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पलामू में इस धुएं से बचेगी लोगों को जान, दूर भागेंगे हाथी, ग्रामीणों को दी जा रही खास ट्रेनिंग - VILLAGERS TRAINED PROTECT ELEPHANT

पलामू में एक्सपर्ट, ग्रामीणों को हाथियों से बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. साथ ही ट्रेनिंग भी दी जा रही है.

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हाथियों से बचाव की ट्रेनिंग देते एक्सपर्ट (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 18, 2024, 1:55 PM IST

पलामू: मिर्च का धुआं हाथियों से रक्षा करेगा, लेकिन मिर्च का धुआं खास तरीके से फैलाना होगा. धान की फसल तैयार होने के साथ ही झारखंड के कई इलाकों में हाथी और मनुष्य के बीच संघर्ष की घटना बढ़ने लगती है. हाथी बड़े पैमाने पर फसल को नष्ट करते हैं और ग्रामीणों को नुकसान पहुंचाते हैं. एशिया के चर्चित पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में 200 से अधिक गांव है. यहां हाथियों का खतरा हमेशा बना रहता है.

इसके लिए पलामू टाइगर रिजर्व ग्रामीणों को हाथियों के झुंड से बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी दे रहा है और एक्सपर्ट के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. चर्चित पशु चिकित्सक सह संरक्षण एक्सपर्ट डॉ. रुद्रदित्य पीटीआर के ग्रामीण इलाके में जाकर लोगों को बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. इस दौरान ग्रामीणों को बताया गया कि मिर्च का धुआं हाथी से बचाव का एक बड़ा कारगर तरीका है.

हाथियों से बचाव की ट्रेनिंग देते एक्सपर्ट (ETV BHARAT)

खास तरीके से किया जाता है मिर्च का धुआं

एक्सपर्ट द्वारा ग्रामीणों को बताया गया कि खास तरीके से लाल मिर्च का धुआं करना होगा. यह धुआं खेत और घरों के बाहर करना होगा. घरों के बार गोबर के उपले जिसे कंडे या गोइठा भी कहा जाता है, उसमें पहले आग लगानी होगी. उसके बाद उसमें लाल मिर्च डालना होगा. डॉक्टर रुद्रदित्य ने ग्रामीणों को बताया कि खेतों में धुआं करने के लिए पुआल आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है. आग हरे बांस में लगाना होगा ताकि धुआं काफी देर तक रहे. मिर्च के धुंआ से हाथियों को जलन होगी और वे दूर भाग जाएंगे.

2023 में हाथियों के आतंक में 96 लोगों की हुई मौत

2023 में अकेले झारखंड में हाथी और मनुष्य के बीच संघर्ष में 96 लोगों की मौत हुई है. 2024 में यह आंकड़ा 30 से अधिक है. पूरे भारत में प्रतिदिन औसतन दो लोगों की मौत हाथी के आतंक से हुई है. पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेश कांत जेना बताते हैं कि ग्रामीणों को पारंपरिक तरीके से हाथियों से बचाव के तरीकों के बारे में बताया जा रहा है. एक्सपर्ट के माध्यम से धुआं करने के तरीकों के बारे में भी बताया जा रहा है. इसके लिए हर गांव में कार्यशाला का आयोजन किया गया है, ताकि ग्रामीणों को जागरूक किया जा सके.

ये भी पढ़ें: जगंली हाथियों का उत्पात, रात भर डर के साए में रहे लोग - Wild elephants In Latehar

ये भी पढ़ें: सरायकेला में जंगली हाथी ने ग्रामीण को कुचला, घटनास्थल पर ही हुई मौत

पलामू: मिर्च का धुआं हाथियों से रक्षा करेगा, लेकिन मिर्च का धुआं खास तरीके से फैलाना होगा. धान की फसल तैयार होने के साथ ही झारखंड के कई इलाकों में हाथी और मनुष्य के बीच संघर्ष की घटना बढ़ने लगती है. हाथी बड़े पैमाने पर फसल को नष्ट करते हैं और ग्रामीणों को नुकसान पहुंचाते हैं. एशिया के चर्चित पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में 200 से अधिक गांव है. यहां हाथियों का खतरा हमेशा बना रहता है.

इसके लिए पलामू टाइगर रिजर्व ग्रामीणों को हाथियों के झुंड से बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी दे रहा है और एक्सपर्ट के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. चर्चित पशु चिकित्सक सह संरक्षण एक्सपर्ट डॉ. रुद्रदित्य पीटीआर के ग्रामीण इलाके में जाकर लोगों को बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. इस दौरान ग्रामीणों को बताया गया कि मिर्च का धुआं हाथी से बचाव का एक बड़ा कारगर तरीका है.

हाथियों से बचाव की ट्रेनिंग देते एक्सपर्ट (ETV BHARAT)

खास तरीके से किया जाता है मिर्च का धुआं

एक्सपर्ट द्वारा ग्रामीणों को बताया गया कि खास तरीके से लाल मिर्च का धुआं करना होगा. यह धुआं खेत और घरों के बाहर करना होगा. घरों के बार गोबर के उपले जिसे कंडे या गोइठा भी कहा जाता है, उसमें पहले आग लगानी होगी. उसके बाद उसमें लाल मिर्च डालना होगा. डॉक्टर रुद्रदित्य ने ग्रामीणों को बताया कि खेतों में धुआं करने के लिए पुआल आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है. आग हरे बांस में लगाना होगा ताकि धुआं काफी देर तक रहे. मिर्च के धुंआ से हाथियों को जलन होगी और वे दूर भाग जाएंगे.

2023 में हाथियों के आतंक में 96 लोगों की हुई मौत

2023 में अकेले झारखंड में हाथी और मनुष्य के बीच संघर्ष में 96 लोगों की मौत हुई है. 2024 में यह आंकड़ा 30 से अधिक है. पूरे भारत में प्रतिदिन औसतन दो लोगों की मौत हाथी के आतंक से हुई है. पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेश कांत जेना बताते हैं कि ग्रामीणों को पारंपरिक तरीके से हाथियों से बचाव के तरीकों के बारे में बताया जा रहा है. एक्सपर्ट के माध्यम से धुआं करने के तरीकों के बारे में भी बताया जा रहा है. इसके लिए हर गांव में कार्यशाला का आयोजन किया गया है, ताकि ग्रामीणों को जागरूक किया जा सके.

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