस्टेम्पर है. एक्सपर्ट बताते हैं कि यह वायरस एक वायरल डिजीज है. इसके लक्षण डॉग्स में शारीरिक कमजोरी, बुखार आना, अचानक उल्टी आना, दर्द शुरू होना और नाक में से गाढ़ा खून आना है. उन्होंने बताया कि इसमें खांसी के लक्षण भी डॉग्स में दिखाई देते है. साथ ही इस वायरस की चपेट में आते ही डॉग्स का वजन कम होना शुरू हो जाता है. अंतिम अवस्था में जाकर यह वायरस तंत्रिका तंत्र पर भी सीधा प्रभाव डालता है. इसके बाद डॉग्स में दौरे पड़ने के भी लक्षण आना शुरू हो जाते हैं. पशु चिकित्सक बताते हैं कि यह एक खतरनाक संक्रमित बीमारी है. इसके एक डॉग से दूसरे डॉग में फैलने का भी खतरा रहता है. डॉ अनुज तोमर बताते हैं कि यह वायरस किसी डॉग में फैलता है तो उसके संपर्क में जैसे ही एक स्वस्थ डॉग आता है तो उसमे भी यह वायरस जल्दी से फैल जाता है.

एक ग्राम स्त्राव 10 हजार कुत्तों को करता है प्रभावित: डॉ तोमर बताते हैं कि यह वायरस खतरनाक है, जिसका एक ग्राम स्त्राव तकरीबन 10 हजार स्वानों को एक साथ प्रभावित कर सकता है. इसका बचाव केवल वैक्सीनेशन है. इसके संपर्क में आते ही डॉग्स का पहले वैक्सीनेशन एक हफ्ते बाद होता है और इसका दूसरा बूस्टर वैक्सीनेशन 1 महीने बाद होता है. डॉ अनुज तोमर ने कहा कि संक्रमित डॉग्स की साफ-सफाई का बेहद ख्याल रखा जाना चाहिए, जैसे ही इस वायरस के संकेत आपको डॉग्स में दिखाई दे तो किसी भी प्रकार के लापरवाही न करें और जल्द से जल्द उसे नजदीकी पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए.

स्वानों में आ रही कैनाइन डिस्टेम्पर नामक बीमारी (Video ETV Bharat Alwar)

अलवर: आज के इस दौर में पालतू जानवर और इंसानों के बीच एक अनोखा और अटूट रिश्ता बन गया है. घर में पाले जाने वाले सबसे चहेते जानवरों में से एक डॉग होता है. लगभग हर घर में दिखाई देगा, लेकिन इन दिनों अलवर के रहने वाले पेट-टेकर (पालतू जानवर पालने वाले) के लिए चिंता बढ़ गई है. कारण है कि इन दिनों पालतू डॉग्स में एक बीमारी तेजी से फैल रही है, जो डॉग्स की मौत का कारण भी बन रही है.

अलवर के जिला पशु चिकित्सालय में ज्यादातर पालतू डॉग्स में यह बीमारी दिखाई दे रही है. इस बीमारी का साइंटिफिक नाम कैनाइन डिस्टेम्पर हैं. इस बीमारी के मुख्यतः लक्षण खून की कमी और खून की उल्टी होना है. पशु विशेषज्ञ के अनुसार यदि इस बीमारी पर समय रहते इलाज नहीं करवाया गया, तो डॉग्स की मौत भी हो सकती है. इसमें सबसे चौंका देने वाली बात यह है कि जरा सी उल्टी के संक्रमण में आने से सैकड़ों डॉग्स बीमार हो सकते हैं.

पढ़ें: आखिर अचानक हिंसक क्यों हो रहे पालतू डॉग? जानिए कैसे करें काबू

जानिए क्या है कैनाइन डिस्टेम्पर: अलवर पशु चिकित्सालय के चिकित्सक अनुज तोमर ने बताया कि कुत्तों में फैलने वाले इस खतरनाक वायरस का नाम कैनाइन डिस्टेम्पर है. एक्सपर्ट बताते हैं कि यह वायरस एक वायरल डिजीज है. इसके लक्षण डॉग्स में शारीरिक कमजोरी, बुखार आना, अचानक उल्टी आना, दर्द शुरू होना और नाक में से गाढ़ा खून आना है. उन्होंने बताया कि इसमें खांसी के लक्षण भी डॉग्स में दिखाई देते है. साथ ही इस वायरस की चपेट में आते ही डॉग्स का वजन कम होना शुरू हो जाता है. अंतिम अवस्था में जाकर यह वायरस तंत्रिका तंत्र पर भी सीधा प्रभाव डालता है. इसके बाद डॉग्स में दौरे पड़ने के भी लक्षण आना शुरू हो जाते हैं. पशु चिकित्सक बताते हैं कि यह एक खतरनाक संक्रमित बीमारी है. इसके एक डॉग से दूसरे डॉग में फैलने का भी खतरा रहता है. डॉ अनुज तोमर बताते हैं कि यह वायरस किसी डॉग में फैलता है तो उसके संपर्क में जैसे ही एक स्वस्थ डॉग आता है तो उसमे भी यह वायरस जल्दी से फैल जाता है.

एक ग्राम स्त्राव 10 हजार कुत्तों को करता है प्रभावित: डॉ तोमर बताते हैं कि यह वायरस खतरनाक है, जिसका एक ग्राम स्त्राव तकरीबन 10 हजार स्वानों को एक साथ प्रभावित कर सकता है. इसका बचाव केवल वैक्सीनेशन है. इसके संपर्क में आते ही डॉग्स का पहले वैक्सीनेशन एक हफ्ते बाद होता है और इसका दूसरा बूस्टर वैक्सीनेशन 1 महीने बाद होता है. डॉ अनुज तोमर ने कहा कि संक्रमित डॉग्स की साफ-सफाई का बेहद ख्याल रखा जाना चाहिए, जैसे ही इस वायरस के संकेत आपको डॉग्स में दिखाई दे तो किसी भी प्रकार के लापरवाही न करें और जल्द से जल्द उसे नजदीकी पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए.

Last Updated : Aug 31, 2024, 6:09 PM IST
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