अजमेर: ईआरसीपी के तहत मुहामी स्थित मोर सागर बांध की ऊंचाई को ईआरसीपी परियोजना के बढ़ाने का समीप गांव नौलखा के ग्रामीणों ने विरोध जताया है. गांव और विरासत पर खतरा मंडराता देख नौलखा गांव के ग्रामीण मंगलवार को मुहामी में सुरेश सिंह रावत के घर पंहुच गए. बाद में फोन पर मंत्री सुरेश से रावत से मसले का हल निकालने का आश्वासन मिलने के बाद वापस लौटे.
मुहामी के मोर सागर तालाब को ईआरसीपी के तहत अजमेर के प्रमुख जल स्रोत के रूप में विकसित किया जाएगा. बीसलपुर बांध की तरह मोर सागर पर भी कंक्रीट का बांध बनेगा. ईआरसीपी से मोर सागर को जोड़ते हुए बीसलपुर का पानी लिफ्ट करके लाया जाएगा. अजमेर जिले के लिए इसमें 2 साल का पानी स्टोर रहेगा. जिससे बीसलपुर पर अजमेर जिले की निर्भरता कम होगी.
जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है. लेकिन मोर सागर के नजदीक गांव नौलखा गांव के लोगों का कहना है कि बांध ऊंचा होने से उनकी जमीनें डूब जाएगी. उन्हें मुआवजा नहीं, अपनी जमीन चाहिए. मंगलवार को नौलखा गांव के लोगों ने मुहामी में जल संसाधन मंत्री के घर पंहुचकर विरोध जताया. 20 घण्टे तक ग्रामीण जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत के घर पर जमे रहे.
मंत्री के विधानसभा में की जानकारी जब उनके भाई कुंदन सिंह रावत ने ग्रामीणों को दी, तो ग्रामीण वहीं इंतजार करने के लिए बैठ गए. आखिरकार मंत्री ने ग्रामीणों संग आए भाजपा नेता अशोक सिंह रावत से बात की और उन्हें मिल बैठकर मामले का हल निकालने का आश्वासन दिया. तब जाकर ग्रामीण माने. मंत्री ने ग्रामीणों को 10 अगस्त तक मिलने और बांध की डिजाइन पर चर्चा कर समाधान निकालने का आश्वासन दिया.
इसलिए नाराज हैं ग्रामीण: ईआरसीपी के तहत मोर सागर तालाब में बीसलपुर का पानी लिफ्ट करके ले जाने से ग्रामीण खुश थे. ग्रामीणों को अपने खेतों में सिंचाई का पानी मिलने की उम्मीद नजर आ रही थी. लेकिन बांध की उंचाई बढ़ाने और तालाब की भराव क्षमता का दायरा 5 किलोमीटर तक करने से खेत ही नहीं नौलखा गांव के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है. ईआरसीपी के तहत बांध की उच्चाई 15 से बढ़ाकर 35 फीट की जाने की खबर मिलने के बाद ग्रामीण आशंकित हो गए. दरअसल जहां बांध का निर्माण होगा. वहां से नौलखा गांव की दूरी मात्र 1 किलोमीटर है.
नौलखा निवासी एवं भाजपा नेता राजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि ग्रामीण ईआरसीपी का विरोध नहीं कर रहे हैं. ग्रामीण भविष्य में तालाब में पानी आने और सिंचाई का पानी खेतों में मिलने से काफी उत्साहित थे, लेकिन उन्हें आशंका है कि यदि तालाब की ऊंचाई 5 किलोमीटर भराव क्षमता की होती है, तो ग्रामीणों को विस्थापित होना पड़ेगा. इसी डर से ग्रामीण मंत्री सुरेश सिंह रावत के घर विरोध जताने पहुंचे. उन्होंने बताया कि मंत्री ने दूरभाष पर भरोसा दिलाया है कि 10 अगस्त तक वह ग्रामीणों के साथ बैठकर मसले का हल निकालेंगे.
ग्रामीण सरदार सिंह रावत ने बताया कि 2 घंटे तक मंत्री के घर डटे रहे. मंत्री की ओर से आश्वासन मिलने के बाद ही ग्रामीण वापस लौटे. उन्हें उम्मीद है कि बांध को ऊंचा नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि चाहे मरना पड़े, लेकिन बांध की ऊंचाई बढाने नहीं देंगे. ग्रामीण महिला मीरा ने कहा कि हम हमारे पूर्वजों के गांव और अपने घरों और खेतों को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा कि हमें पानी चाहिए था, लेकिन गांव छोड़ने की कीमत पर नहीं.