गया: अमृतसर-कोलकाता इंटीग्रेटेड कॉरिडोर परियोजना बिहार के गया जिले के लिए काफी महत्वपूर्ण परियोजना है लेकिन इस परियोजना को लेकर गया जिले के डोभी प्रखंड अंतर्गत खरांटी पंचायत में लोगों में काफी असंतोष है. ग्रामीणों का कहना है कि इस परियोजना में खराटी पंचायत के कई गांव की करीब 70 फीसदी जमीन जा रही है. बगैर मुआवजे के ही प्रशासन द्वारा जमीन अधिग्रहण की कोशिश की जा रही है.
'जान देंगे पर जमीन नहीं': ग्रामीणों का कहना है कि हम ग्रामीण एक हैं और अपनी जान दे देंगे लेकिन एक इंच जमीन बगैर मुआवजे के नहीं देंगे. शुरुआत में जब यह योजना आई थी तो उस समय प्रशासन के द्वारा कहा गया था कि इस परियोजना में जिनकी जमीन जाएंगी, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा. साथ ही उन्हें रोजगार से भी जोड़ा जाएगा लेकिन अब हमारे साथ अन्याय किया जा रहा है और जमीन को जबरन बिना मुआवजे के अधिग्रहण करने की कोशिश हो रही है.
![Protest In Gaya](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-01-2025/23312784_tbbba.jpg)
जमीन अधिग्रहण को लेकर ग्रामीणों में असंतोष: दरअसल, गया जिले के डोभी प्रखंड अंतर्गत खरांटी पंचायत की लगभग 70% जमीन अमृतसर-कोलकाता इंटीग्रेटेड कॉरिडोर परियोजना के अंतर्गत जा रही है. इस परियोजना को लेकर प्रशासन द्वारा भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है लेकिन खराटी पंचायत के लोग प्रशासन के कदम से असंतुष्ट हैं. वहीं, उनमें काफी नाराजगी भी है. ग्रामीणों का कहना है कि बगैर मुआवजे के ही प्रशासन के लोग हमारी जमीनों को अधिग्रहित करने की कोशिश कर रहे हैं.
बगैर मुआवजे के बाउंड्री का हुआ विरोध: जानकारी के अनुसार बीते दिन खराटी पंचायत के ग्रामीणों की जमीनों पर बिना मुआवजा दिए या सहमति लिए प्रशासन की टीम के द्वारा जबरन परियोजना के लिए भूमि को अधिग्रहित किया जा रहा था. इस क्रम में बाउंड्री भी करने की कोशिश की गई लेकिन ग्रामीणों-किसानों ने इसका जबरदस्त विरोध किया. जिसके बाद प्रशासन की टीम को वापस लौटना पड़ा. वहीं, प्रशासन के बाउंड्री करने के कदम को लेकर ग्रामीणों में अब काफी आक्रोश व्याप्त है और वे आंदोलन के मूड में हैं.
"प्रशासन यहां स्थिति को बिगड़ना चाहता है. बगैर मुआवजे के जमीन अधिग्रहण की कोशिश हो रही है. बाउंड्री करने का प्रयास किया जा रहा है. वादा किया गया था कि न सिर्फ उनकी जमीनों का मुआवजा दिया जाएगा, बल्कि रोजगार से भी जोड़े जाएंगे. हमारे पास कई तरह की जमीन है, जिसमें रैयती से लेकर हुकुमनामा समेत अन्य तरह की जमीन है. बगैर सहमति के ही प्रशासन के द्वारा इस पर अधिग्रहण की कोशिश हो रही है."- संजय कुमार, ग्रामीण
जान दे देंगे पर जमीन नहीं: ग्रामीण अजय कुमार ने बताया कि बगैर मुआवजा बगैर नौकरी के हम लोग जमीन अधिग्रहण के लिए नहीं देने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यहां प्रशासन की टीम जमीन की बाउंड्री भूमि अधिग्रहण करने के लिए पहुंची थी. इसका हम ग्रामीणों ने विरोध किया. हम लोगों ने अब निर्णय ले लिया है कि जान दे देंगे लेकिन बगैर मुआवजे के जमीन नहीं देंगे.
सीओ भी नहीं देते जवाब: अजय कुमार ने बताया कि कुछ बिचौलिए टाइप लोगों को मुआवजा मिला है. अधिकांश ग्रामीण-किसान को कोई लाभ नहीं मिला है. अधिकांश को जमीन अधिग्रहण को लेकर मुआवजा की राशि नहीं दी गई है. ऐसे में यदि इस प्रकार की जोर जबरदस्ती प्रशासन की टीम के द्वारा की जाती है तो हम लोग इसका विरोध करेंगे. ग्रामीणों का आरोप है कि सीओ के पास जाते हैं तो वे कर्मचारी के पास भेज देते हैं. वहीं, ग्रामीणों के आरोप और आक्रोश के मद्देनजर डोभी के सीओ से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.