चमोली/नैनीताल: आजादी के 77 साल बाद भी उत्तराखंड के कई पर्वतीय इलाके सड़क से नहीं जुड़ पाए. आलम ये है कि लोगों को गांव तक सड़क पहुंचाने के लिए आज भी धरना और आंदोलन करना पड़ रहा है. चमोली के ज्योतिर्मठ विकासखंड के डुमक गांव की भी ऐसी ही दास्तां है. यहां सड़क न होने के कारण 62 वर्षीय बुजुर्ग को लोगों ने कंधों पर उठाकर अस्पताल पहुंचाया. जबकि सड़क की मांग को लकेर जिला मुख्यालय गोपेश्वर में ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं.
चमोली जिले के दूरस्थ गांव डुमक में सड़क के अभाव के चलते 62 वर्षीय बीमार बुजुर्ग भवान सिंह सनवाल को ग्रामीणों ने डंडी कंडी के सहारे 7 किलोमीटर से अधिक पैदल पथरीले रास्ते से जान हथेली पर रखकर मुख्य सड़क तक पहुंचाया. वहां से ग्रामीणों के द्वारा बीमार बुजुर्ग को अस्पताल में भर्ती करवाया. जहां उनका उपचार जारी है.
उधर गांव के ग्रामीण सड़क की मांग को लेकर जिला मुख्यालय गोपेश्वर में डीएम कार्यालय परिसर में लगातार 27 दिनों से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं. लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक पहल शासन-प्रशासन स्तर से नहीं हुई है. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरसाया जा रहा है. यही कारण है कि ग्रामीण लगातार पलायन कर रहे हैं.
5 किमी तक पैदल चल बुजुर्ग को पहुंचाया अस्पताल: वहीं नैनीताल जिले के धारी क्षेत्र से भी ऐसी ही कुछ तस्वीरें सामने आई. भीमताल-धारी के बबियाड़ तोक बिरसिंग्या गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ सड़क नहीं होने के चलते मरीजों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ रही है. लेकिन सरकार और विभाग ग्रामीणों की समस्या को हल नहीं कर पा रहे हैं.
धारी तहसील की ग्राम पंचायत बिरसिंग्या में सोमवार को 65 वर्षीय महिला मधुली देवी को ग्रामीण पांच किमी तक पैदल डोली के सहारे गांव के मुख्य सड़क तक लाए. जहां से महिला को निजी वाहन से 90 किमी दूर हल्द्वानी लाया गया. जहां महिला का उपचार चल रहा है.
युवा समाजसेवी दीपक सिंह मेवाड़ी समेत ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सड़क निर्माण की मांग करने के बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हो पा रहा है. दीपक मेवाड़ी ने आरोप लगाया कि सड़क नहीं होने से पांच किमी पैदल चलकर मुख्य सड़क तक आना पड़ रहा है. गांव में सड़क नहीं होने से युवा गांव से पलायन करने को मजबूर हैं.
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